प्रदूषण पर सर्वोच्च न्यायालय की सख्ती सराहनीय
संदीप कुलश्रेष्ठ
ओैर इस साल फिर से दिल्ली शहर में जानलेवा प्रदूषण से साँस लेना दूभर हो गया है। पंजाब , हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने से दिल्ली का प्रदूषण बढ़कर खतरनाक स्थिति पर पहुँच गया है। यह पहली बार नहीं है। पिछले अनेक सालों से ये हो रहा है। जब-जब भी दिल्ली में प्रदूषण खतरनाक स्थिति पर पहुँचा तब-तब दिखावे के लिए कार्रवाई की गई ओैर राज्य सरकारों द्वारा सम्बन्धितों की बैठकंे लेकर निर्देश देकर कत्र्तव्य की इति श्री मान ली गई। कभी भी किसी ने भी इस दिशा में कोई ठोस काम नहीं किया । मजबूरन सुप्रीम कोर्ट को आगे आना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस श्री अरूण मिश्रा और श्री दीपक गुप्ता की बेंच ने दिल्ली और केन्द्र सरकार को फटकार लगाई। इसके साथ ही बेंच के दोनों न्यायधीशों ने दिल्ली में प्रदूषण फैलाने वाले तीन राज्यों पंजाब, हरियाणा और उत्तरप्रदेश के ग्राम पंचायत से लेकर प्रदेश के मुख्य सचिव तक को जिम्मेदार ठहराया तथा पराली जलाने पर सख्ती से रोक लगाने के निर्देश दिए।
सरकारें और विभिन्न एजेंसी नाकाम-
दिल्ली और एनसीआर की जहरीली हवा पर सर्वोच्च न्यायालय ने सख्ती दिखाते हुए कहा कि सरकारें और विभिन्न एजेंसियाँ प्रदूषण को नियंत्रित करने में नाकाम रही है। सर्वोच्च न्यायालय के दोनों न्यायधीशों ने दिल्ली और केन्द्र सरकार को फटकार लगाते हुए यहाँ तक कहा कि दिल्ली शहर का दम घुट रहा है।लेकिन सरकारें आरोप प्रत्यारोपण में ही उलझी है। पंजाब , हरियाणा और उत्तरप्रदेश के क्षेत्रों में पराली जलाने पर उन्होंने कहा कि किसान फसलों से अपनी आजीविका के लिए दूसरों को मार नहीं सकते। हमें ऐसे किसानों से कोई सहानूभूति नहीं है। क्योंकिवह जानबूझ कर ऐसा कर रहा है। दिल्ली हर साल इसी तरह घूटती है और हम कुछ नहीं कर पाते। किसान पराली जलाते हैं और दूसरो को मरने के लिए छोड़ देते हंै। राज्य सरकारें सही तरीके से काम नहीं कर रही। उनकी दिलचस्पी सिर्फ चुनाव में है। हर चीज का मजाक बनाया जा रहा है।
पंचायत से लेकर मुख्य सचिव तक सभी को माना जिम्मेदार -
सर्वोच्च न्यायालय की बंेच ने दिल्ली में खतरनाक प्रदूषण पर पंजाब , हरियाणा और उत्तरप्रदेश के मुख्य सचिवों को तलब किया है। दोनों न्यायाधीशों ने पराली जलने पर पंजाब, हरियाणा और उत्तरप्रदेश के ग्राम पंचायत, थाना प्रभारी, तहसीलदार, कलेक्टर, कमिश्नर और मुख्य सचिव को सीधे जिम्मेदार माना और इन सभी को पराली जलाने पर रोक का आदेश दिया। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पराली जलने पर ये सब जिम्मेदार होंगे। सर्वोच्चय न्यायालय की बेंच ने आईआईटी के प्रोेफेसरांे से भी पराली जलाने से रोकने, कचरा प्रबंधन और धूल रोकने पर सुझाव माँगेतथा इसके साथ ही उन्होंने प्राप्त सुझावों के अनुसार कार्य करने के भी निर्देश दिए।
दिल्ली और एनसीआर में स्वास्थ्य आपातकाल -
दिल्ली में पहले खतरनाक प्रदूषण के कारण राज्य सरकार ने सभी स्कूलों की छुट्टी कर दी है तथा निर्माण कार्य पर रोक लगाते हुए खुले में सैर या कसरत न करने की समझाइश दी गई है। सरकार की एजेंसी के अनुसार दिल्ली के प्रदूषण में 44 प्रतिशत हिस्सा पराली के धुँए का पाया गया। यह इस सीजन में सबसे ज्यादा है। गत 30 अक्टूबर को पंजाब में 19,869 और हरियाणा में 4,211 जगहों पर पराली जली। दिल्ली में 4 से 14 नवंबर तक आॅड-ईवन योजना लागू की गई है। इसके साथ ही लोगों की सुविधा के लिए आधे दफ्तर 9.30 और आधे 10.30 बजे से खुलने के निर्देश दिए गए है। सड़कांे पर मशीन से झाड़ू लगाने के साथ ही पानी भी छिड़का जा रहा है। निर्माण और ढहाने की गतिविधियों पर 1 लाख रूपए का जुर्माना लगाया जायेगा। कोयला आधारित उद्योग बंद रहेंगे। अगले आदेश तक जनरेटर के इस्तेमाल पर भी पाबंदी लगा दी गई है। दिल्ली सरकार स्कूली बच्चों को लाखों की संख्या में मास्क बांटने में लगी है । साथ ही लोगों से भी मास्क पहनने का अनुरोध किया जा रहा है।
तत्कालीन और दीर्घकालिन योजना बनाई जाए -
दुनिया में भारत सबसे ज्यादा प्रदूषित देश माना गया है। दिल्ली सहित 20 शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी एक्यूूआई बेहद खतरनाक स्तर 400 को पार कर गया है। दिल्ली में सर्वाधिक 484 रहा। दुनिया के अन्य देश भी प्रदूषण से प्रभावित होते हंै। किन्तु उन्होंने दीर्घकालिन योजना बनाकर खतरनाक प्रदूषण से काफी हद तक मुक्ति प्राप्त कर ली है। हमारे पड़ोसी देश चीन में भी 5 साल पहले खतरनाक प्रदूषण था, किन्तु चीन ने दीर्घकालिन योजना बनाकर उस पर अधिकार कर लिया। ऐसा ही हमारे देश में भी किये जाने की आवश्यकता है। वर्तमान में दिल्ली की खतरनाक जहरीली हवा पर नियंत्रण के लिए तत्काल प्रभावी कार्रवाई करने के साथ-साथ भविष्य में अगले साल ऐसी स्थिति नहीं आए, इसके लिए दीर्घकालिन योजना बनाने की आवश्यकता है। इसके लिए केन्द्र सरकार को पंजाब, हरियाणा और उत्तरप्रदेश के साथ ही व दिल्ली सरकार के साथ इस दिशा में संयुक्त कार्य योजना बनाने की आवश्यकता है। इसके साथ इन राज्यों में किसानों में गाँव-गाँव तक जनजागरूकता अभियान चलाने की भी जरूरत है। इसमें किसानों को यह बताना आवश्यक है कि पराली जलाने से मिट्टी की उपजाऊ क्षमता कम होती है। और इससे उनके ही खेतों की उत्पादन क्षमता में कमी आती है। पराली जलाने से किसानों का ही नुकसान है। यह बात उन्हें गाँव-गाँव शिविर लगाकर समझाने की आवश्यकता है। जब किसान ये बात समझजायेंगे तो वे पराली नहीं जलायेंगे और इस प्रकार हम हवा को जहरीला होने से रोक सकेंगे।
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