सरकार ने पेंशनरों को फिर अधर में पटका
डॉ . चन्दर सोनाने
राज्य सरकार ने हाल ही में प्रदेश के शासकीय कर्मचारियों के हित में एक राहत भरा निर्णय लिया है। सरकार ने घोषणा की है कि अब कर्मचारी भी निजी अस्पतालों में अपना और अपने परिजन का कोरोना का इलाज करा सकेंगें । सरकार महंगी और अन्य जरूरी सेवाओं का भुगतान करेगी । सरकार का यह निर्णय वास्तव में सराहनीय है । किंतु यहाँ फिर सरकार ने भेदभाव करते हुए पेंशनरों को इससे वंचित रख रखा है ! सरकार ने पेंशनरों को फिर अधर में पटक दिया है !
सरकार ने शासकीय कर्मचारियों और पेंशनरों के साथ ऐसा भेदभाव पहली बार किया है, ऐसा नहीं है । पहले भी अनेक बार ऐसा हो चुका है । आइये , आपको बताते हैं कुछ उदाहरण ।
राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी शासकीय कर्मचारियों के लिए 1 जनवरी 2016 से सातवाँ वेतनमान मंजूर किया , किंतु पेंशनरों को छोड़ दिया गया । पेंशनरों के संघों द्वारा सरकार की काफी अनुनय विनय करने के बाद सरकार द्वारा पेंशनरों के लिए भी सातवाँ वेतनमान स्वीकृत किया गया ।
अब बारी आई एरियर देने की , तो सरकार ने कर्मचारियों को तो किश्तों में 1 जनवरी 2016 से एरियर भी दे दिया , किन्तु वरिष्ठ नागरिकों याने पेंशनरों को ठेंगा दिखा दिया ! अब फिर चला अनुनय विनय का सिलसिला । सरकार ने मेहरबानी की , किन्तु अप्रेल 2018 से ही एरियर का भुगतान किया गया । यानी जनवरी 2016 से मार्च 2018 का 27 माह का एरियर सरकार दबा कर बैठ गई । पेंशनरों के संघ लगातार सरकार से निवेदन कर रहे हैं किंतु वह कानों में रुई ठूँस कर बैठी हुई है । इसी बीच शिवराज की सरकार की जगह कमलनाथ की सरकार आ गई । उनसे भी अनुनय विनय किया गया , किंतु वही ढाल के तीन पात ! फिर प्रदेश में एक अजूबा हुआ । कमलनाथ की सरकार गिरा दी गई , फिर से शिवराज की सरकार आरूढ़ हो गई । फिर से शिवराज सरकार की चरण वंदना की गई , किंतु फिर भी सिर्फ आश्वासन ही मिला !
यही बात महंगाई भत्ते पर भी लागू होती है ! सरकार कर्मचारियों के महंगाई भत्ते बढ़ाने की घोषणा करती है , किंतु पेंशनर को भूल जाती है । हमेशा ऐसा ही होता है । बेचारी सरकार की याददाश्त बहुत कमजोर हो गई है ! जनवरी 2020 से कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में 3 प्रतिशत की वृद्धि की गई , किन्तु बेचारी सरकार पेंशनरों को हमेशा की तरह फिर भूल गई है !
अब फिर से ऐसा ही हुआ है । सरकार ने एक अच्छा फैसला लिया और कर्मचारियों और उनके परिजनों के कोरोना से ग्रसित हो जाने पर निजी अस्पतालों के द्वार खोल दिये गए , किन्तु बेचारी सरकार क्या करें ? उसकी याददास्त कमजोर जो ठहरी ! वह फिर से पेंशनरों को भूल गई है । अब सरकार को कौन याद दिला सकता है ? कौन ???
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