पराली जलाने पर रोक : छोटे किसान की बड़ी बात
डॉ. चन्दर सोनाने
और फिर सर्दी आ गई । दिल्ली और एन सी आर में जब - जब सर्दी आती है तब - तब वहाँ के लोग जानलेवा वायु प्रदूषण से बेहाल हो जाते हैं । इस वायु प्रदूषण के एक नहीं अनेक कारण हैं । किंतु सबसे बड़ा कारण है पराली का जलाना ! दिल्ली और एन सी आर में ऐसा वायु प्रदूषण आज ही हो रहा हो , ऐसा नहीं है ! अनेक वर्षों से ऐसा ही हो रहा है ! और सबको ये भी पता है कि पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तरप्रदेश में धान की कटाई के बाद पराली जलाने से भीषण जानलेवा वायु प्रदूषण होता है । हो रहा है । कारण पता होने के बावजूद केंद्र सरकार और राज्य सरकार जो भी उपाय करती है वे सभी सतही और कागजों में ही रह जाते हैं ।
ऐसी हालत में एक छोटे किसान ने बड़ी काम की बात कही है । उसने एक आसान सा उपाय बताया है । आइये , आप भी सुनिए ! उसने बताया कि धान की कटाई कम्बाइन हार्वेस्टर से की जाती है । इस मशीन से जब धान की कटाई की जाती है तो करीब डेढ़ फीट तक की पराली बच जाती है। अब इसे बाद में हाथ से काटना या मशीन से काटना महंगा पड़ता है । इसीलिए किसान उस पराली को जला देते हैं । इसी से जानलेवा वायु प्रदूषण होता है । वह छोटा किसान इस समस्या का बड़ा ही आसान उपाय यह बताता है कि जिस मशीन से धान की कटाई की जाती है उस मशीन में ही छोटा सा बदलाव कर दिया जाए। और वह बदलाव भी ऐसा हो कि जब मशीन धान की कटाई करें तो पराली डेढ़ फीट नहीं बल्कि लगभग तीन चार सेंटीमीटर ही छोड़े , जितनी धान की हाथ से कटाई में छुटती है । इतनी छोटी पराली को जलाने की जरूरत ही नहीं होती है । जब किसान अगली फसल की तैयारी करता है तो वह खेत में मिल कर खाद का काम भी करती है ।
है ना आसान सा उपाय ! बस अब करना यह है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारें कम्बाइन हार्वेस्टर बनाने वाली कम्पनी को सभी पुरानी मशीनों में बताया गया छोटा सा बदलाव करना जरूरी कर देंवे । प्रत्येक मशीन का शत प्रतिशत निरीक्षण अनिवार्य कर दिया जाए । जिस भी मशीन में बदलाव नहीं पाया जाए उसे जप्त कर लिया जाए । नई मशीन बदलाव के साथ ही बाजार में आये । और ये हो सकता है । आखिर हार्वेस्टर बनाए जाने वाले कल कारखाने देश में है ही कितने ?
क्या ऐसा होगा ? एक छोटे किसान की बात सरकार मानेगी ? या फिर ऐसा ही चलता रहेगा , जैसा चल रहा है ? तब तक आप और हम करते हैं इंतजार !!!
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