पारिवारिक पेंशन पर से सरकार ने हटाई ये शर्त, इन कर्मचारियों को होगा लाभ
पारिवारिक पेंशन Family Pension को लेकर बड़ी खबर है। आज सरकार ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए फैमिली पेंशन के नियमों के बड़ा बदलाव कर दिया है। इस बदलाव के बाद अब इस पेंशन योजना में अभी तक चली आ रही 7 साल की लगातार सेवा की शर्त हटा दी गई है जो अभी तक अनिवार्य थी। इस नए नियम से देश के हजारों कर्मचारियों को फायदा होगा। सैन्यकर्मी परिवारों के लिए एक बड़ी राहत की खबर है। रक्षा मंत्रालय ने सैन्यकर्मी की मृत्यु होने की स्थिति में उसके परिवार को मिलनेवाली इनहांस्ड आर्डनरी फेमिली पेंशन (ईओएफपी) पाने के लिए सात साल लगातार सेवा की अनिवार्य शर्त हटा दी है। पहले सात वर्ष सेवा के बाद ही परिवार को यह पेंशन मिलती थी। सोमवार को एक अधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई। बयान के मुताबिक यह पेंशन सैन्यकर्मी के आखिरी वेतन की आधी होती थी और यह उसकी मृत्यु के दिन से दस वर्ष तक परिवार को मिलती थी। बयान के मुताबिक सात वर्ष तक लगातार सेवा की आवश्यक शर्त को अक्टूबर, 2019 से हटा दिया गया है।
ईओएफपी सैन्यकर्मी के वेतन की आधी होती थी तो आर्डनरी फेमिली पेंशन (ओएफपी) वेतन का 30 फीसद मिलती थी। इसके अलावा, रक्षा बल के वो कर्मी जिनकी मृत्यु सात साल की निरंतर सेवा पूरी किए बिना पहली अक्टूबर 2019 से पहले दस साल के भीतर हुई है, उनका परिवार भी पहली अक्टूबर 2019 से ईओएफपी के लिए पात्र होगा। यदि नौकरी छोड़ने, सेवानिवृत्ति, सेवामुक्ति के बाद सेवाकर्मी की मृत्यु हो जाती है तो उसकी मौत से सात साल तक के लिए या उस समय तक जब कर्मी 67 साल का होता, जो भी पहले हो, तक के लिए ईओएफपी दी जाती है।
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि जिन रक्षा कर्मिंयों की मृत्यु लगातार सात साल की सेवा होने से पूर्व एक अक्टूबर 2019 से पहले 10 साल के भीतर हुई है, उनके परिजनों को अब ईओएफपी मिलेगी। अब तक रक्षा बलों के कर्मिंयों के परिजनों को ईओएफपी देने के लिए संबंधित रक्षाकर्मी की लगातार सात साल की सेवा पूरी होने का नियम था, लेकिन अब यह शर्त समाप्त कर दी गई है। ईओएफपी रक्षाकर्मी के पिछले वेतन की 50 फीसद होती है, जबकि साधारण पारिवारिक पेंशन (ओएफपी) कर्मी के पिछले वेतन की 30 फीसद होती है।
केंद्र सरकार ने शुरू की परियोजना 'सुनिधि', यह है इसकी खासियत
केंद्र सरकार ने महत्वाकांक्षी सूचना प्रौद्योगिकी परियोजना 'सुनिधि' शुरू किए जाने की घोषणा की है। इस पहल का मकसद कोयला खदान भविष्य निधि संगठन (सीएमपीएफओ) की भविष्य निधि और पेंशन से जुड़ी सभी गतिविधियों को डिजिटल रूप देना है। सीएमपीएफओ कोयला मंत्रालय के अंतर्गत एक सांवधिक निकाय है, जो कोयला खदान कर्मचारियों के लिए भविष्य निधि की विभिन्न योजनाओं, पेंशन और जमा संबंद्ध बीमा योजनाओं का प्रबंधन करता है। कोयला मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'महात्मा गांधी जयंती पर सीएमपीएफओ 'सुपीरियर न्यू-जनरेशन इंफर्मेशन एंड डेटा हैंडलिंग इनिशिएटिव (सुनिधि) योजना की शुरुआत कर रहा है।
यह कदम प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया अभियान के आह्वान के अनुरूप है। इस नई डिजिटल व्यवस्था की शुरुआत करते हुए तीन सेवानिवृत्त कर्मचारियों की भविष्य निधि और पेंशन बकाए का निपटान भी किया गया।मंत्रालय ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी आधारित परियोजना सीएमपीएफओ की सभी भविष्य निधि और पेंशन कोष संबंधित गतिविधियों को डिजिटल रूप देने का एक प्रयास है, ताकि व्यवस्था को और मजबूत बनाया जा सके। सीएमपीएफओ के सभी 23 कार्यालयों को इस डेटा केन्द्र से जोड़ा गया है।