दिग्गजों ने डाले अपने वोट, इन वीआईपी प्रत्याशियों की किस्मत आज होगी ईवीएम में कैद
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2019 के दूसरे चरण में गुरुवार को 13 राज्यों की 95 सीटों पर मतदान हो रहा है। जिन राज्यों में वोटिंग हो रही है, उनमें तमिलनाडु की 39, कर्नाटक की 14, पश्चिम बंगाल की 3, असम की 5, मणिपुर की 1, ओडिशा की 5, त्रिपुरा की 1 और पुडुचेरी की 1 सीट शामिल हैं। तमिलनाडु, मणिपुर, त्रिपुरा और पुड्डुचेरी ऐसे राज्य हैं, जहां की सभी सीटों पर वोटिंग पूरी हो जाएगी।
मालूम हो, इस बार 7 चरणों में लोकसभा चुनाव हो रहे हैं। पहले चरण में 11 अप्रैल को 20 राज्यों की 91 सीटों पर वोट डाले गए थे। आखिरी चरण की वोटिंग 19 मई को होगी और सभी सीटों के नतीजे 23 मई, गुरुवार को आएंगे।
- रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी बेंगलुरु में मतदान किया।
- तमिलनाडु में पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम ने अपनी पत्नी के साथ बूथ पर पहुंचकर मतदान किया।
- दक्षिण भारतीय फिल्मों के सुपरस्टार रजनीकांत ने चेन्नई के स्टेला मॉरिस कॉलेज में मतदान किया है।
- तमिलनाडु में कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने शिवगंगा के कराइकुडी में मतदान किया।
- जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं पर रोक लगा दी गई है।
- कर्नाटक के दक्षिण बेंगलुरु संसदीय क्षेत्र के गिरिनगर में मतदान जारी है और लोग लाइन लगाकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं।
सुबह से ही मतदान केंद्रों के बाहर भीड़ नजर आने लगी है।
असम में मतदान की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। कई मतदान केंद्रों को सजाया गया है। लोगों से अपील की जा रही है कि वे बड़ी संख्या में यहां आकर लोकतंत्र के महायज्ञ में आहूति दें।
जम्मू-कश्मीर की सियासत में बीते कई दशकों से अब्दुल्ला परिवार का अच्छा खासा दखल रहा है. शेख अब्दुल्ला के बेटे फारूक अब्दुल्ला नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष हैं. 82 वर्षीय डॉ. फारूक अब्दुल्ला की राज्य की सियासत में कितनी अहमियत है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे तीन बार इस रियासत के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. बेबाक राय के लिए जाने जाने वाले फारूक अब्दुल्ला खुलकर पत्थरबाजी करने वाले लड़कों की हिमायत करते रहे हैं.
फिल्मी परदे से 2004 में सियासत में एंट्री करने वाली हेमा मालिनी दूसरी बार संसद में दाखिले में मथुरा से किस्मत आजमा रही हैं. 2014 में हेमा मथुरा से जीती थीं, लेकिन अबकी बार जीत की राह थोड़ी कठिन है. हालांकि, हेमा मालिनी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं. इस बार उनके लिए उनके पति धर्मेंद्र भी प्रचार कर रहे हैं
साल 1977 में जब पूरा देश आपातकाल के दौर से गुजर रहा था, उसी वक्त उत्तर प्रदेश की गलियों में पले-बढ़े राज बब्बर को बॉलीवुड ने बड़े पर्दे पर आने का अवसर दिया. ये महज इत्तेफाक है कि 'किस्सा कुर्सी का' फिल्म से अपने फिल्मी करियर का आगाज करने वाले राज बब्बर आज देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में देश की सबसे पुरानी पार्टी की शीर्ष कुर्सी पर विराजमान हैं.
