सरकारी स्कूलों का स्तर सुधारने के लिए गंभीर प्रयास की जरूरत
संदीप कुलश्रेष्ठ
प्रदेश के सरकारी प्राथमिक, माध्यमिक और हाई स्कूल का शैक्षणिक स्तर अत्यन्त निम्न स्तर का है । यह उज्जैन जिले के सरकारी स्कूलों के दक्षता उन्नयन कार्यक्रम के दौरान देखने को मिला। उज्जैन को यदि एक उदाहरण माना जाये तो प्रदेशभर के सभी सरकारी स्कूलों की यही स्थिति देखने को मिलेगी। पिछड़े और आदिवासी क्षेत्रों में तो स्थिति इससे भी बद्तर है।
उल्लेखनीय है कि उज्जैन जिले के सभी 202 शासकीय स्कूलों मे कक्षा नांवी के विद्यार्थियां का स्तर नांवी तक लाने के उद्देश्य से ब्रीज कोर्स संचालित किया जा रहा है। दक्षता उन्नयन कार्यक्रम के अर्न्तगत इसमें विद्यार्थियों को अंग्रेजी, हिन्दी और गणित विषय का अलग से प्रशिक्षण विषय विशेषज्ञ शिक्षक दे रहे हैं। जून से सितम्बर तक तीन चरणों में यह ब्रीज कोर्स पूरा होना है। जून में विद्यार्थियों के प्रवेश के समय बेस लाइन टेस्ट लेकर इन विद्यार्थियों की दक्षता का आकलन किया गया था। इसके बाद जुलाई और अगस्त माह में मिड लाइन टेस्ट की प्रक्रिया पूरी हुई है। मिड लाईन टेस्ट की रिपोर्ट के आधार पर आइये देखते हैं उज्जैन जिले के क्या हैं हालात !
कक्षा नौंवी के विद्यार्थियां की हालात !-
उज्जैन जिले के शासकीय स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा नांवी के 68.42 प्रतिशत विद्यार्थियों का स्तर अग्रेंजी में तीसरी से पाँचवी कक्षा जितना है। मात्र 4.58 प्रतिशत विद्यार्थी ही नांवी कक्षा के स्तर के पाए गए। अंग्रेजी विषय में जिले में 26.99 प्रतिशत विद्यार्थियों का स्तर छठवीं से आठवीं तक का पाया गया। हिन्दी विषय में 22.76 प्रतिशत विद्यार्थियों का स्तर तीसरी से पाँचवी कक्षा स्तर का और 56.59 प्रतिशत विद्यार्थियों का स्तर छठवीं से आठवीं कक्षा तक का देखा गया। केवल 20.65 प्रतिशत विद्यार्थी ही नौवीं कक्षा के स्तर के पाए गए। गणित विषय में भी विद्यार्थियों की दक्षता काफी कम पाई गई है। 43.77 प्रतिशत विद्यार्थियों का स्तर तीसरी से पाँचवी कक्षा तक का और 50.37 प्रतिशत विद्यार्थियों का स्तर छठवीं से आठवीं कक्षा तक के स्तर का पाया गया है।
स्तर कम होने के मुख्य कारण -
दक्षता का स्तर कम होने के सरकारी स्तर पर मुख्य कारण भी बताए गए है। इनमें प्रमुख कारण इस प्रकार है- आठवीं कक्षा तक विद्यार्थियों को फेल करने का नियम नहीं है। इसलिए शिक्षक भी इनके स्तर कम होने के बाद भी इन्हें केवल पास करने पर ही जोर देते है। प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर मॉनिटरिंग में कमी के कारण विद्यार्थी का स्तर कम हुआ है। प्राथमिक और माध्यमिक स्तर में अ्रंग्रेजी और गणित विषयों के शिक्षकों की भी कमी है। इस कारण इन विषयों को अन्य विषयों के शिक्षक पढ़ाते हैं।
गंभीर प्रयास की जरूरत -
प्रदेश के सरकारी स्कूलों का शैक्षणिक स्तर सुधारने के लिए राज्य सरकार को गंभीर प्रयास करने की जरूरत है। सबसे पहले अद्योसंरचना को सुदृंढ करने की आवश्यकता है। गणित और अंग्रेजी विषय के शिक्षकां की भर्ती की जरूरत है। यही नहीं सबसे बड़ी आवयश्कता इस बात की है कि प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के सभी रिक्त पदों की पूर्ति की जाए । वर्तमान में हालत ये है कि प्रदेश के अनेक प्राथमिक विद्यालय ऐसे है जहाँ केवल एक ही शिक्षक कक्षा एक से पाँचवी तक के विद्यार्थियों को सभी विषय पढ़ाते हैं। इससे दक्षता में सुधार की आशा करना व्यर्थ है। एक शिक्षकीय स्कूलों की प्रथा तत्काल समाप्त कर कम से कम दोशिक्षक प्राथमिक विद्यालय में होना आवश्यक होना चाहिए। इसी प्रकार माध्यमिक विद्यालय में भी विषय विशेषज्ञों के शिक्षकों की पूर्ति किये जाने की जरूरत है । राज्य सरकार जब तक इस दिशा में गंभीरता पूर्वक ठोस प्रयास नहीं करेगी, तब तक सरकारी स्कूलों के शैक्षणिक स्तर के सुधरने की अपेक्षा नहीं की जा सकती।
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