उज्जैन में निजी अस्पतालों को मनमानी फीस लेने की छूट
डॉ. चन्दर सोनाने
ये हम सब जानते हैं , कि देश , प्रदेश और उज्जैन में रोजाना कोरोना के मरीजों की संख्या में चिंताजनक बढ़ोतरी हो रही है । मरीजों की बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए निजी अस्पतालों को भी कोरोना मरीजों के इलाज की मंजूरी दी रही है । ये अच्छी बात है । किंतु उज्जैन में जिला प्रशासन ने निजी अस्पतालों को मनमानी फीस लेने की खुली छूट दे रखी है ।
आइए , इसे थोड़ा विस्तार से समझते हैं । इंदौर में कलेक्टर श्री मनीष सिंह ने 4 सितंबर को एक आदेश जारी कर 15 निजी अस्पतालों को कोरोना मरीजों के इलाज की स्वीकृति दी है । इसी आदेश में ही कलेक्टर ने सभी इलाजों का खुलासा करते हुए उनके रेट भी तय कर दिए हैं । इंदौर कलेक्टर ने 8 बिन्दुओं में निर्धारित दर का खुलासा भी कर दिया । उन्होंने कोविद अस्पतालों के रूम अथवा जनरल वार्डों के बेड के चार्जेस , पीपीई कीट, खाद्य एवं डिस्पोजल आयटम, आक्सीजन चार्जेस, बाइपेप एवं वेंटीलेटर, कंसलटेंट / चिकित्सक शुल्क , कोविद बॉयोमेडिकल वेस्ट के निष्पादन पर शुल्क तथा दवाई , पैथोलॉजी टेस्ट एवं अन्य उपभोग्य की मेडिकल वस्तुओं की दर भी निर्धारित कर दी है । इन सभी दरों को रिसेप्सन पर प्रमुख रूप से दिखाई देने वाले स्थानों पर उसे प्रदर्शित करने के भी निर्देश दिए गए हैं । इंदौर कलेक्टर को साधुवाद !
अब आते हैं उज्जैन ! यहाँ के कलेक्टर श्री आशीष सिंह ने 7 सितंबर को आदेश जारी कर 14 निजी अस्पतालों को कोरोना मरीजों के इलाज की मंजूरी दी है। किन्तु अभी तक इलाज की दर निर्धारित नहीं की है । इस प्रकार कलेक्टर ने इन अस्पतालों को मनमानी फीस लेने की खुली छूट दे रखी है । अस्पताल वाले इसका लाभ भी ले रहे हैं । मरीज और उनके परिजनों की कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रहीं है । उन पर दो तरफ़ा मार पड़ रही है !
उज्जैन का मीडिया बहुत सजग है । वह रोज इस मुद्दे को उठा रहा है , किंतु कलेक्टर पता नहीं किस मजबूरी में फँसे हुए हैं जो निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के इलाज की दर तय नहीं कर पा रहे हैं !
वैसे कलेक्टर श्री आशीष सिंह की इस बात की तो तारीफ करनी ही होगी कि उन्होंने उज्जैन में आते ही फील्ड पर ध्यान दिया । वे रोज ही फील्ड में जाकर न केवल मरीजों की सेवा में लगे डॉक्टर, नर्सेस, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, स्वास्थ्य कार्यकर्ता , सफाई कर्मचारी आदि की हौसला अफजाई करते हैं बल्कि अस्पतालों में भर्ती कोरोना मरीजों से भी मिलने जा पहुंचते हैं और उन्हें शीघ्र स्वस्थ होने की शुभकामनाएँ भी देते हैं । पहले वाले कलेक्टर तो बंगले से ऑफिस और ऑफिस से बंगले तक ही सीमित थे । इसी कारण एक समय ऐसा भी था जब उज्जैन में कोरोना के मरीजों की मृत्यु दर देश में सर्वाधिक थी । इन कलेक्टर के आने के बाद ही मृत्यु दर में तेजी से गिरावट दर्ज की जा सकी है ।
अब फिर वही सवाल ! ऐसे संवेदनशील कलेक्टर निजी अस्पतालों के इलाज की दर निर्धारित क्यों नहीं कर पा रहे हैं ? क्या उन पर राजनैतिक दलों का कोई दबाव है ? या निजी अस्पतालों का कोई दबाव है ? क्या उज्जैन के युवा मंत्री डॉ मोहन यादव इस समस्या का समाधान करेंगे ? अथवा प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान इस संवेदनशील मसले में हस्तक्षेप कर मरीजों के परिजनों को इस समस्या से निजात दिलाएंगे ? यह खोजबीन का सवाल है ! यह सवाल हम पाठकों पर ही छोड़ देते हैं !
------०००------
Leave a reply