वायुसेना की ताकत बढ़ाने खेमें में शामिल हुआ 'चिनूक', एयरचीफ मार्शल ने कहा- साबित होगा गेम चेंजर
अत्याधुनिक चिनूक हेलिकॉप्टर आज औपचारिक रूप से भारतीय सेना को मिल गया है। इसे पाकिस्तानी सीमा पर वायुसेना को और अधिक ताकतवर बनाने में इस्तेमाल किया जाएगा। मल्टी मिशन हेलिकॉप्टर को बोइंग कंपनी ने बनाया है।
चंडीगढ़ में चिनूक हेलिकॉप्टर के इंडक्शन सेरेमनी के दौरान एयरचीफ मार्शल बीएस धनोवा ने कहा के देश के सामने कई सुरक्षा चुनौतियां हैं। उन्होंने कहा कि हमें एक विविध इलाकों में वर्टिकल लिफ्ट (ऊर्ध्वाधर ऊपर उठने) की क्षमता की आवश्यकता है। चिनूक को भारत के विशिष्ट जरूरतों के साथ खरीदा गया है। यह एक राष्ट्रीय संपत्ति है।
इस दौरान धनोवा ने कहा कि चिनूक हेलिकॉप्टर हमारे सैन्य अभियानों को न सिर्फ दिन में बल्कि रात में भी कर सकता है। इसकी दूसरी यूनिट असम में दिनजान में पूर्व के लिए बनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि लड़ाकू विमानों के बेड़े में राफेल की तरह ही चिनूक भी गेम चेंजर साबित होने जा रहा है।
करीब 11 हजार किलो तक के हथियार और सैनिकों को आसानी से उठाने, ऊंचाई वाले इलाकों में उड़ान भरने और रसद पहुंचाने के साथ ही यह हेलिकॉप्टर छोटे से हेलिपैड और घाटी में भी लैंड कर सकता है।
जिनमें से फिलहाल चार चिनूक मिलने जा रहे हैं। अमेरिकी सेना भी इस हेलिकॉप्टर का उपयोग करती है। इसमें पूरी तरह से इंटीग्रेटेड, डिजिटल कॉकपिट मैनेजमेंट सिस्टम, कॉमन एविएशन आर्किटेक्चर कॉकपिट और एडवांस्ड कार्गो-हैंडलिंग क्षमताएं हैं। इस वजह से मिशन के दौरान इस हेलिकॉप्टर का प्रदर्शन और इसकी हैंडलिंग बेहतर होती है।
इस हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल दुनिया के 19 देशों कर रहे हैं। चिनूक हेलिकॉप्टर को अमेरिकी वायुसेना 1962 से ही इस्तेमाल कर रही है। कंपनी ने अब तक कुल 1,179 चिनूक हेलिकॉप्टर बनाए हैं।
अगस्त 2017 में रक्षा मंत्रालय ने बड़ा फैसला लेते हुए भारतीय सेना के लिए अमेरिकी कंपनी बोइंग से 4168 करोड़ रुपए की लागत से छह अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टर, 15 चिनूक भारी मालवाहक हेलीकॉप्टर अन्य हथियार प्रणाली खरीदने के लिए मंजूरी प्रदान की थी।