मप्र में सरकारी काॅलेजों के प्रोफेसर्स को 7वां वेतनमान देने की घोषणा
भोपाल । आखिरकार सरकार ने उच्च शिक्षा विभाग के सरकारी काॅलेजों के प्रोफेसर्स और समकक्ष अधिकारियों को 7वां यूजीसी वेतनमान देने की आधिकारिक घोषणा कर दी है।
18 जनवरी को जारी आदेश को विभाग ने 21 जनवरी को पोर्टल पर अपलोड कर दो घंटे बाद हटा दिया था। इसके पांच दिन बाद आधिकारिक घोषणा की गई है।
7वें वेतनमान के लिए प्रांतीय शासकीय महाविद्यालयीन प्राध्यापक संघ के बैनर तले प्रोफेसर्स ने लंबे समय तक आंदोलन किया। अब शासन इसे गणतंत्र दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री कमल नाथ द्वारा दिया गया तोहफा बता रहा है। वहीं, विवि के प्रोफेसर्स इस आदेश से निराश हुए हैं। वह इसे विवि के शिक्षकों के साथ सौतेला व्यवहार बता रहे हैं।
यह वेतनमान कॉलेजों में कार्यरत शिक्षकों एवं समकक्ष संवर्गों में पदस्थ सभी अधिकारियों तथा विश्वविद्यालयों (निजी विश्वविद्यालय को छोड़कर) के रजिस्ट्रार्स को 1 जनवरी 2016 से दिया गया है। इसका प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में कार्यरत लगभग 5238 शैक्षणिक संवर्ग, लाइब्रेरियन एवं खेल अधिकारियों को मिलेगा। उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी के अनुसार सभी लाभान्वितों को एक जनवरी 2019 से नकद लाभ मिलेगा।
एक जनवरी 2016 से 31 मार्च 2019 तक 7वें वेतनमान के लिए कुल 372.93 करोड़ का व्यय भार होगा। इसमें 50 प्रतिशत राशि केन्द्र सरकार द्वारा वित्तीय सहायता के रूप में प्राप्त होगी। 1 अप्रैल 2019 से पूरा व्यय भार राज्य शासन वहन करेगा। प्रति वर्ष 121.59 करोड़ रुपए का अनुमानित अतिरिक्त व्यय भार आएगा।