मध्यप्रदेश में राज्यपाल ने दी 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण पर अध्यादेश को मंजूरी
भोपाल . ओबीसी आरक्षण 14 से बढ़ाकर 27 प्रतिश करने के अध्यादेश को राज्यपाल ने शुक्रवार को मंजूरी दे दी। विधि विभाग ने परीक्षण के बाद अध्यादेश दोपहर बाद सामान्य प्रशासन विभाग को भेजा। विभाग ने भी बिना समय गंवाए उसे राज्यपाल को भेज दिया।
राजभवन से शाम को इस पर अनुमोदन मिल गया। लोकसभा चुनाव से पहले राज्य की 53 प्रतिश ओबीसी आबादी को ध्यान में रखकर राज्य सरकार ने यह फैसला लिया। अध्यादेश का नोटिफिकेशन जल्द जारी होगा। एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री ने कहा था कि संविधान में केंद्र और राज्य दोनों के लिए अलग-अलग अधिकार तय हैं। इन्हीं अधिकारों का उपयोग मप्र ने किया है। इसलिए अध्यादेश के लिए केंद्र से स्वीकृति लेने की जरूरत नहीं है।
ऐसे समझें आरक्षण का गणित : 100 पद हैं तो अजा को 16 प्रतिश आरक्षण के हिसाब से 16, अजजा को 20 प्रतिश से 20 और ओबीसी को 27 प्रतिश से अब 27 पद मिलेंगे। सामान्य के हिस्से में 37 पद आएंगे।
मप्र ने तमिलनाडु की तर्ज पर आबादी को बनाया आधार : सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी केस में कहा था कि जातीय आरक्षण 50 प्रतिश से अधिक नहीं होना चाहिए, पर तमिलनाडु ने आबादी को आधार बनाकर आरक्षण बढ़ाया। मप्र में भी इसी तर्ज पर फैसला हुआ। अब मप्र में कुल आरक्षण 63 प्रतिश हो जाएगा।
लेकिन, राजस्थान में गुर्जरों का आरक्षण अब भी कोर्ट में : दिसंबर 2017 में राजस्थान में गुर्जरों को 5 प्रतिश आरक्षण दिया गया। इस पर हाईकोर्ट ने रोक लगाई। राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट गई तो कोर्ट ने कहा- आरक्षण व्यवस्था 50 प्रतिश से अधिक नहीं हो। फरवरी में कांग्रेस सरकार ने गुर्जरों को 5 फीसदी आरक्षण देने के बिल को मंजूरी दे दी, लेकिन इस बार भी मामला कोर्ट में अटका हुआ है।