जैतापुर परमाणु बिजलीघर बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी ने भारत से मांगी गारंटी
नई दिल्ली। जैतापुर में बनने वाले छह रिएक्टरों वाले पावर प्लांट के लिए फ्रांस की परमाणु बिजलीघर बनाने वाली कंपनी ईडीएफ ने भारत सरकार से गारंटी मांगी है। ईडीएफ को महाराष्ट्र के जैतापुर में देश का सबसे बड़ा परमाणु बिजलीघर बनाने का कॉन्ट्रेक्ट मिला है। इस परमाणु बिजलीघर की क्षमता 1,650 मेगावाट है। पिछले पांच महीने से भारत की ओर से कोई जवाब नहीं मिलने से परियोजना को लेकर असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है।
कंपनी ने दिसंबर 2018 में प्रोजेक्ट के सिलसिले में टेक्नो-कामर्शियल ऑफर देश के न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन (एनपीसीआइएल) को दिया है। एनपीसीआईएल भारत सरकार का उपक्रम है, जो देश में कार्यरत 20 परमाणु रिएक्टरों का संचालन कर रहा है। भारत ने अभी तक ईडीएफ के इस ऑफर का जवाब नहीं दिया है।
प्रोजेक्ट के आर्थिक पक्ष पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में ईडीएफ के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट वकीस रमानी ने कहा कि परियोजना की लागत गोपनीय है और इसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। कहा कि कंपनी केवल टेक्नोलॉजी प्रोवाइडर के रूप में कार्य कर रही है, वह परियोजना में निवेशक की हैसियत से शामिल नहीं है। इसलिए परियोजना की लागत को लेकर उसका चर्चा में शामिल होना उचित नहीं है।
परियोजना के लिए धन के इंतजाम की जिम्मेदारी एनपीसीआइएल और अन्य निवेशकों की है। फ्रांस सरकार की एक्सपोर्ट क्रेडिट स्कीम के तहत बीपीआइ फ्रांस और एसएफआइएल परियोजना में धन लगा रही हैं। दोनों कंपनियां फ्रांस सरकार की हैं। साथ ही कुछ बैंक भी परियोजना में शामिल हैं।
ईडीएफ और एनपीसीआइएल की बातचीत में परियोजना पर आने वाली लागत मुख्य विचारणीय बिंदु है। क्योंकि लागत बढ़ने से पैदा होने वाली बिजली का मूल्य भी बढ़ेगा, जिससे अन्य सवाल पैदा होंगे। भारत इस प्लांट से पैदा होने वाली बिजली को 6.50 रुपये प्रति यूनिट की दर से बेचने की योजना बनाए हुए है। भारत के साथ हुए फ्रांस के राफेल लड़ाकू विमान सौदे के बाद इस तरह की गारंटी की जरूरत महसूस की जा रही है। फ्रांस सरकार ने इस सौदे में गारंटी की जगह भारत सरकार को लेटर ऑफ कंफर्ट दिया है।