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अमेरिका ने जैसे लादेन को मारा था, वैसा ही भारत भी करें


                         डॉ. चन्दर सोनाने
                           गत 14 फरवरी को कश्मीर के पुलवामा में आतंकवादियों द्वारा सीआरपीएफ के काफिले पर हमला कर 40 जवानों को मार डाला था। उस बात को आज 10 दिन हो गये हैं। देशभर में पाकिस्तान और उनके द्वारा पौसे गए आतंकवादियों के विरूद्ध जबरदस्त आक्रोश है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सिर्फ यही कहा है कि इसका बदला लिया जायेगा। सेना समय और स्थान तय करेगी। सेनाओं को पूरी छूट दी गई है। तो क्या अभी तक सेना पर अंकुश था ? इतने दिनों बाद भी पाकिस्तान और आतंकवादियों के विरूद्ध कोई बड़ी कार्रवाई न होना देशवासियों को दुखी और आक्रोशित कर रहा है। 
                        देश के सामान्यजन को यह विश्वास था कि पुलवामा कि घटना के बाद हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी तुरन्त ही ऐसा करेंगे,जिससे लगेगा कि हमने पुलवामा की घटना का बदला लिया है। किन्तु अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ है। जिस प्रकार अमेरिका ने पाकिस्तान में घुसकर ओसामा बिन लादेन को मार गिराया था, वैसा ही भारत को भी करना चाहिए। पाकिस्तान में कहाँ- कहाँ आतंकवादियों के ठिकाने हैं ? इसकी भारत के खुफियाँ तंत्र के पास निश्चित रूपसे जानकारी होगी। प्रधानमंत्री को अब देर नहीं करना चाहिए। और पाकिस्तान में जितने भी आतंकवादी संगठन है और आतंकवादियों के प्रशिक्षण शिविर है, वहाँ एक साथ हमला कर उन सभी आतंकवादी शिविरों को नेस्तनाबूत कर देना चाहिए। 
                        पुलवामा की घटना के बाद अमेरिका तथा अन्य मित्र देशों ने खुलकर पाकिस्तान और आतंकवादियों की निंदा की है और वे सब भारत के पक्ष में खड़े हैं। यह  स्थिति भारत के पक्ष में है। इसलिए अब और विलम्ब नहीं होना चाहिए। प्रधानमंत्री देशवासियों के धैर्य की परीक्षा और न लें । यदि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी अमेरिका के प्रधानमंत्री के समान साहसी कार्य कर देते हैं तो देशवासियों की नजर में उनका सम्मान और बढ़ेगा ही। 
                       वर्तमान में कश्मीर में विधानसभा भंग है। राज्यपाल शासन के बाद अब वहाँ राष्ट्रपति शासन है। याने वहाँ कश्मीर में किसी राज्य की सरकार न होते हुए केन्द्र का ही अप्रत्यक्ष आधिपत्य है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को अभी कश्मीर में जो चाहे वो कर सकने की पूरी छूट है। इसलिए वहाँ के स्थानीय बेरोजगार युवाओं को भरपूर रोजगार मिल सके,इसके लिए तुरन्त ऐसे कार्य करने चाहिए जिससे कि वो 200-200 रूपये में पत्थरबाजी करने से विमुख हो और उन्हें सम्मानजनक रोजगार प्राप्त हो सके। जम्मूकश्मीर में राज्य सरकारों ने हमेशा तात्कालिक लाभ लेने के लिए ही कार्य किये। किसी भी सरकार ने जम्मू कश्मीर में स्थायी शांति हो और राज्य में विकास के बहुमुखी कार्य हो तथा हर बेरोजगार को रोजगार मिल सके इस दिशा में कोई ठोस कार्य नहीं किये हैं। वहाँ स्थायी शान्ति हो और राज्य में चहुमुखी विकास हो इसके लिए भी युद्धस्तर पर कार्य करने की जरूरत है। साथ ही वहाँ शिक्षा पर भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। भारत सरकार को चाहिए कि जम्मूकश्मीर की मूल समस्या को पहले समझें और उस समस्या को दूर करने के लिए ठोस कार्रवाई करें। यदि भारत सरकार विभिन्न स्तरों पर व्यापक रूप से कार्य करती है तो पुनः 1989 के पहले वाली शांति प्राप्त की जा सकती है। 
                      जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों पर और आतंकवादियों को सरंक्षण देने वाले पर सख्त कार्रवाई करने की जरूरत हैं पंजाब में आतंकवादियों को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले दबंग पूर्व डीजीपी श्री केपीएस गिल की तरह ही सख्त प्रशासक की जम्मूकश्मीर में भी आवश्यकता है। 
अब जरूरत इस बात की है कि प्रधानमंत्री जम्मूकश्मीर में आतंक पर सख्ती के साथ कार्रवाई करने के साथ-साथ राज्य के विकास के मुद्दे पर भी गंभीरतापूर्वक चलें,जिससे  कि जम्मूकश्मीर में फिर से शांति कायम हो सके। और जम्मूकश्मीर की खूबसूरत वादियों का आनन्द जम्मूकश्मीर के साथ-साथ पूरे देश के लोग उठा सके। इसके लिए प्रधानमंत्री को राज्य के विभिन्न राजनैतिक दलों के साथ भी सतत चर्चा कर राजनीति से परे जाकर जम्मूकश्मीर में शांति बहाल करने की दिशा में ठोस पहल करने की आवश्यकता है। 
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