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बाल विवाह रोकने में देश में हुए सराहनीय कार्य


 संदीप कुलश्रेष्ठ
            देश में बाल विवाह को रोकने की दिशा में पिछले 19 साल में उल्लेखनीय कार्य हुए हैं। यही नहीं बच्चों का जीवन स्तर सुधारने की दिशा में भी देश में काफी काम हुआ है। देश में 15 से 19 आयुवर्ग की लड़कियों की शादी रोकने में पिछले 19 वर्षो में 51 प्रतिशत की कमी आई है। यह सुधार केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा लिए गए नीतिगत फैसलों, कानूनों में किए गए बदलाव, लड़कियों की शिक्षा को दिया गया बढ़ावा और लोगों को इस संबंध में जागरूक करने के कारण हुआ है। 
            उक्त खुलासा एक एनजीओ सेव द चिल्ड्रन की वार्षिक ग्लोबल चाइल्डहुड इन्डेक्स से हुआ है। इस रिपोर्ट के अनुसार चाइल्डहुड इन्डेक्स में हमारे भारत की रैकिंग भी सुधरी है। पहले भारत का चाइल्डहुड इन्डेक्स 632 था। वहीं अब यह इन्डेक्स 769 अंको पर आ गया है। 
किशोरियों के माँ बनने की दर में 63 प्रतिशत की कमी -
            बाल विवाह को रोकने की दिशा में किये गए प्रयासों से किशोरियों के माँ बनने की संख्या में भी करीब 20 लाख की कमी आई है। यही नहीं हमारे देष में किशोरों के माँ-पिता बनने की दर में भी 63 प्रतिशत की कमी हो गई है। इसके साथ ही बाल मृत्युदर में भी 57 प्रतिशत की कमी आई है। 
नवजात शिशु की मृत्यु में आई 52 प्रतिशत की गिरावट -
            सन् 2000 में हमारे देश में 5 साल से कम उम्र के करीब 13 लाख बच्चों की असमय मौत हो गई थी, जो अब 2019 तक कम होकर 3 लाख 84 हजार पर आ गई है। उक्त रिपोर्ट के अनुसार गत 19 साल में हमारे देश में नवजात शिशु मृत्यु के मामलों में भी 52 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। यह एक उल्लेखनीय सफलता है। 
बालश्रम में हुई 70 प्रतिशत की कमी -
             बच्चों के बालश्रम की संख्या में भी उल्लेखनीय कमी आई है। हमारे देश में 5 से 14 साल के बच्चों को बालश्रम से बाहर निकालने के मामले में पिछले 19 वर्षो में 70 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। इसके साथ ही कम उम्र में माँ बनने की संख्या में भी 60 प्रतिशत की गिरावट आई है। सन् 2000 में 35 लाख लड़कियाँ कम उम्र में ही माँ बन गई थी, किन्तु अब 2019 में यह संख्या 14 लाख है। यह भी एक शानदार सफलता कही जा सकती है। 
और भी निरन्तर प्रयास करने की है जरूरत -
            उक्त एनजीओं की रिपोर्ट के अनुसार बाल विवाह में प्रभावी रोक के कारण , लोगों में आई जागरूकता और शिक्षा के कारण हमारे देश में लड़कियों की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। यदि स्थिति में यह सुधार नहीं आया होता तो हमारे देश में करीब 90 लाख लड़कियों की कम उम्र में ही शादी हो गई होती। पिछले 19 वर्षो में केन्द्र की ओर राज्य की सरकारों ने इस दिशा में सराहनीय कार्य किया है। किन्तु अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है। आज भी शहरी इलाकों में किशोरियों की विवाह की दर 6.9 प्रतिशत है। किन्तु ग्रामीण क्षेत्रों में किशोरियों की विवाह की दर दोगुने से भी ज्यादा 14.1 प्रतिशत है। इसलिए शहरी क्षेत्रों के साथ ही विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में बाल विवाह की रोकथाम के लिए अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है । बाल विवाह पर पूर्णतः रोक लगने तक यह मुहिम निरन्तर चलाए जाने की आवश्यकता है। 
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