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सड़क पर चलने वाले हर व्यक्ति की सुरक्षा जरूरी : स्पेशल डी.जी. श्री शर्मा


सड़क सुरक्षा के नोडल अधिकारियों का एक-दिवसीय प्रशिक्षण सम्पन्न 

विशेष पुलिस महानिदेशक श्री पुरुषोत्तम शर्मा ने कहा है कि सड़क पर चलने वाले हर व्यक्ति की सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारी है। लोगों को दुर्घटना से बचाने के लिये हरसंभव प्रयास किये जाना हैं। इसमें नोडल अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि सभी अधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्र में उपयुक्त कार्य करना होंगे। श्री शर्मा  पुलिस प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान में लीड एजेंसी में कार्यशील नोडल अधिकारियों के सड़क सुरक्षा के एक दिवसीय प्रशिक्षण के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे।

श्री शर्मा ने कहा कि नाबालिग बच्चों और युवाओं के साथ पालकों को भी सड़क सुरक्षा के उपाय बताना होंगे। दुर्घटना के बाद व्यक्ति एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाकर लड़ने लगते हैं, जबकि घायल व्यक्ति को उपचार पहुँचाना पहली प्राथमिकता होनी चाहिये। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ की मंशानुरूप रोजमर्रा की जिंदगी में वही व्यक्ति सड़क पर निकलता है, जो परिवार का भरण-पोषण करने वाला होता है। इनकी सुरक्षा करना अति-आवश्यक है।

सड़क किनारे फुटपाथ एरिया डेव्हलप करने की जरूरत

सेवानिवृत्त उप पुलिस महानिरीक्षक श्री एस.एस. लल्ली ने कहा कि अच्छी सड़कों पर दुर्घटना ज्यादा होती हैं। सड़क के किनारे फुटपाथ एरिया डेव्हलप करने की जरूरत है। फुटपाथ एरिया में अधिकतर अतिक्रमण हो जाता है, इस ओर स्थानीय प्रशासन को ध्यान देना चाहिये। उन्होंने कहा कि मानव स्वभाव को भी जागरूकता द्वारा बदलना होगा। उन्होंने कहा कि रोड सेफ्टी के दो उद्देश्य हैं। पहला ट्रैफिक ठीक चले और दूसरा दुर्घटना न हो। उन्होंने कहा कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देने के लिये कनेक्टिविटी आवश्यक है। लोगों के मन में यह भय पैदा करना भी जरूरी है कि नियम तोड़ने पर सजा मिलेगी। श्री लल्ली ने कहा कि सड़क पर चलने के लिये स्पीड लिमिट भी तय करनी होगी। सड़क सुरक्षा के लिये नवाचार को बढ़ावा देना होगा। स्कूल टीचरों को भी प्रशिक्षण दिया जाना चाहिये।

सड़क का उपयोग करने वाले हर व्यक्ति की सुरक्षा ही 'रोड सेफ्टी''

रोड एक्सीडेंट डाटा मैनेजमेंट सिस्टम के श्री सोनी थामस ने इण्डियन एवं ग्लोबल रोड सेफ्टी पर अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि सड़क का उपयोग करने वाले हर व्यक्ति की सुरक्षा ही 'रोड सेफ्टी'' है। स्थानीय समुदाय की मदद से इस बारे में लोगों में जागरूकता लाने की जरूरत है। घायलों को बचाने के लिये क्या करना है, क्या नहीं करना है, इसकी जानकारी भी आम नागरिकों को होना आवश्यक है। उन्होंने दुर्घटना के बाद घायलों को अस्पताल पहुँचाने वालों को प्रोत्साहित करने पर बल दिया। श्री रमन ने इंट्रीगेटेड रोड एक्सीडेंट डेटा बेस के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि जल्द ही एक स्मार्ट फोन एप आने वाला है, जिसमें दुर्घटना स्थल से ही फोटो और लोकेशन भेजकर घायलों की तत्काल मदद की जा सकेगी।

बिना कनफ्यूजन के एक्सीडेंट नहीं होता

मेनिट के प्रो. राहुल तिवारी ने ट्रैफिक इंजीनियरिंग के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि पार्किंग स्पेस डेव्हलप करना बहुत जरूरी है। घरों के बाहर वाहन खड़े करने पर भी रोक लगनी चाहिये। श्री तिवारी ने कहा कि दुर्घटना हमेशा भ्रम की वजह से होती हैं। इसलिये अस्त-व्यस्त की स्थिति निर्मित नहीं होना चाहिये।

बेहोशी और मानसिक स्तर ठीक न होने पर घायलों को नहीं पिलायें पानी

डॉ. राजीव जैन ने घायलों के प्राथमिक उपचार की गतिविधियों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बेहोशी और मानसिक स्तर ठीक न होने पर घायलों को कभी पानी नहीं पिलाना चाहिये। उन्होंने अंग विच्छेदन होने की स्थिति पर कहा कि कटे अंग को साफ कर प्लास्टिक के डिब्बे या पन्नी से कवर कर ठंडे पानी या बर्फ में रखना चाहिये और उस पर घायल व्यक्ति का नाम आवश्यक रूप से लिख देना चाहिये। इससे डॉक्टर पीड़ित का इलाज करते समय उसका उपयोग कर सकेगा। कार्यक्रम के अंत में प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण-पत्र वितरित किये गये।

 

दुर्गेश रायकवार

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