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जनसम्पर्क विभाग में संचालक के दो विभागीय पद आईएएस को जाते-जाते बचे


डॉ. चन्दर सोनाने
                    राज्य सरकार के महत्वपूर्ण विभाग जनसम्पर्क में कुछ साल पहले संचालक के दो पद स्वीकृत हुए थे। ये दोनां पद जनसम्पर्क विभाग के ही अधिकारियों से पदोन्नत्ति द्वारा भरे जाने के लिए निर्मित किये गए थे। सबसे पहले इन दोनों पदों में से जनसम्पर्क संचालनालय में संचालक के पद पर श्री लाजपत आहूजा को अपर संचालक से पदोन्नत्ति देकर पदस्थ किया गया था। इसी प्रकार संचालक का दूसरापद जनसम्पर्क विभाग के ही अर्न्तगत गठित उपक्रम मध्यप्रदेश माध्यम में कार्यपालक निदेशक के लिए स्वीकृत हुआ था। इस पद पर श्री सुरेश तिवारी को अपर संचालक से पदोन्नत्ति देकर पदस्थ किया गया था। 
                  इन दोनां विभागीय संचालक के पदों में से श्री लाजपत आहूजा की सेवानिवृत्ति के बाद इस रिक्त संचालक के पद पर अपर संचालक श्री अनिल माथुर को पदोन्नत्ति देकर उनकी पदस्थापना की गई थी। श्री माथुर ने एक साल तक संचालक के पद पर कार्य किया। इसके बाद वे सेवानिवृत्त हो गए। किन्तु वे सेवानिवृत्ति के बाद तुरंत ही संविदा पर अगले करीब दो साल और संचालक के पद पर रहे। फिर इस पद पर शिवराज सरकार ने अपने चहेते आईपीएस अधिकारी को संचालक के पद पर पदस्थ कर एक नई शुरूआत कर दी। ये भी इस पद पर करीब एक साल रहे और चुनाव बाद हटा दिये गए। तबसे जनसम्पर्क विभाग में जनसम्पर्क संचालनालय में संचालक का पद रिक्त है। 
                 चूँकि संचालक का अगला पद रोस्टर के अनुसार अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित था। इस पद के लिए अपरसंचालक के पद पर एक अनुसूचित जनजाति का अधिकारी पूर्व से ही पदस्थ था। इसके बावजूद उसका प्रमोशन नहीं किया गया। क्योंकि विभागीय अधिकारियों में से अनुसूचित जनजाति के इस पद पर किसी की भी नियुक्ति के लिए कोई भी पक्षधरनहीं था। न ही कोई सक्षम अधिकारी ऐसा था जो सख्ती से रोस्टर का पालन करासके। इसलिए इस पद पर पिछले करीब एक साल से संचालक के पद पर पदोन्नत्ति के लिए कोई ठोस कार्रवाई किसी ने भी नहीं की। इसलिए ये पद रिक्त रहा। 
                विभागीय संचालक के दूसरे पद पर जोड़तोड़ में माहिर अपर संचालक श्री मंगला मिश्रा जुगाड़ करके मध्यप्रदेश माध्यम में बिना पदोन्नत्ति प्राप्त किए ही प्रभारी कार्यपालक निदेशक के पद पर पदस्थ हो गए। उन्होंने प्रभारी रहते हुए ही कार्यपालक निदेशक के समस्त अधिकारों को भरपूर उपयोग और दोहन किया। एक साल पूर्व मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार आने पर श्री मंगला मिश्रा के विरूद्ध अनेक शिकायतों के कारण उन्हें मध्यप्रदेश माध्यम से हटाकर संभागीय कार्यालय रीवा पदस्थ कर दिया गया। 
