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करीब 70 साल पहले भी थी 8 फीट ऊँची बाबा महाकाल की पालकी


डाॅ.चन्दर सोनाने

             पिछले सोमवार को बाबा महाकाल की शाही सवारी उज्जैन में धूमधाम से निकली।रिमझिम और तेज बारिश में भी श्रद्धालु बाबा की एक झलक पाने के लिए डटे रहे। प्रशासन द्वारा दोहरी सुरक्षा के बंदोबस्त किये गए थे यानी डबल बेरिकेड्स लगाए गए थे। 6 फीट से भी ऊँचे इन दो-दो बेरिकेड्टस में से बच्चे, महिलाएँ और पुरूष अपने राजाधिराज की एक झलक पाने के लिए तरसते रहे, किन्तु भीड़ का दबाव और ऊँचे-ऊँंचे बेरिकेड्स के कारण श्रद्धालु अपने राजा के दर्शन सरलता से नहीं कर पाए और वे मन मसोस कर अपने घर पहुँचे।

            उज्जैन के अधिपति राजाधिराज बाबा महाकाल की सवारी का बंदोबस्त करने वाले कलेक्टर , पुलिस अधीक्षक , संभागायुक्त और पुलिस महानिरीक्षक के लिए एक जानकारी हालही में सामने आई है। एक भक्त ने निची पालकी से सुलभता से दर्शन नहीं होने के कारण सन 1950 का उज्जैन के राजा महाकाल की सवारी का दुर्लभ फोटो ढुंढ निकाला है। पाठक इस फोटो को ध्यान से दंेखे। कावड़ियों के कंधे पर पालकी थी, किन्तु बाबा महाकाल करीब 8 फीट ऊँची गादी पर विराजमान थे। पालकी न केवल सामने से बल्कि चारों तरफ से खुली थी। यानी श्रद्धालु चारों तरफ से कहीं से भी अपने अधिपति का सहज दर्शन कर सकते थे। जबकि उस समय आज की तुलना में श्रद्धालुओं की इतनी अत्यधिक भीड़ भी नहीं होती थी।

              अब यहाँ सहज ही यह प्रश्न उपस्थित होता है कि जब प्रशासन ने आज से करीब 70 साल पहले ऐसी पालकी बनाई थी जो करीब 8 फीट ऊँची होने से श्रद्धालु सरलता से बाबा महाकाल के दर्शन कर लेते थे तो आज वैसी ही पालकी क्यों नहीं बनाई जा सकती ? कोई भी सहजता से यह कह सकता है कि आज भी ऐसी ही नहीं बल्कि इससे भी अधिक सुविधाजनक पालकी बनाई जा सकती है, जिस पर करीब 8 फीट ऊँची गादी पर बाबा महाकल बैठकर नगर भ्रमण पर निकले और श्रद्धालु जहाँ है वहीं से सरलता से दर्शन कर सके।

               प्रदेश के मुखमंत्री श्री कमलनाथ, जिले के प्रभारी मंत्री श्री सज्जनसिंह वर्मा , संभागायुक्त, पुलिस महानिरीक्षक, कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को चाहिए कि वे उज्जैन के उन गणमान्य नागरिकों की एक बैठक बुलाए जो सवारी और पालकी के संबंध में अपने महत्वपूर्ण और उपयोगी सुझाव दें जिसे अपनाकर ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित की जाए कि उज्जैन और आसपास के ग्रामीण अंचल से आने वाले श्रद्धालु सुलभतापूर्वक बाबा महाकाल की सवारी के दर्शन कर सके। यह आसान है। बस जरूरत इस बात की है कि जनप्रतिनिधि, गणमान्य नागरिक और वरिष्ठ अधिकारी गण सजग और सचेत होकर इस दिशा में और श्रद्धालुओं की भावनाओं को समझे जो घंटों पहले से आकर सवारी मार्ग पर बैठकर राजा महाकाल की एक झलक पाने के लिए पलक पावड़े बिछाए इन्तजार करते रहते हंै।

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