नेपाल में दीवाली के दूसरे दिन की जाती है कुत्तों की पूजा
दीपावली हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार हैं, जिसे बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। दुनियाभर में मौजूद हिंदू धर्म के लिए इस त्योहार को बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। घरों की साफ-सफाई कर उसे दीयों और लाइटों से सजाया जाता है, इस त्योहार के समय जमकर आतिशबाजी की जाती है। मां लक्ष्मी जी और गणेश जी की पूजा की जाती है।
दीवाली अब लोग अलग-अलग तरीके से मनाने लगे हैं, लेकिन नेपाल की दीवाली के बारे में सुनकर तो आप चौंक ही जाएंगे। भारत की तरह नेपाल में भी दीवाली का पांच दिनी त्योहार मनाया जाता है। वहां दीवाली को तिहार कहा जाता है। इसमें दीवाली के अगले दिन कुत्तों की पूजा की जाती है। इसे 'कुकुर तिहार' कहा जाता है।
कुत्तों के लिए बनाए जाते हैं खास व्यंजन :
इस दिन कुत्तों को खास भोजन खिलाया जाता है, उनकी पूजा भी की जाती है। उन्हें दूध और अंडों के अलावा दही का सेवन कराया जाता है। यह मानव और कुत्तों की बॉन्डिंग के मद्देनजर किया जाता है।
कुत्तों की पूजा की वजह :
कुकुर तिहार के दिन कुत्तों की पूजा की जाती है, तो यह बात दिमाग में आना स्वाभाविक है कि इसके पीछे वजह क्या है। कुत्तों को मृत्यु के देवता यमराज का संदेशवाहक माना जाता है। नेपाल में ऐसी मान्यता है कि कुत्ते मरने के बाद भी मालिक की रक्षा करते हैं। इसी के चलते नेपाल में दीवाली के अगले दिन कुत्तों की पूजा की जाती है।
दीवाली के दौरान जानवरों की पूजा :
नेपाल में दीवाली के दौरान अलग-अलग जानवरों की पूजा की जाती है। पहले दिन 'काग तिहार' में कौओं की पूजा की जाती है। लोग घरों के सामने मिठाई रखते हैं, ताकि कौए उसे खाकर प्रसन्न हो जाएय़ दूसरे दिन कुत्ते की और तीसरे दिन गाय की पूजा की जाती है। चौथे दिन बैल को पूजा जाता है। अंतिम दिन भारत की ही तरह नेपाल में भी भाईदूज मनाया जाता है।