                विभागीय अधिकारियों में से अपर संचालक के पद पर पदस्थ सभी अधिकारी आपसी खींचतान के कारण और एकमत नहीं होने के कारण विभागीय दोनों संचालक के पद काफी समय से रिक्त पड़े हुए है। उच्च अधिकारियों ने भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। इस कारण इन दो पदों पर आईएएस की निगाह गई। वे ऐसे महत्वपूर्ण पदों की ताक में रहते ही है। और हुआ भी यही। पिछले दिनों एक आईएएस अधिकारी श्री विकास नरवाल को जनसम्पर्क विभाग के संचालक के दोनों पदों यानीजनसम्पर्क संचालनालय में संचालक के पद पर और मध्यप्रदेश माध्यम में कार्यपालक निदेशक के पद पर पदस्थ करने के आदेश जारी कर दिए गए। किन्तु श्री नरवाल इन दोनों पद पर आने के इच्छुक नहीं होने के कारण पिछले दिनों इनके आदेश को निरस्त कर दिया गया। इस प्रकार जनसम्पर्क विभाग के विभागीय संचालक के दोनों पदों पर आईएएस आते-आते रूक गए। 
                अब फिर से जनसम्पर्क विभाग में विभागीय संचालक के दोनों पद रिक्त है। इन पदों पर किसी को भी प्रभारी के रूप में भी पदस्थ नहीं किया गया है। सामान्यतः ऐसा होता नहीं है। कोई अधिकारी सेवानिवृत्त हो जाता हैंया उसका स्थानान्तरण हो जाता हैतो किसी न किसी को प्रभार दिया जाता है। किन्तु अभी तक फिर अपरसंचालकों की आपसी खींचतान के कारण इन पदों पर किसी को भी प्रभारी के रूप में नियुक्त नहीं किया गया है। उच्च अधिकारी भी आंखे मूंदे बैठे हैं। 
                अब जनसम्पर्क विभाग के अधिकारियों को चाहिए कि वे आपसी बैर भूलकर एक दूसरे की टाँग खींचना बंद करें। साथ ही वे एक दूसरे के लिए रूकावटें भी नहीं बनें । जनसम्पर्क विभाग की पुरानी गरिमा के अनुसार वे विभाग के गौरव के नाते संगठित और एक हों । विभाग के इन दोनों संचालक के पदों पर विभागीय अधिकारियों की ही तैनाती के लिए सभी अधिकारी एकजुट होकर प्रयास करें तो संभव है कि शांत और गंभीर जनसम्पर्क मंत्री श्री पीसी शर्मा उनकी बातों पर जरूर गौर करेंगे। तब वे प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ के सामने उनकी पैरवी करेंगे तो फिर से इन दोनो पदों पर विभागीय अधिकारी ही तैनात हो सकेंगे। इसके साथ ही विभागीय अधिकारियों को यह भी चाहिए कि वे अपर संचालकों की पदोन्नत्ति के लिए एकजुट होकर प्रयास करें तो उन्हें जरूर सफलता मिल सकेगी और दोनों विभागीय पद वे बचा सकेंगे। अन्यथा फिर किसी आईएएस की इन पदों पर नियुक्ति होने से कोई नहीं रोक सकेगा। 

                         विभागीय संचालक के दो महत्वपूर्ण पदों के साथ - साथ कुल 12 अधिकारियों की पदोन्नति से भी ये मामला जुड़ा हुआ है । इसे यूँ समझ सकते हैं । यदि दो अपर संचालक की पदोन्नति संचालक के पद पर होती है तो दो संयुक्त संचालक अपर संचालक बनेंगे । इसके  साथ ही दो उप संचालक संयुक्त संचालन बनेंगे । दो सहायक संचालक उप संचालक बन जाएंगे । साथ ही दो सहायक जनसंपर्क अधिकारी सहायक संचालक हो जाएंगे । इससे जुड़े दो सूचना सहायक और प्रचार सहायक सहायक जनसंपर्क अधिकारी बन सकेंगे । इसलिए विभाग के छोटे बड़े सभी अधिकारियों को एकजुट होकर विभागीय संचालक की मुहिम में जुट जाना चाहिए । इसमें सब का भला है । अन्यथा एक बार आईएएस इन दोनों पदों पर आ गए तो उन्हें हटाना नामुमकिन होगा ।
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