स्कूल शिक्षा की केबिनेट स्टीम कॉन्क्लेव : बच्चे को एक बेहतर भविष्य देने का प्रयास
संदीप कुलश्रेष्ठ
प्रदेश के मुखिया श्री कमलनाथ ने मध्यप्रदेश के स्कूली बच्चों की बेहतरी के लिए एक अभिनव प्रयास आरंभ किया है। उन्होंने स्कूली शिक्षा को बोरिंग की बजाय रूचिकर और बच्चों के कैरियर के अनुसार बनाने की दिशा में सार्थक प्रयास आरंभ किये हैं। इसके लिए उन्होंने स्कूल शिक्षा के लिए अलग से कैबिनेट करने की भी बात कही है। प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने इस दिशा में कार्रवाई भी शुरू कर दी है। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री का यह प्रयास निश्चित रूप से सराहनीय कहा जा सकता है। आइये, देखते हैं क्या है स्टीम कॉन्क्लेव।
स्टीम कॉन्क्लेव -
स्टीम शब्द सांइस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, आर्ट और गणित शब्द को लेकर बनाया गया है। स्टीम यह बताता है कि पढ़ने का सही तरीका और माध्यम क्या है। यह एक अवधारणा है। इसमें बच्चों को उनकी पढ़ाई में रूचि को देखते हुए और उसे बढ़ाते हुए उन्हें कुछ नया करने का एक मंच प्रदान करता है। इसमें बच्चे खुद ही अपनी समझ विकसित कर सीखते हैं। यह पढ़ाई का एक तरीका है, जो यह बताता है कि किस तरह से पढ़ाई कराई जाये जिससे कि बच्चे इसमें अपने आप को सहज होकर इसका हिस्सेदार बन सके। इसमें उन्हें रटने की जगह अपनी खुद की समझ से तालमैल बिठाते हुए सिखने और सिखाने का प्रयास किया जाता है।
इसमें स्टीम को एक कोर्स और विषय के रूप में देखा जाता है। इसमें किस क्लॉस और किस आयु वर्ग के बच्चे के लिए किस तरह का पाठ्यक्रम होना चाहिए, उसके बारे में बताया गया है। मुख्य रूप से इसमें सैद्धांतिक बातों से ज्यादा प्रयोग पर जोर दिया गया है। इसका एक और मकसद यह भी है कि बच्चे के बस्ते का बोझ कम हो।
अलग से होगी कैबिनेट -
मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ की मंशा के अनुसार अब स्कूल शिक्षा में व्यापक बदलाव के लिए विस्तृत योजना बनाई जा रही है। इस पूरी योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए अलग से स्कूल शिक्षा विभाग की कैबिनेट होगी। स्कूल शिक्षा विभाग इस नवीन योजना के लिए रणनीति बनाने में जुटा हुआ है। हालांकि अभी पूरी योजना का खुलासा नहीं हुआ है।
अभिनव प्रयास -
सामान्यतः हमारे देश में स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा दोनों रटने पर आधारित है। इससे बच्चे का मानसिक विकास नहीं हो पाता है। इस नवीन योजना के अन्तर्गत बच्चों को सैद्धांतिक बातों के बजाय उसके प्रयोगों पर ज्यादा ध्यान दिया जायेगा। यानी बच्चे करके सीखेंगे, पढ़कर नहीं। यह प्रयास यदि सफल सिद्ध हुआ तो प्रदेश में स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में यह अभिनव प्रयास होगा। हाल फिलहाल हम इसकी सफलता की कामना करते हैं।
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