अब होंगी पांचवीं और आठवीं की बोर्ड परीक्षाएँ : सराहनीय प्रयास
संदीप कुलश्रेष्ठ
राज्य सरकार ने हाल ही में शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधारने के लिए मध्यप्रदेश में आगामी सत्र 2019-20 से प्रदेश के सभी सरकारी और निजी स्कूलों में पांचवीं और आठवीं में फिर से बोर्ड परीक्षाएँ होंगी। राज्य शासन द्वारा इस संबंध में अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। इस परीक्षा में अनुतीर्ण होने वाले विद्यार्थियों को उसी सत्र में एक बार औेर परीक्षा में बैठने का अवसर भी दिया जायेगा। देर से ही सही, किन्तु राज्य सरकार ने सही निर्णय लिया है। इसकी सराहना की जानी चाहिए।
वर्ष 2008 में बंद हुई थी परीक्षाएँ -
मध्यप्रदेश में पहले पांचवीं और आठवीं की कक्षाओं मे बोर्ड परीक्षाएँ होती थी। बोर्ड परीक्षा होने के कारण अधिकांश बच्चें फेल हो जाते थे। कुछ बच्चें फेल हो जाने के डर से परीक्षा भी देने ही नहीं जाते थे। इस कारण राज्य सरकार ने वर्ष 2008 में पांचवीं और आठवीं कक्षा को बोर्ड की परीक्षा से मुक्त करने का निर्णय लिया। इसके बाद दोनां कक्षाओं को बोर्ड से हटाकर साधारण परीक्षाएँ कराई जाने लगी। इस कारण बच्चें पास होने लगे और उनकी बोर्ड की परीक्षाओं का डर भी समाप्त हो गया। फेल हो जाने के बावजूद बच्चां को अगली कक्षा में प्रवेश दे दिया जाता था। इस कारण दिनों दिन शिक्षा का स्तर गिरने लगा था।
बोर्ड परीक्षा नहीं होने से गिरता जा रहा था शिक्षा का स्तर -
शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने वाले एक एनजीओ प्रथम की एनुअल स्टेट्स ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले आंकड़े सामने आये हैं । इस एनजीओ ने हाल ही में असर- 2018 के नाम से ये रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में प्रदेश की प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में स्थिति काफी कमजोर पाई गई है। हिन्दी पढ़ने के अलावा सामान्य ज्ञान और गणितीय गणनाओं में भी विद्यार्थी काफी कमजोर पाए गए। इस एनजीओ ने देश के 596 जिलों के 17,730 गांवों में 3 से 16 उम्र के 5,46,527 बच्चों पर किए गए सर्वे के आधार पर रिपोर्ट तैयार की है।
उज्जैन संभाग की स्थिति अत्यन्त कमजोर-
एनजीओ द्वारा किए गए सर्वे में उज्जैन संभाग के स्कूली विद्यार्थियों की शैक्षणिक स्थिति बहुत कमजोर पाई गई। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि तीसरी से पांचवीं कक्षा तक के 58.4 प्रतिशत विद्यार्थी दूसरी कक्षा का हिन्दी का पाठ तक नहीं पढ़ पाते हैं। यही नहीं 69.2 प्रतिशत विद्यार्थी घटाव तक नहीं कर सकते। छठीं से आठवीं तक के 24 प्रतिशत विद्यार्थी दूसरी कक्षा तक का पाठ नहीं पढ़ सकते। यह स्थिति अत्यन्त दुःखद है। लगभग यही हाल मध्यप्रदेश के अन्य संभागों का भी है। इस स्थिति में बदलाव की आवश्यकता महसूस की जा रही थी।
बोर्ड परीक्षाएँ होने से स्थिति में आ सकता है सुधार -
मध्यप्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा कक्षा पांचवीं और आठवीं की परीक्षाएँ बोर्ड से लेने के निर्णय से निश्चित रूप से स्थिति में सुधार आ सकता है। दिनों दिन शिक्षा की गुणवत्ता की स्थिति में गिरावट पर इससे प्रभावी रोक हो सकेगी। किन्तु इसके साथ यह भी जरूरी है कि केवल कक्षा पांचवीं और आठवीं में ही ध्यान नहीं दिया जाकर कक्षा पहली से ही ध्यान दिया जाये, ताकि बच्चों की नींव मजबूत हो सके।
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