बांका लोकसभा सीट से राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के प्रत्याशी जयप्रकाश नारायण यादव के राजनीतिक जीवन का आगाज उसी दौर में हुआ था, जब बिहार की राजनीति में लालू प्रसाद यादव उभर रहे थे. दोनों ही नेता जेपी आंदोलन से राष्ट्रीय फलक तक पहुंचे और आज जिस आरजेडी की कमान लालू प्रसाद यादव के हाथों में है, जय प्रकाश नारायण यादव उसमें बड़ा वजूद रखते हैं. उनके कद का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि वो मोदी लहर में जीतने वाले चुनिंदा सांसदों में शुमार हैं. हालांकि, उनके इस सफर की शुरुआत करीब चार दशक पहले ही हो गई थी
कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष रहे सीताराम केसरी को राजनीतिक आदर्श मानकर सियासी सफर शुरू करने वाले बिहार के मशहूर नेता तारिक अनवर एक बार फिर कटिहार में अपने राजनीतिक गुरु की विरासत संभालने के लिए तैयार हैं. दिलचस्प बात ये है कि तारिक अनवर ने घर वापसी करते हुए कांग्रेस के टिकट पर बाजी लड़ने का फैसला किया है. कटिहार सीट से कुल 5 बार सांसद बन चुके तारिक अनवर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का साथ छोड़कर कांग्रेस के साथ चुनावी मैदान में उतर गए हैं. हालांकि, कांग्रेस से उनका नाता सबसे पुराना है.
असम के सिलचर से सांसद सुष्मिता देव राजनैतिक परिवार से आती हैं. उनके दादा सतिन्द्र मोहन देव ने आजादी के आंदोलन में हिस्सा लिया था. बाद में वह असम के स्वास्थ्य मंत्री बने. लंबे समय तक वह सिलचर म्यूनिसिपैलिटी बोर्ड के चेयरमैन रहे थे. सुष्मिता देव कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे संतोष मोहनदेव की बेटी हैं जो सिलचर से 6 बार सांसद रहे और भारत सरकार में इस्पात मंत्री का पद संभाला. य
मुथुवेल करुणानिधि कनिमोझी फिलहाल तमिलनाडु से राज्यसभा सांसद हैं. वह तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री करुणानिधि और उनकी तीसरी पत्नी रजती अम्माल की बेटी हैं. वह द्रविण मुन्नेत्र कणगम (DMK) से जुड़ी हैं, और पार्टी की कला, साहित्य और तर्कवाद शाखा की प्रमुख हैं. इस तरह उन्होंने अपने पिता के ‘साहित्यिक विरासत’ को संभाला है. उनके सौतेले भाई एम. के अलागिरी पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे और एम. के. स्टालिन तमिलनाडु के पूर्व डिप्टी सीएम रहे. उनके पिता एम करुणानिधि की 7 अगस्त, 2018 को मौत हो गई.
लोकसभा चुनाव 2019 में दक्षिण के तमिलनाडु की शिवगंगा सीट इस बार कई मायनों में खास है. 18 अप्रैल को वोटिंग है और तमिलनाडु की इस सीट पर सभी की निगाहें हैं. कांग्रेस के अंदरखाने विरोध के बावजूद इस सीट पर कार्ति चिदंबरम को उम्मीदवार बनाया गया है. 2014 की हार को भुलाकर एक बार फिर कार्ति चिदंबरम चुनाव मैदान में हैं. इस सीट से कार्ति चिदंबरम के पिता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम 7 बार सांसद रह चुके हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में वह पिता की जीत का सिलसिला दोहरा नहीं पाए और इस सीट पर वह चुनाव हार गए.
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह जम्मू-कश्मीर की उधमपुर लोकसभा सीट से सांसद हैं. 2014 के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के कद्दावर नेता गुलाम नबी आजाद को 60 हजार से भी अधिक वोटों से मात दी थी. इस बार डॉ. जितेंद्र सिंह के सामने चुनौती पिछली बार से भी अधिक है. इस बार उनके सामने कांग्रेस प्रत्याशी विक्रमादित्य हैं, जो डॉ. कर्ण सिंह के पुत्र हैं. खास बात ये है कि विक्रमादित्य को नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी का भी समर्थन है. 18 अप्रैल को उनकी ‘अग्निपरीक्षा’ होगी.
कर्नाटक में इस बार लोकसभा चुनाव में तुमकुर सीट सुर्खियों में बनी हुई है. इसकी बड़ी वजह पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवगौड़ा का तुमकुर से चुनाव मैदान में उतरना है. इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के उम्मीदवार जीएस बसवाराज अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी, भाकपा, अंबेडकर समाज पार्टी के अलावा निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में हैं.
महाराष्ट्र की बीड सीट से एक बार प्रीतम मुंडे बीजेपी के टिकट पर मैदान में हैं. प्रीतम मुंडे, गोपीनाथ मुंडे की बेटी हैं. गोपीनाथ मुंडे के निधन के बाद 2014 में प्रीतम ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की और पिता की सीट बीड से लोकसभा उपचुनाव लड़ीं. इस चुनाव में प्रीतम ने रिकॉर्ड बनाया और करीब 7 लाख वोटों से जीतीं.