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आखिर अब आई महाकाल मंदिर प्रबंधकों को सद्बुद्धि !


डॉ. चन्दर सोनाने
              देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक मात्र दक्षिणमुखी उज्जैन के महाकाल मंदिर का पुराणों में विशेष महत्व है । इस कारण देश भर से श्रद्धालुओं का उज्जैन आना लगा रहता है । कोरोना के कारण 21 मार्च से ही मंदिर में दर्शन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था । 
             यहाँ तक तो ठीक था । किंतु जून माह में फिर दर्शन सुविधा शुरू की गई तो एक नई शर्त जोड़ दी गई । वह यह कि जो भी व्यक्ति दर्शन करना चाहता है तो उसे मंदिर की वेबसाइट या एप पर जाकर अपना रजिस्ट्रेशन करना होगा । फिर उसे रजिस्ट्रेशन कराने के अगले दिन मंदिर में दर्शन करने को मिलेगा । किन्तु देश का कोई भी व्यक्ति जिसे यह जानकारी नहीं है या वह निरक्षर है या वह कम पढ़ा लिखा है या उसके पास के मोबाईल में यह सुविधा नहीं है या उसे यह सब करना आता नहीं है तो वह मंदिर के दर्शन नहीं कर सकेगा ! देश डिटिलाइज हो रहा है और तुम अभी भी वहीं के वहीं हो ? उसे इसका दंड तो मिलना ही चाहिए !   वह दर्शन करने की पात्रता नहीं रखता है ! उसे किसी भी कीमत पर दर्शन करने नहीं दिया जाएगा ! तो वह क्या करें ? उसके लिए तो मंदिर प्रबंध समिति ने बाबा महाकाल के दरवाजे बंद कर दिए हैं ! तो वह हताश और निराश हो बिना दर्शन के ही वापस चले जाने के लिए मजबूर था !
            मंदिर प्रबंधकों की जब इस तानाशाही व्यवस्था की काफी आलोचना होना शुरू हुई तो उसने एक नया ही रास्ता निकाला । वह यह कि ऐसे श्रद्धालु 100 ₹ का दण्ड भरकर मंदिर में दर्शन कर सकेगा ! जब इस मनमाने शुल्क का भी क्षेत्र के सांसद श्री अनिल फिरोजिया और अन्य लोगों ने खुल कर आलोचना की तो छः दिन बाद 100 ₹ देकर दर्शन सुविधा को बंद कर दिया गया ! इतना ही नहीं मंदिर प्रबंधकों द्वारा यह भी कहा गया कि अब कोई बिना रजिस्ट्रेशन के दर्शन करने आएगा तो वह 250 ₹ देकर विशेष दर्शन सुविधा का लाभ ले सकेगा । इसके बिना वह दर्शन नहीं कर सकेगा ! यानी अब ऐसे श्रद्धालु 100 ₹ नहीं , बल्कि 250 ₹ दें और दर्शन करें ! है ना वाक़ई बढ़िया व्यवस्था !
         अब फिर मंदिर प्रबंध समिति के इस निर्णय का चौतरफा खुला विरोध होना शुरू हुआ तो वे भौंचक्के रह गए । अरे ! इतना कुछ कर रहे हैं तो भी विरोध क्यों हो रहा है ? तो फिर अंत में महाकाल को ही बीच में आना पड़ा ! उन्होंने मंदिर प्रबंधकों को सद्बुद्धि दी ! आखिर तब जाकर हाल ही में उन्होंने बिना रजिस्ट्रेशन कराए दर्शन करने आने वालों को यह सुविधा देने का निर्णय लिया है कि उनके लिए मंदिर समिति मंदिर परिसर में ही तीन जगहों पर निशुल्क कियोस्क सेंटर शीघ्र शुरू करेगी , ताकि वे भी बाबा महाकाल के दर्शन कर सकें । आशा करते हैं , वास्तव में शीघ्र ही यह सुविधा शुरू होगी । 
यहाँ एक बात मेरी समझ में नहीं आ रही है कि जब रजिस्ट्रेशन करने वाले सभी दर्शन कर सकेंगे , 250 ₹ देकर सभी विशेष दर्शन कर सकेंगे और बिना रजिस्ट्रेशन कराए उज्जैन आने वाले सभी लोग मंदिर के निशुल्क कियोस्क सेंटर की सुविधा लेकर दर्शन कर सकेंगे तो फिर इतना सब झमेला क्यों ? क्यों ? क्यों ? मुझे तो भई कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है ! यदि आपकी समझ में ये बात आये तो मेहरबानी करके मुझे जरूर बताने की कृपा करें !
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