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रूद्रसागर विकास योजना का होना चाहिए विरोध


डॉ. चन्दर सोनाने

                    स्मार्ट सिटी द्वारा उज्जैन के पौराणिक रूद्रसागर के विकास के लिए करीब 97 करोड़ रूपये की लागत की एक योजना बनाई गई। इस प्रोजेक्ट में महाकाल-रूद्रसागर फेज-1 के अर्न्तगत रूद्रसागर के किनारे पर दर्शनार्थियों की सुविधा के लिए 125 मीटर लंबा और 20 मीटर चौड़ा एक फ्रन्ट भी बनाया जायेगा।  दर्शनार्थियों के लिए शिव कॉरिडोर के साथ ही लेजर शो और कमलताल भी बनाया जायेगा। इसके साथ ही इस योजना में और भी निर्माण कार्य किये जाने प्रस्तावित है।
                   किन्तु स्कंद पुराण में उल्लेखित सप्तसागरों में से एक इस रूद्रसागर के पौराणिक महत्व ओैर उसके स्वरूप से कोई छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए। सिंहस्थ 2016 में इसी रूद्रसागर की जमीन पर ही मध्यप्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग ने अतिक्रमण करते हुए भव्य त्रिवेणी संग्रहालय का निर्माण कर दिया है। इससे रूद्र सागर यू हीं छोटा हो गया है। अब स्मार्ट सिटी में महाकाल- रूद्र सागर फेज 1 के अर्न्तगत एक नया काम हाथ में लिया गया है। यदि स्मार्ट सिटीरूद्र सागर के विकास के लिए सही मायने में कुछ अच्छा करना चाहती हैं तो सबसे पहले उन्हें ये ध्यान रखना होगा कि रूद्रसागर का स्वरूपऔर भौगोलिक स्थिति तथा आकार में कोई परिवर्तन नहीं आये और अब किसी भी स्थिति में यह पौराणिक और सांस्कृतिक महत्व का रूद्र सागर और छोटा नहीं होने पाये। स्मार्ट सिटी रूद्र सागर के विकास के लिए जो कुछ भी करना चाहे तो वह रूद्र सागर के चारों औेर की शासकीय जमीन और निजी जमीन को अधिग्रहित करके ही योजना बनाए।
                    उज्जैन के बुजुर्ग वाशिंदांने वर्षों पूर्व रूद्र सागर का जो स्वरूप देखा है वह अत्यन्त विशाल था। बड़े बुजुर्ग बताते हैं, पहले रूद्रसागर दो भागों में बँटा हुआ नहीं था, जैसा आज है। अब उसका एक भाग जो हरसिद्धी मंदिर के सामने है, उस पर भी बेतहाशा अतिक्रमण हो गया है। हरसिद्धी मंदिर के सामने वाले रूद्रसागर में अतिक्रमण करते हुए अन्न क्षेत्र भी बनाया गया है। यह अन्न क्षेत्र 2004 के सिंहस्थ के पूर्व बनाया गया था। इसे कोई हटा नहीं पाया है। बल्कि इस पर ओैर भी अतिक्रमण हो रहे हैं। हरसिद्धि की पाल के दूसरे किनारे पर भी अनेक लोगों ने दंबगता के साथ अतिक्रमण कर पक्के निर्माण कर लिये हैं। 
              अब रूद्रसागर के दोनों हिस्सो में और अतिक्रमण नहीं हो, इसके लिए जरूरी यह है कि इस पौराणिक रूद्र सागर को संरक्षित रखने के लिए वर्षों पूर्व के भूअभिलेख का रिकॉर्ड देखा जाये और उसके अनुसार सबसे पहले इस रूद्रसागर के दोनों हिस्से का सीमांकन करके बाउन्ड्री वॉल बना दी जाये, ताकि फिर कोई शासकीय एजेंसी या निजी व्यक्ति इस पौराणिक महत्व के रूद्रसागर पर अतिक्रमण न कर सके। नगर निगम के युवा अध्यक्ष श्री सोनू गेहलोत ने 2016 के सिंहस्थ के पूर्व रूद्र सागर के गहरीकरण का कार्य लंबे समय तक स्वयंसेवी संस्थाओं के सहयोग से किया था। उन्होंने सप्तसागरों के अन्य तालाबों के सौन्दर्यीकरण और सीमांकन व बाउन्ड्रीवॉल बनाने का भी अद्भूत और ऐतिहासिक कार्य कर दिखाया था। ऐसा ही कार्य अब रूद्रसागर के सीमांकन और  बाउन्ड्रीवॉल बनाकर किया जाना चाहिए। ये दोनो कार्य हो जाने के बाद शासन और प्रशासन को स्वयंसेवी संस्थाओं के सहयोग से इस रूद्रसागर का गहरीकरण कार्य किया जाना चाहिए। इसके बाद ही रूद्रसागर की विकास की योजना को मूर्त रूप दिया जाना चाहिए। 
            वर्तमान में प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ ने भूमाफियाओं के विरूद्ध प्रदेश व्यापी एक सराहनीय अभियान आरंभ कर रखा है। उज्जैन के कलेक्टर श्री शशांक मिश्र और पुलिस अधीक्षक श्री सचिन अतुलकर दोनों युवा है। वे दोनों यदि ठान लें तो रूद्र सागर में किये गए तमाम अतिक्रमणों पर भी अपना बुलडोजर चलाकर रूद्र सागर को मूल स्वरूप में लाने का ऐतिहासिक कार्य कर सकते हैं। इस कार्य में उज्जैन के सभी राजनैतिक दल, जनप्रतिनिधियों तथा स्वयंसेवी संस्थाओं को भी आगे की जरूरत है।
               स्मार्ट सिटी के रूद्रसागर विकास के प्रोजेक्ट को एक नजर देखने पर ही यह स्पष्ट रूपसे दिखार्द देता है कि रूद्र सागर के करीब 40 प्रतिशत हिस्से में यह योजना बनाई जा रही है। अर्थात स्मार्ट सिटी की इस योजना के बनने से रूद्र सागर के मूल स्वरूप और आकार में करीब 40 प्रतिशत की कमी हो जायेगी। यह निश्चित रूप से किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं कहा जा सकता। इसके लिए जनप्रतिनिधियों और स्वयंसेवी संस्थाओं को स्मार्ट सिटी की इस योजना का पुरजोर विरोध करना चाहिए। 
                  उज्जैन के ऐतिहासिक और पौराणिक सप्तसागरों के अर्न्तगत रूद्रसागर का अपना एक विशिष्ट महत्व है। प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर के निकट होने के कारण इस सप्त सागर का अपना विशिष्ट धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व भी है। इसलिए सप्तसागरों में से सर्वाधिक महत्व इस सागर को देते हुए इसके मूल स्वरूपको बनाये रखते हुए प्राथमिकता के आधार पर सीमांकन और बाउंड्रीवॉल बनाने के बाद ही अन्य विकास एवं सौन्दर्यीकरण के कार्य किये जाने चाहिए। आशा करते है कि शासन, जिला प्रशासन और स्मार्ट सिटी इस ओर ध्यान देगी। प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ से भी अपेक्षा है कि वे इस ओर विशेष ध्यान देकर रूद्र सागर का मूल स्वरूप बनाये रखने के इस पुनीत कार्य में पुरोधा बने।
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