दुष्कर्म : नाइजीरिया से सीखने की है जरूरत
डॉ चन्दर सोनाने
हाल ही में अफ्रीकी देश नाइजीरिया ने दुष्कर्मियों को नामर्द करने का कानून पास कर दिया । इस नए कानून के अनुसार दुष्कर्मियों की सर्जरी कर नामर्द कर दिया जाएगा । इसके साथ ही उसे उम्र कैद की सजा भी दी जाएगी । इसके अलावा 14 साल से कम उम्र की नाबालिक से दुष्कर्म करने वाले को मौत की सजा दी जाएगी । कदूना राज्य के गवर्नर श्री नासिर अहमद अल रुफाई ने इस कानून पर दस्तखत कर विश्व के अन्य देशों के सामने दुष्कर्मियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई कर अनुपम उदाहरण प्रस्तुत कर दिया है । हमारे देश को इस नाइजीरिया देश से सीखने की जरूरत है । यहाँ भी ऐसे ही सख्त कानून की सख्त आवश्यकता है।
नाइजीरिया जैसे कानून की हमारे देश में भी क्यों जरूरत है , यह जानने के लिए हमें कुछ आँकड़े देखना जरूरी है ।
आइए जानें ! राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो द्वारा 2018 में हमारे देश में हुए दुष्कर्म के जो आँकड़े बताएँ हैं वे चौकानें वाले हैं । उस वर्ष दुष्कर्म के कुल 33,356 मामले दर्ज किए गए । इसमें कुल पीडिताएँ 33,977 थी । यानी रोजाना 83 दुष्कर्म ! इसमें से 27.8 प्रतिशत पीडिताएँ 18 साल से कम उम्र की थी । कुल में से 72.2 प्रतिशत पीडिताएँ 18 साल से अधिक उम्र की थी । इसमें भी दुखद यह है कि दुष्कर्म के 94 प्रतिशत मामलों में पीड़िता के परिचित ही थे । परिचित याने परिवार के सदस्य, दोस्त, सह जीवनसाथी, कर्मचारी आदि !
देश में सर्वाधिक दुष्कर्म के मामलों में मध्यप्रदेश सिरमौर है ! उस वर्ष सर्वाधिक 5,433 मामले मध्यप्रदेश में दर्ज किए गए हैं । हम सब यह भी जानते हैं कि वास्तव में दर्ज मामलों से कई गुना अधिक दुष्कर्म के प्रकरण होते हैं किन्तु लोकलाज के कारण अधिकतर मामले दर्ज ही नहीं हो पाते हैं ।
ऐसी स्थिति में जब मामले दर्ज होने के बावजूद वर्षों तक प्रकरण कोर्ट में चलते हैं तथा अधिकतर मामलों में दोषी बरी भी हो जाते हैं । यही नहीं जिन्हें सजा मिलती भी है तो वे कानून की गलियों का लाभ लेते हुए सजा से वर्षों बचते रहते हैं । इसका सबसे बड़ा निर्भया केस का उदाहरण हम सबके सामने हैं । 16 दिसम्बर 1992 को दिल्ली के इस प्रकरण ने पहली बार पूरे देश को झकझोड़ दिया था । किंतु हुआ क्या ? दोषी 4 लोगों को फाँसी की सजा होने पर भी वे वर्षों फाँसी से बचते रहे । और हम सब चुपचाप बैठे हुए देखते ही रहे ।
इसीलिए दुष्कर्म के दोषियों को नाइजीरिया के समान दण्ड देने के लिए कानून में बदलाव किया जाना चाहिए । देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को इस दिशा में पहल करनी चाहिए । दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करने से ही इस जघन्य अपराध से हमारे देश के बच्चों और महिलाओं को बचाने में मदद मिलेगी ।
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