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मोदी सरकार का अलगाववादियों पर वार, यासीन मलिक के संगठन को किया बैन



नई दिल्ली। सीमा पार आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद करने के बाद कश्मीर में आतंकियों और उनके आकाओं के साथ-साथ फंडिंग के स्त्रोतों पर सर्जिकल स्ट्राइक जारी है। इसके तहत जमात-ए-इस्लामी के बाद शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) को भी प्रतिबंधित कर दिया गया। यह अलगाववादी संगठन हुर्रियत कांफ्रेंस का हिस्सा है। सरकार अलगाववादी नेताओं को मिल रही सरकारी सुरक्षा पहले ही वापस ले चुकी है।

उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई सुरक्षा संबंधी मंत्रिमंडलीय समिति ने जेकेएलएफ को गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून की विभिन्न धाराओं के तहत प्रतिबंधित किया है। इसके नेता यासीन मलिक पहले से हिरासत में हैं और फिलहाल जम्मू की जेल में बंद हैं। जेकेएलएफ 1988 से हिंसक वारदातों में शामिल रहा है।

गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 1989 में घाटी में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार और उन्हें पलायन के लिए मजबूर करने में यासीन मलिक की अहम भूमिका थी। जेकेएलएफ के खिलाफ आतंकी हमले, हत्या और हिसा की कुल 37 एफआइआर दर्ज हैं। वायु सेना के जवानों की हत्या के दो मामलों की जांच सीबीआइ कर रही है। इसके अलावा एनआइए ने भी हाल में एक केस दर्ज किया है।

वीपी सिंह की सरकार में गृह मंत्री रहे मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबिया सईद के अपहरण और रिहाई के बदले आतंकियों को छुड़ाने में भी यासीन मलिक की अहम भूमिका थी। हैरानी की बात यह है कि इनमें से किसी भी मामले में यासीन मलिक और जेकेएलएफ के खिलाफ आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। जबकि यासीन मलिक खुलेआम वायु सेना के चार जवानों की हत्या की बात कबूल कर चुका है।

आतंकी फंडिंग पर करारा प्रहार
जेकेएलएफ के खिलाफ कार्रवाई जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद को जड़मूल से उखाड़ फेंकने की बड़ी रणनीति का हिस्सा है। इसके तहत एक ओर सुरक्षा बलों को पूरी छूट दे दी गई है। दूसरी ओर आतंकियों को लश्कर-ए-तैयबा और आइएसआइ की ओर से मिलने वाले फंडिंग को भी रोका जा रहा है।

आतंकी और अलगाववादी नेताओं तक हवाला के मार्फत पाकिस्तान से मिलने वाला फंड पहुंचाने में सबसे अहम भूमिका निभाने वाला जहूर वटाली जेल में है और ईडी ने उसकी संपत्तियों को जब्त कर लिया है। ईडी के अनुसार, जहूर बटाली आयात-निर्यात की आड़ में न सिर्फ दुबई में आइएसआइ और लश्कर-ए-तैयबा से करोड़ों रुपये लेता था, बल्कि दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग से भी नकद पैसे लेता था।

बाद में उसे अलगाववादियों, पत्थरबाजों, आतंकियों और उन मदरसों व मस्जिदों तक पहुंचाता था जो स्थानीय युवाओं को आतंकी बनने के लिए प्रेरित करते थे। आतंकी फंडिंग को लेकर एनआइए अलग से अलगाववादी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई कर रही है।

आम लोगों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया से जोड़ने की कोशिश
स्थानीय निकाय चुनावों के मार्फत आम लोगों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया से जोड़ने का काम भी चल रहा है। इसके तहत घाटी में 2005 के बाद पहली बार नगर निकाय और 2011 के बाद पंचायत चुनाव कराए गए। पिछले साल अक्टूबर-नवंबर-दिसंबर में हुए इन चुनावों में 74 फीसद से अधिक लोगों ने मतदान किया था। पंचायतों को विकास योजनाओं के लिए सीधे आर्थिक मदद दी जा रही है और 10 से अधिक सरकारी विभागों को इसके मातहत कर दिया गया है। कश्मीर पर सरकार की नई रणनीति की सफलता को लेकर आश्वस्त गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने 'दैनिक जागरण' को दिए साक्षात्कार में अगले चार-पांच साल में जम्मू-कश्मीर में पूरी तरह शांति बहाली का दावा किया था।

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