दुनिया में पहली मलेरिया वैक्सीन अफ्रीका में लॉन्च हुई : डब्ल्यूएचओ
जेनेवा। अफ्रीकी देश मलावी में मंगलवार को दुनिया का पहली और एकमात्र मलेरिया की वैक्सीन को लॉन्च किया गया। इस ऐतिहासिक पायलट प्रोग्राम का मकसद पांच साल से कम उम्र के हजारों बच्चों की जान बचाना है, जो दुनिया के सबसे प्रमुख मौत के कारण मलेरिया के शिकार हो जाते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, आरटीएस, एस बनाने में तीस साल लगे। यह एकमात्र वैक्सीन है, जिसके लगाने के बाद बच्चों में मलेरिया की बीमारी को काफी कम किया जा सकता है। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, क्लिनिकल ट्रायल में टीका हर दस में से चार मलेरिया के मामलों को रोकने में उपयुक्त पाया गया।
यानी इस टीके को लगाने के बाद मलेरिया के मामलों में 40 फीसद तक कमी लाई जा सकती है। अफ्रीका में मालावी उन पहली तीन जगहों में से एक है, जहां आरटीएस,एस को दो साल तक के बच्चों को उपलब्ध कराया जाएगा। घाना और केन्या में आने वाले हफ्तों में इस वैक्सीन को उपलब्ध कराया जाएगा।
डब्लूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनोम घेबियस के अनुसार, पिछले 15 वर्षों में मलेरिया को नियंत्रित करने के लिए मच्छरदानी और अन्य उपायों के व्यापक प्रसार के बावजूद मलेरिका के मामलों में कमी लाने की प्रगति रुक गई है और कुछ में उलट भी गई है। वैक्सीन एक नए समाधान के रूप में काम कर सकता है, जो संभावित रूप से हजारों बच्चों की जिंदगी बचाएगा।
वैक्सीन के लॉन्च के मौके पर डब्ल्यूएचओ ने कहा कि यह मलेरिया की बीमारी को नियंत्रित करने के लिए पूरक (कॉम्प्लीमेंट्री टूल) है, जिसे डब्ल्यूएचओ के कोर पैकेज में शामिल किया गया है। मलेरिया की रोकथाम के लिए उपाय, जिसमें कीटनाशक का छिड़काव, मच्छरदानी का नियमित इस्तेमाल, मलेरिया की जांच और उसका समय पर उपचार करना शामिल है।
डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के अनुसार, मलेरिया दुनिया के अग्रणी हत्यारों में से एक है। हर दो मिनट में एक बच्चे की मौत इस बीमारी की वजह से हो रही है। इनमें से ज्यादातर मौतें अफ्रीका में होती हैं, जहां हर साल 250,000 से अधिक बच्चे इस खतरनाक बीमारी से मर जाते हैं। पांच साल से कम उम्र के बच्चों की इस जानलेवा बीमारी से मौत होने का खतरा काफी ज्यादा होता है। दुनिया भर में मलेरिया से हर साल करीब चार लाख 35 हजार लोगों की मौत होती है, जिनमें से अधिकांश बच्चे होते हैं।