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कागजों में हो रहा है देश खुले में शौच से मुक्त


डॉ. चन्दर सोनाने
                    हाल ही में एक ही दिन दो समाचार प्रमुखता से समाचार पत्रों में प्रकाशित हुए। एक समाचार था प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 2 अक्टूबर को देश को खुले में शौच से मुक्त करेंगे। वहीं दूसरा समाचार था खुले में शौच से मुक्त हो चुके शिवपुरी जिले के भावखेड़ी गाँव में 10 साल के अविनाश और 12 साल की रोशनी को लाठियों से पीट-पीट कर इसलिए हत्या कर दी गई कि दोनों मासूम खुले में शौच कर रहे थे। ये दोनों समाचार हमें सोचने के लिए मजबूर करते हैं। इससे ऐसा लग रहा है कि कागजों में ही हो रहा देश खुले में शौच से मुक्त।
                   देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने देश में स्वच्छता अभियान चलाकर एक क्रान्तिकारी पहल आरम्भ की । महात्मा गाँधी के बाद वे पहले व्यक्ति है जिन्होंने स्वच्छता अभियान के प्रति अलख जगाई । निःसंदेह उनका काम सराहनीय है। प्रधानमंत्री ने योजना बनाई थी कि 2 अक्टूबर 2019 को महात्मा गाँधी की 150 वीं जयंती तक देश को खुले में शौच से मुक्त कर देंगे। इसके लिए उन्होंने कार्य योजना भी बनाई। खुद ने झाड़ू भी उठाई। व्यापक प्रचार-प्रसार भी किया गया। विभिन्न क्षेत्र के प्रमुख व्यक्तियों को इसके प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी दी गई और उन्होंने अपना कर्तव्य भी निभाया। निःसंदेह इससे देश में जागरूकता आई। देश भर में इस दिशा में बहुत अच्छे काम भी हुए और घर- घर शौचालय बनाने की मुहिम ने भी अपना प्रभाव दिखाया। 
                    किन्तु, कोई भी बहुउद्देशी कार्य योजना समय पर अपना शतप्रतिशत परिणाम दे ही जाए, यह जरूरी नहीं। और देश को खुले में शौच से मुक्तकरना तो एक बहुत बड़ा काम है। अभी भी देश की एक तिहाई आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही है। इसके साथ ही लोगों की सोच में भी बदलाव लाना है। यह सब इतना आसान नहीं था कि अपने लक्ष्य के अनुसार 2 अक्टूबर 2019 तक देश खुले में शौच से मुक्त हो जाए। किन्तु पता नहीं कैसे यह सोच लिया गया ओर कागजों मे ही यह घोषणा कर दी गई कि गाँव, नगर और जिले खुले में शौच से मुक्त हो रहे हैं। यानी ओडीएफ हो रहे हैं। ये ओडीएफ होने की आपसी प्रतिस्पर्धा ने ही जिलां और राज्यों का कचरा किया है। अभी तक देश खुले में शौच से मुक्त हुआ नहीं हैं। और प्रधानमंत्री जी इस गाँधी जयंती 2 अक्टूबर को देश को शौच से मुक्त करने जा रहे हैं !
                    आश्चर्यजनक है कि मध्यप्रदेश का शिवपुरी जिला ओडीएफ घोषित हो चुका है। यानी इस जिले के सभी गाँव और नगर खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं। ऐसे में इस जिले के ग्राम भावखेड़ी में दो मासूम बच्चों को खुले में शौच के कारण हाकिमसिंह यादव और उसके भाई रामेश्वर यादव द्वारा लाठियों से पीट-पीटकर मार डालना क्या कहानी कह रही है ? दोनोंमासूम बच्चों के पिता मनोज वाल्मीकि, जो कि गाँव में एक झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं,का कहना है कि दोनों आरोपी सरपंच सूरज सिंह के परिवार से हैं। वे दोनों अक्सर दंबगई करते रहते हैं। पहले इन लोगों ने शौचालय नहीं बनने दिया और मजबूरी में खुले में शौच के लिए गए तो वहाँ हमारे दोनों बच्चों को मार डाला । मनोज ने यह भी बताया कि पिछले साल उसके घर पर शौचालय बनाने की सूची में उसका नाम था। आवश्यक कागज जमा करवाने के बावजूद सरपंच और सचिव ने उसका नाम सूची से काट दिया। यदि उसके घर शैचालय बना होता तो यह घटना नहीं होती। 
                  शिवपुरी के ग्राम भावखेड़ी में हुई घटना हम सबके लिए शर्मनाक है। राज्य शासन को तुरन्त कार्रवाई कर दोषी व्यक्ति को सख्त दंड देने के लिए कार्रवाई करना चाहिए। इसके साथ ही मृत मासूम बच्चों के पिता जो कि एक झोपड़ी बनाकर रह रहे है, उन्हें पक्का मकान व शौचालय बनाकर देने की कार्रवाई करें तभी उनके साथ न्याय हो सकेगा।
                  उक्त दोनों समाचार अलग-अलग कहानी कह रहे हैं। जो एक दूसरे के विरोधाभासी हैं। यहाँ सवाल यह उत्पन्न होता है कि यह घटना तो सामने आ गई, किन्तु अभी भी देश में कई गाँव व शहर ऐसे हैं , जहाँ आज भी लोग खुले में शौच के लिए मजबूरीवश जाते हैं। ऐसे गाँव और शहर में झोपड़ी अथवा कच्चे मकान बनाकर रह रहे लोगों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के अर्न्तगत पक्का मकान व शौचालय बनाकर देने की पहल प्राथमिकता के आधार पर करें तभी वास्तवमें गाँव व शहर खुले में शौच से मुक्त हो सकेंगे।शिवपुरी जैसीस्थिति होने पर भी क्या मजबूरी है कि प्रधानमंत्री अपनी पूर्व घोषणा अनुसार इसी 2 अक्टूबर को देश को खुले में शौच से मुक्त करने जा रहे है ? यह सवाल ज्वलन्त है। और सोचनीय भी है। क्या प्रधानमंत्री जी इस पर पुनर्विचार करेंगे ? और शिवपुरी जिले के गाँव की घटना को देखते हुए देश भर में एक स्वतंत्र एजेंसी से यह सर्वेक्षण करायेंगे कि वास्तव में कितने गाँव व शहर खुले में शौच से मुक्त हुए हैं। जब सभी गाँव और शहर वास्तव में खुले में शैच से मुक्त हो जाए तो प्रधानमंत्री जी जरूर देश को खुले में शौच से मुक्त करें ! अभी नहीं। यदि प्रधानमंत्री जी ऐसी नहीं करते हैं तो उनकी ही विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लग जायेगा।
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