20 लाख बिन्दुओं से बनाई भगवान श्रीराम की मोहक तस्वीर
कोरबा। बिंदु को ब्रह्म की उत्पत्ति भी माना गया है। साथ ही कहते हैं कि ब्रह्म निराकार है। बिंदु से ही निराकार का साकार रूप सामने आता है। मतलब, यह कि बिंदु से ही सार यानी एब्स्ट्रैक्ट निकलता है। ठीक इसी तरह सृष्टि के कण-कण में श्रीराम बसते हैं। फिर क्यों न बिंदुओं से भगवान श्रीराम की तस्वीर बनाई जाए? इस रचनात्मक विचार के साथ युवा चित्रकार श्याम दिवाकर ने श्रीराम की श्वेत-श्याम तस्वीर बनाई।कैनवास पर 20 लाख बिंदुओं (डॉट्स) से तैयार यह अनोखी पेंटिंग अब अयोध्या जाएगी और अंतरराष्ट्रीय श्रीराम कथा संग्रहालय में प्रस्तावित प्रदर्शनी में रखी जाएगी। दरअसल, उत्तरप्रदेश के अयोध्या की स्वदेश संस्था के सदस्य और कोरबा जिले के वनांचल में स्थित तुमान गांव के निवासी युवा चित्रकार श्याम दिवाकर (34) ने काले रंग के मार्कर से हैंडमेड ड्राइंग शीट पर श्रीराम की तस्वीर बनाई हैं।
तस्वीर को बनाने में श्याम को 28 दिन लग गए। चित्रकार का दावा है कि इसके लिए वह रोज दस से 12 घंटे जुटे रहे और प्रतिदिन करीब 80 हजार से एक लाख डॉट अंकित किए। अंतरराष्ट्रीय श्रीराम कथा संग्रहालय में यह चित्र प्रदर्शित किए जाने के लिए मौका उन्हें अयोध्या में वर्ष 2020 में आयोजित अयोध्या कला महोत्सव में स्वदेश भारत गौरव सम्मान व कई पुरस्कार हासिल करने के बाद मिला। स्वदेश संस्था उन्हें ने श्रीराम की एक ऐसी तस्वीर बनाने का जिम्मा दिया, जिसका प्रदर्शन कुछ हटकर हो।
श्याम ने दो फीट चौड़ी व तीन फीट लंबी ड्राइंग शीट पर लाखों बिंदुओं से यह मोहक तस्वीर बनाई। श्याम का मानना है कि 'कला से पेट नहीं भरता, वह तो ईश्वर की साधना का माध्यम है। मैं बगैर प्रशिक्षण के सिर्फ अभ्यास के जरिए अपनी कलाधर्मिता को निखार रहा हूं।'
बिना प्रशिक्षण निखारी प्रतिभा, पाई उपाधियां
बचपन से चित्र बना रहे श्याम ने कभी कोई प्रशिक्षण नहीं लिया। अभ्यास से ही कौशल को निखारा। वर्ष 2019 में मध्यप्रदेश के दतिया कला महोत्सव में उन्हें राजा रवि वर्मा अवॉर्ड, हरियाणा में कला श्री अवॉर्ड, वर्ष 2020 में उत्तरप्रदेश के अयोध्या कला महोत्सव में स्वदेश भारत गौरव सम्मान समेत अनेक पुरस्कार मिले हैं। लॉकडाउन के पांच माह में ही देशभर में आयोजित 48 ऑनलाइन स्पर्धाएं जीतीं। इस तस्वीर के लिए उन्होंने हाल ही में हैदराबाद में आयोजित हाई रेंज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया है।