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आम जन को सुविधाएँ देने में लापरवाह अधिकारियों के विरूद्ध हो सख्त कार्रवाई


                   डॉ. चन्दर सोनाने
                        आमजन को सुविधाएँ देने के लिए अनेक योजनाएँ संचालित की जाती है। इसके लिए लाखों करोड़ों रूपये भी खर्च किये जाते हैं। किन्तु इतनी बड़ी राशि खर्च करने के बावजूद आमजन को सुविधाएँ नहीं मिलती। आमजन को सुविधाएँ देने में लापरवाह अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। आईए, आज देखते हैं दो उदाहरण-
                        उज्जैन के शासकीय जिला अस्पताल में सिटी स्केन की सुविधा नहीं थी। इस कारण 7 अप्रैल 2015 को भानपुरा अस्पताल में रखी सीटी स्केन मशीन को उज्जैन लाया गया। करोड़ां रूपये की इस मशीन को भानपुरा से उज्जैन लाने पर ही 2 लाख रूपये खर्च कर दिये गए। इसके बाद जिला चिकित्सालय में उस मशीन को शिफ्ट करने, चालू करने और मेंटेनेंस पर भी 12 लाख खर्च कर दिये गए। इस प्रकार सीटी स्केन मशीन पर जिला अस्पताल ने 15 लाख रूपये खर्च कर दिये। इसके बावजूद करोड़ां की इस मशीन को उपयोग में नहीं लाया गया और यह मशीन माधवनगर अस्पताल परिसर स्थित संयुक्त संचालक कार्यालय भवन में पिछले तीन साल से ताले में बंद पड़ी है। करोड़ों रूपये की इस सीटी स्केन मशीन और उस पर मेंटेनेंस आदि पर लाखों रूपये खर्च करने के बावजूद उज्जैन के गरीब मरीज प्रायवेट अस्पतालों में जांच कराने को विवश है। 

                        आईये, अब देखते है दूसरा उदाहरण- जिला अस्पताल के दंत विभाग में डेंटल चेयर के खराब होने के कारण अस्पताल प्रशासन ने दिसम्बर 2017 को नई चेयर का आर्डर दिया। वह कुर्सी पौने दो लाख रूपये में अप्रैल 2018 में उज्जैन जिला अस्पताल आई। किन्तु इसे उपयोग में नहीं लाते हुए उसे सेठी बिल्डिंग के कक्ष क्रमांक 22 में रख दिया गया। और कमरे पर ताला लगा दिया गया। अभी भी मरीज पुरानी जो बेकार घोषित कर दी गई थी, उसी से काम चला रहे है। मरीजों को आधुनिक सुविधाओं का लाभ देने वाली इस कुर्सी से मरीजों को कोई फायदा नहीं मिल पा रहा है। मजबूरन उन्हें प्रायवेट अस्पताल जाना पड़ रहा है। आज करीब एक साल से वो मशीन बेकार बंद कमरे में पड़ी हुई है। 
                       उक्त दो उदाहरण ये बताते हैं कि आमजन के लिए लाखों करोड़ों रूपये खर्च करने के बावजूद उन्हें उसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। संबंधित अधिकारियों की अकर्मण्यता और लापरवाही के कारण आमजन को वह सुविधा नहीं मिल पा रही है, जिसके लिए इतनी बड़ी राशि खर्च की गई है। ऐसे लापरवाह अधिकारियों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई होना चाहिए, ताकि अन्य को इससे प्रेरणा मिल सके। 
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