प्रदेश में बढ़ सकती है डॉक्टरों की रिटायरमेंट उम्र, 68 साल करने की तैयारी
भोपाल। प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी को देखते हुए सरकार डॉक्टरों की रिटायरमेंट उम्र बढ़ा सकती है। अभी डॉक्टर 65 साल की उम्र में रिटायर हो रहे हैं। इसे एक-एक साल बढ़ाकर 68 साल तक करने पर विचार चल रहा है। हर साल 150 से 200 डॉक्टर रिटायर हो रहे हैं। उम्र बढ़ने पर इनकी सेवाएं मिल सकेंगी।
इसके अलावा पीएससी से डॉक्टरों की भर्ती की जाएगी। साथ ही निजी डॉक्टरों की भी स्वैच्छिक सेवाएं सरकारी अस्पतालों में ली जाएंगी। यह बात स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने कही। उन्होंने बताया कि डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने को लेकर मुख्यमंत्री से चर्चा करेंगे। जल्द ही इस पर निर्णय लिया जाएगा।
प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में करीब साढ़े तीन हजार डॉक्टरों की कमी है। पीएससी से जरूरत के अनुसार डॉक्टर नहीं मिल रहे हैं। इस वजह से दूसरे विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। मंत्री सिलावट ने बताया कि निजी डॉक्टरों से बात कर रहे हैं कि वे स्वैच्छिक तौर पर हफ्ते में कुछ समय मरीजों की सेवा के लिए नि:शुल्क दें। उन्होंने बताया कि राज्य लोक सेवा आयोग से बैकलाग के 1065 पदों पर डॉक्टरों की भर्ती शुरू हो गई है।
भोपाल, इंदौर, जबलपुर व ग्वालियर के जिला अस्पतालों को बनाएं मॉडल: मंत्री सिलावट ने कहा कि प्रदेश में अलग से बड़ा अस्पताल फिलहाल नहीं बनाया जाएगा। मौजूदा अस्पतालों में ही व्यवस्थाएं दुरुस्त करेंगे। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर व जबलपुर के जिला अस्पतालों को ही मॉडल बनाया जाएगा। डॉक्टरों की संख्या, साफ-सफाई, जांच सुविधाओं व दवाओं के लिहाज से इन अस्पतालों को बेहतर बनाया जाएगा।
सभी जिला अस्पतालों में होगी वेंटिलेटर की सुविधा: प्रदेश के कई जिला अस्पतालों में वेंटिलेटर की सुविधा नहीं है। ऐसे में गंभीर मरीजों को निजी अस्पताल या फिर मेडिकल कॉलेज रेफर करना पड़ता है। इस पर मंत्री ने कहा है कि सभी जिला चिकित्सालयों में वेंटिलेटर की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
एमसीआई ने 70 साल तक सेवा की दी है छूट: मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) ने भी मेडिकल कॉलेजों में रिटायरमेंट उम्र 70 साल तक करने की छूट राज्य सरकारों को दी है। हालांकि, मप्र में नियमित चिकित्सा शिक्षकों की उम्र अभी 65 साल ही है। इसी आधार पर सरकारी अस्पतालों में रिटायरमेंट उम्र बढ़ाई जा सकती है।
जरूरत के एक तिहाई डॉक्टर ही मिल रहे: 2010 में मेडिकल ऑफिसर्स के 1090 पदों के विरुद्ध 570 डॉक्टर ही मिले थे। इसके बाद करीब 200 डॉक्टरों ने पीजी करने या फिर मनचाही पोस्टिंग नहीं मिलने पर नौकरी छोड़ दी। 2013 में 1416 पदों पर भर्ती में 865 डॉक्टर मिले, लेकिन करीब 200 ने ज्वाइन नहीं किया और उतने ही नौकरी छोड़कर चले गए। यानी करीब 400 डॉक्टर ही मिले। इसी तरह से 2015 में 1271 पदों में 874 डॉक्टर मिले हैं।
इनमें भी 218 डॉक्टरों ने ज्वाइन नहीं किया। कुछ पीजी करने चले गए और कुछ ने नौकरी छोड़ दी। करीब 400 डॉक्टर ही मिल पाए। 2015 में ही 1871 पदों के लिए भर्ती शुरू हुई थी। इसमें 800 के करीब डॉक्टर मिले थे। अब फिर से 1398 पदों पर भर्ती के लिए स्वास्थ्य संचालनालय ने पीएससी को प्रस्ताव भेजा है।