लोकतंत्र के लिए खतरे 1329 दबंग !
डॉ. चन्दर सोनाने
हाल ही में एक चौंकाने वाली खबर आई है । बेहद डरावनी । प्रदेश में 28 विधानसभा क्षेत्रों में उप चुनाव हो रहे हैं । इनमें में अधिकतर सीटें प्रदेश के ग्वालियर - चंबल अंचल भिंड , ग्वालियर , मुरैना , शिवपुरी और दतिया जिले की है । इन जिलों के जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन द्वारा गोपनीय जाँच की गई। उसमें पाया गया कि उक्त क्षेत्रों में 311 ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ 6032 समाज के दबे , कुचले , गरीब और शोषित लोग हैं । इन लोगों को इन्हीं क्षेत्रों के 1329 दबंग अपना वोट देने से रोक सकते हैं । प्रजातंत्र कर लिए ये निश्चित रूप से खतरा है !
अभी आपने जो आँकड़े पढ़ें हैं वह किसी एनजीओ की नहीं बल्कि सरकारी रिपोर्ट है । उक्त क्षेत्रों के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक वाकई प्रशंसा के पात्र हैं जिन्होंने निडरतापूर्वक ये सूची बनाई और चुनाव आयोग को भेज दी । आयोग के निर्देशानुसार ऐसे दबंगों की धड़पकड़ भी शुरू कर दी गई है । ये खबर राहत देने वाली है ।
अब हम सोंचे ! हमें सोचना ही चाहिए । चिंतन और मनन भी करना चाहिए ! विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में हम रहते हैं। मध्यप्रदेश के केवल कुछ क्षेत्रों के ही आँकड़े अभी सामने आए हैं । जब पूरे प्रदेश में विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव जब भी होते हैं तो उस समय ये आँकड़े कितने बड़े होते होंगे ? और पूरे देश में जब विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव होते हैं , तब क्या हातात होती होगी ?
केवल उत्तरप्रदेश और बिहार की ही हम बात करें जहाँ हम चुनाव के दौरान दबंगों की खबरें सुनते रहते हैं , वह कितनी डरावनी होती है ? ऐसे में हम निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव की कल्पना कैसे कर सकते हैं ?
देश में होने वाले विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में खड़े होने वाले उम्मीदवारों के विरुद्ध अत्यंत गंभीर आपराधिक प्रकरण दर्ज होने के बावजूद वे चुनाव जीत जाते हैं ! वे कैसे जीतते होंगे ? ये ग्वालियर - चंबल क्षेत्र के दबंगों के आँकड़ों को देखकर आसानी से समझा जा सकता है! और आश्चर्य की बात तो ये है कि इन दबंगों के विरुद्ध हत्या , बलात्कार , अपहरण जैसे अत्यंत गंभीर आरोप होने के बावजूद वे जीत जाते हैं ! इस मामले में सभी राजनैतिक दलों की स्थिति एक समान है । बल्कि कहें , एक से बढ़ कर एक हैं !
अब क्या किया जाए ? देश की किसी भी राजनैतिक पार्टी से कोई उम्मीद नहीं है ! ये अत्यंत दुखद है , किंतु सत्य यही है । अब उम्मीद की किरण सिर्फ एक ही है और वह है देश का सर्वोच्य न्यायालय ! अब तो वही इस दिशा में कुछ कर सकता है । देश में पिछले कुछ वर्षों के चर्चित मामलों को देखें तो सर्वोच्य न्यायालय ने ही हमें राह दिखाई है ! यहाँ बताने की कुछ भी जरूरत नहीं है । पाठक सब जानते हैं । सर्वोच्य न्यायालय ने ही उलझे और वर्षों से लंबित मामलों में अपना महत्वपूर्ण निर्णय और निर्देश देकर ही लोगों को राहत तथा समस्याओं से निजात दिलाने में अपनी भूमिका का जिम्मेदारी से निर्वहन किया है । अब चुनावों में अत्यंत गंभीर आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों और दबंगों से छुटकारा केवल और केवल सर्वोच्य न्यायालय ही दिला सकता है ! और तभी सही मायने में हमारे देश में प्रजातंत्र आएगा ! हम भारतवासी आशावादी होते हैं। और हमें पूरी आशा है वह सुबह कभी तो आयेगी ! आयेगी और जरूर आयेगी !
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