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प्रदेश के 15 जिलों के लोग पी रहे हैं मिलावटी दूध


संदीप कुलश्रेष्ठ
                 विश्व स्वास्थ्य संगठन ( डब्ल्यूएचओ) और नेशनल मिल्क ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी कर खुलासा किया है कि मध्यप्रदेश के 15 जिलों के लोग मिलावटी दूध पी रहे हैं। इन जिलों में उज्जैन, ग्वालियर, बालाघाट, मुरैना, खरगोन, धार, रतलाम, अशोकनगर, भिंड, होशंगाबाद, खंडवा, बुरहानपुर, बड़वानी और शिवनी जिले शामिल है। विभिन्न मानकों पर आधारित इस रिपोर्ट में मिलावटी दूध का ये आंकड़ा 65 से 89 प्रतिशत तक दर्ज किया गया है। यह मिलावटी दूध यूरिया, डिटरर्जेन्ट, कास्टिक सोडा, अमोनियम सल्फेट और फार्मलीन जैसे खतरनाक रसायनों के मिश्रण से बनाया जाता है। 
दूध उत्पादन में देश में तीसरे नम्बर पर है मध्यप्रदेश -
              उल्लेखनीय है कि दूध उत्पादन के क्षेत्र में मध्यप्रदेश देश में तीसरे नम्बर पर है। इसके बावजूद प्रदेश के करीब एक तिहाई जिलों में मिलावटी दूध धड़ल्ले से बिक रहा है। इस मिलावटी दूध के उपयोग से लोगों के शरीर के स्वस्थ्य अंग भी काम करना बंद कर सकते हैं। दूध में मिलाए गए रसायन कैंसर और लीवर की खराबी जैसे कई गंभीर बीमारियों को जन्म देते है। महत्वपूर्ण बात यह भी है कि देश में दूध में एंन्टीबायोटिक और एल्फोटोक्सिन के अभी तक मानक ही नहीं बन पाए हैं। इसके मिश्रित दूध के सेवन से उपभोक्ता की रोगप्रतिरोधक क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती हैं।
उत्पादन और खपत में करीब 50 करोड़ लीटर का है अन्तर -
               हमारे देश में दूध का उत्पादन केवल 14.68 करोड़ लीटर प्रतिदिन ही है। जबकि दूध की खपत 64 करोड़ लीटर प्रतिदिन है। दूध के उत्पादन और खपत में 49.32 करोड़ लीटर का फर्क है। इसमें पाउडर से बने दूध का भी बराबर योगदान है। इससे स्पष्ट है कि बड़ी मात्रा में मिलावटी दूध से ही आपूर्ति हो रही है। एनीमल वेलफेयर बोर्ड भी यह मानता है कि हमारे देश में बिकने वाला 68.7 प्रतिशत दूध और दूध से बना उत्पादन मिलावटी है।
केन्द्र और राज्य को मिलकर करनी चाहिए पहल -
                  इस मिलावटी दूध के जहर से लोगां को बचाने के लिए केन्द्र और राज्य सरकारों को आगे आना चाहिए। उन्हें मिलावटी दूध बेचने वालों के विरूद्ध न केवल सख्त कानून बनाना चाहिए अपितु मिलावटी दूध की जाँच करने के लिए हर जिले में ही नहीं बल्कि हर विकास खंड स्तर पर भी पर्याप्त अमला तैनात करना चाहिए। इस अमले को दूध की मौके पर ही जाँच करने और दोषी व्यक्ति के विरूद्ध तुरन्त कार्रवाई करने के भी पार्याप्त अधिकार होने चाहिए। इसके साथ ही दूध में मिलावट की जाँच करने के उपकरण भी बाजार में सहज उपलब्ध होना चाहिए, ताकि कोई भी व्यक्ति खरीद रहे दूध की स्वयं ही जाँच कर सके और मिलावटी दूध की शिकायत करने के साथ-साथ उस जहर से बच भी सके। राज्य सरकारों को चाहिए कि वे अपने राज्य में आमजन को दूध में मिलावट की जाँच के आसान तरीके भी बताएँ, ताकि आमजन जाँच के तरीके समझ कर खुदभी जाँच कर सके।
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