मौनी अमावस्या पर पितृों की कृपा पाने करें इस तरह से पूजा
मौनी अमावस्या को कुछ क्षेत्रों में माघी अमवास्या भी कहा जाता है। माघ के महीने में कड़ाके की सर्दी होती है और मौसम में काफी ठंडक घुली हुई होती है। Mauni Amavasya के अवसर पर श्रद्धालु नदियों में स्नान कर पुण्य कमाते हैं। Mauni Amavasya के दिन मौन व्रत धारण करने का भी विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन मौन व्रत धारण कर मन को संयमित किया जाता है। इस दिन मौन रहकर मानसिक रूप से ईश्वर का ध्यान करने का विधान बताया गया है। यदि मौन रहना संभव न हो तो इस बात का ख्याल रखें की गुस्सा न करें और कैसी भी परिस्थिति हो कटु वचन न बोलें।
Mauni Amavasya 2020 तिथि और मुहूर्त
दिन - 24 जनवरी, शुक्रवार
अमावस्या तिथि का प्रारम्भ - 24 जनवरी को 2 बजकर 17 मिनट से
अमावस्या तिथि का समापन - 25 जनवरी को 3 बजकर 11 मिनट तक
Mauni Amavasya के व्रत की विधि
Mauni Amavasya के दिन सूर्योदय के पूर्व उठ जाएं। स्नान आदि से निवृत्त होकर तन-मन के पवित्रिकरण के बाद Mauni Amavasya के व्रत का संकल्प लें। संभव हो तो किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करें। यदि घर पर स्नान करें तो स्नान के जल में गंगाजल या पवित्र नदी का जल मिला सकते हैं। स्नान के बाद प्रभु स्मरण करते हुए तिल और तिल से बने पदार्थों के दान का विशेष महत्व है। तिल के लड्डू, तिल का तेल, आंवला, कंबल, जूते, गरम वस्त्र वस्त्रादि का दान किसी गरीब या विद्धान ब्राह्मण को करने से पुण्यफल की प्राप्ति होती है।
पितृ कृपा के लिए करें उपाय
इस दिन पितृ तर्पण करने से पितृों की कृपा प्राप्त होती है। Mauni Amavasya को भगवान विष्णु की पूजा करने का विशेष विधान है। इस दिन श्रीहरी की प्रतिमा या चित्र को स्थापति करें। भगवान विष्णु को पीला चंदन, पीले फूल, पीली मिठाई आदि समर्पित करें। 'ओम मो भगवते वासुदेवाय नमः ' मंत्र का हल्दी की माला से 108 बार जप करें। भगवान विष्णु की आरती उतारें और प्रसाद का वितरण करें। कुंडली में चंद्रमा कि स्थिति अच्छी न होने पर दूध, चावल, खीर, मिश्री, बताशा दान करने से चंद्र के दोष का निवारण होता है।