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मर चुके किसान भी कर्जदारों में शामिल, 300 से ज्‍यादा मृत किसानों के बने केस



ग्वालियर. ग्वालियर-चंबल अंचल के भिंड, मुरैना, शिवपुरी, श्योपुर और दतिया जिले में कर्जमाफी की सूची पंचायतों पर चस्पा होने के बाद रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं। बिना कर्ज लिए कर्जदार बनाने के तो हजारों मामले सामने आ चुके हैं लेकिन सहकारी समितियों ने मरने के बाद भी तीन सौ से ज्यादा किसानों को कर्जदार बना दिया। 

दिवंगत किसानों के परिजन ने गुलाबी फार्म भरने के अलावा इसकी लिखित शिकायत की तो सहकारी समिति के कर्मचारी इन पर शिकायत वापस लेने का दबाव बना रहे हैं। इधर, कर्जमाफी गड़बड़ियां इतनी हैं कि आपत्ति दर्ज कराने की अंतिम तारीख पांच फरवरी निकलने के बाद भी शिकायतें कम नहीं हो रही हैं। हालांकि गुलाबी फार्म में आई आपत्तियों को अभी अलग-अलग छांटा नहीं गया है, लेकिन बिना कर्ज लिए और दिवंगत किसानों को कर्जदार बनाने के लगभग पांच हजार मामले दतिया में बताए जा रहे हैं।   

बैंकों के रिकॉर्ड में कर्जदार लेकिन, किसी को नोटिस भी नहीं दिया : अंचल के पांचों जिलों में बिना कर्ज लिए और दिवंगत किसानों को फर्जी तरीके से कर्जदार बनाने के जो मामले सामने आए हैं, उनमें मजेदार बात यह है कि यह लोग बैंक और समिति के रिकॉर्ड में तो सालों से कर्जदार हैं, लेकिन आज तक इन्हें बकाया का एक भी नोटिस नहीं दिया गया। जबकि सहकारी समितियां पूरे साल वसूली करती हैं। जाहिर है, समितियों ने ही  किसानों के नाम पर कर्ज निकाला और पोल खुलने के डर से उन्हें नोटिस नहीं दिया।  
 
अब घपले को छिपाने में लगे समिति के कर्म : कर्जमाफी में समितियों के घपलों का खुलासा होने के बाद समिति के कर्मचारी इसे दबाने में जुट गए हैं। जहां-जहां भी ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, वहां पर यह कर्मचारी उन किसानों से शिकायत न करने दबाव बना रहे हैं। कुछ को समझौता के लिए कहा जा रहा है तो कुछ को गुमराह कर रहे हैं। दतिया के नंदपुर में शकुंतला नामक महिला ने शिकायत की तो उसके पास सहकारी बैंक की ओर से समझौते के लिए फोन किया गया। उससे कुछ कागजात मांगे गए हैं। 

जिन्होंने सूची नहीं देखी, उनके नाम भी होने की आशंका :
जिन किसानों ने पंचायतों पर चस्पा सूची देख ली है, उन्होंने तो आपत्ति कर दी है। लेकिन जो किसान गांव से बाहर रहते हैं या जिन्होंने सूची देखी नहीं है, उनके नाम भी उस सूची में फर्जी तरीके से जुड़ने की आशंका जताई जा रही है। 

 अफसरों से सीधे भी हुई शिकायतें : गुलाबी फार्म में आपत्ति जताने के अलावा कुछ किसानों ने अफसरों को सीधे शिकायत की है। मुरैना में 20 सोसायटी की 60 शिकायतें तो भिंड जिले में 112 शिकायतें मिली हैं। इनमें 46 शिकायतें कंट्रोल रूम पर प्राप्त हुईं हैं। 14 शिकायतें भोपाल में सीधे रजिस्ट्रार ऑफिस को भेजी गईं और 62 शिकायतें जिले के अफसरों से की गई हैं। भिंड की 112 शिकायतों में 62 शिकायतें अकेली गिजोरा सोसायटी की हैं। शिवपुरी में भी 111 शिकायतें सीधे अफसरों से की गई हैं। इन सभी जिलों में शिकायतों की जांच के लिए कमेटियां बना दी गई हैं।

इन दिवंगत किसानों के नाम पर दर्ज है कर्ज :
शिवपुरी के टोड़ा पिछोर निवासी लालाराम पुत्र मोहनलाल की 25 साल पहले मौत हो चुकी है। टोड़ा पिछोर सोसायटी की कर्जमाफी सूची में 34  हजार 107 रुपए का ऋण दर्ज है।  

दतिया के नंदपुर निवासी रामसहाय मिश्रा का निधन 26 दिसंबर 2011 को हुआ। निधन के बाद उनकी नंदपुर हल्का बामरौल स्थित जमीन उनके बेटे रामकुमार, रोहित, मोहित मिश्रा के नाम हुई। लेकिन उनकी जमीन 9 अक्टूबर 2013 से पीएनबी गोराघाट में बंधक बताई। स्व. रामसहाय की पत्नी शकुंतला ने आठ जुलाई 2016 को गोराघाट पीएनबी शाखा प्रबंधक से शिकायत की तो उन्होंने लिखकर दिया कि आप पर कोई कर्ज नहीं है। लेकिन कर्जमाफी की सूची में उन पर 2 लाख 29 हजार 296 रुपए कर्ज बता दिया।  

मुरैना के मृगपुरा लाला का पुरा निवासी नारायण सिंह का निधन वर्ष 2016 में हो चुका है। पिता के नाम से बेटे ने रंजीत परमार ने 97 हजार रुपए जमा कराए थे। फिर भी एसबीआई सरायछौला ब्रांच ने नारायण सिंह पर 61 हजार 657 का कर्ज निकाल दिया। 

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