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जरा आईएएस और आईपीएस के प्रमोशन तो रोकिए ...


                  डॉ. चन्दर सोनाने

                 हालही में भारतीय प्रशासनिक सेवा ( आईएएस ) के आवन्टन वर्ष  2015 के 12 अधिकारियों को 1 जनवरी 2019 से वरिष्ठ वेतनमान स्वीकृत किया गया। वर्ष 2010 के 23 आईएएस अधिकारियों को 9 वर्ष की सेवा काल पूर्ण कर लेने के बाद 1 जनवरी 2019 से कनिष्ठ प्रशासनिक ग्रेड मंजूर किया गया। इसी प्रकार वर्ष 2006 के 8 आईएएस को 1 जनवरी 2019 से प्रवर श्रेणी वेतनमान स्वीकृत किया गया । इसी प्रकार आईएएस के वर्ष 2003 के 8 अधिकारियों को 1 जनवरी 2019 से अधि समय वेतनमान में पदोन्नति दी गई है।

                 राज्य शासन द्वारा आईएएस के समान ही भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के वर्ष 2001के 4 अधिकारियों को उप पुलिस महानिरीक्षक से पुलिस महानिरीक्षक के पद पर 1 जनवरी 2019 से पदोन्नति दी गई है।  इसी प्रकार आईपीएस के वर्ष 2005 के पुलिस अधीक्षक स्तर के 2 अधिकारियों को उप पुलिस महानिरीक्षक के पद पर 1 जनवरी 2019 से पदोन्नति दी गई है। यही नहीं राज्य शासन द्वारा आईपीएस के 2006 के 18 अधिकारियों को 13 वर्ष की सेवा पूर्ण करने के फलस्वरूप प्रवर श्रेणी वेतनमान 1 जनवरी 2019 से दिया गया है।

                  इतना ही नहीं अपर मुख्य सचिव खेल एवं युवा कल्याण श्री एम मोहन राव के 31 दिसम्बर को सेवानिवृत्त होने पर रिक्त हुए इस पद पर आईएएस श्री आईसीपी केसरी को 1 जनवरी 2019 से मुख्य सचिव का वेतनमान दे दिया गया है। और तो और मुख्य सचिव के पद से 31 दिसम्बर को सेवानिवृत्त हुए श्री बीपी सिंह को 1 जनवरी 2019 से उनका 6 वर्ष के लिए पुर्नवास करते हुए राज्य निर्वाचन आयुक्त बना दिया गया ।

                 उक्त समस्त आईएएस और आईपीएस की पदोन्नति एवं उच्च वेतनमान के आदेष 29 दिसम्बर और 31 दिसम्बर को जारी किये गये। अर्थात् इन समस्त अधिकारियों को समय पर ही पदोन्नति और उच्च वेतनमान मिल सके इसके लिए एक दिन का भी विलम्ब नहीं करते हुए 1 जनवरी 2019 से ही सबको पदोन्नति का लाभ दे दिया गया। इन सबकी पदोन्नति के लिए की जाने वाली पदोन्नति (डीपीसी) की समस्त कार्रवाई पहले से ही सुनिश्चित कर ली गई। चुंकि मंत्रालय में तथा समस्त विभागों में प्रमुख पदों पर आईएएस ही बैठे हैं। अतः वे अपने और अपने साथियों का नुकसान न हो इसके लिए पदोन्नति की समस्त कार्रवाई समय रहते पूर्ण कर लेते है, ताकि किसी को भी कोई नुकसान न होने पाए। आईएएस के ही भाईबंध आईपीएस होते है। दोनो अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी होते है। इसलिए आईपीएस की भी पदोन्नति समय पर कर दी जाती है।

                   अब जरा आईएएस और आईपीएस को छोड़कर मध्यप्रदेश के विभिन्न 68 विभागों पर नजर डालें। इनका कोई माईबाप नहीं है। इनकी सेवा राज्य की सेवा होने के कारण अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी इनकी पदोन्नति पर बिल्कुल ध्यान नहीं देते है। जबकि यह सर्वविदित है कि ये अधिकारी ही समस्त विभागों के प्रमुख और विभागाध्यक्ष होते है जो अपनी पदोन्नति का तो पूरा ध्यान रखते हैं किन्तु अपने अधीन काम करने वाले तमाम विभागों के अधिकारियों की पदोन्नति के लिए समय पर विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) की बैठक ही नहीं कराते है। मध्यप्रदेश में कुल 68 विभाग है। इनमें से एक भी विभाग में अधिकारियों और कर्मचारियों की प्रतिवर्ष होने वाली डीपीसी समय पर नहीं होती है। वैसे तो प्रदेश के मुख्य सचिव ने एक बार नहीं बल्कि अनेक बार आदेश निकाले है कि प्रत्येक विभाग अपने विभाग के अर्न्तगत प्रतिवर्ष नियमानुसार डीपीसी करायें ,किन्तु यह आदेश केवल कागज में ही बंद होकर रह गया है। कई विभागों में तो डीपीसी हुए वर्षां हो गए हैं। इन आईएएस अधिकारियों का इस पर बिल्कुल ध्यान नहीं जाता। इस कारण हजारों अधिकारी और कर्मचारी बिना पदोन्नति के ही सेवा निवृत्त हो जातें हैं। कुछ विभागां की तो बात ही अलग है। वहाँ आश्चर्यजनक और दुखद बात यह है कि जिन पदों पर ये अधिकारी और कर्मचारी कार्यभार ग्रहण करते है, उसी पद पर 35-40 साल की सेवा करने के बावजूद उसी पद से सेवा निवृत्त होने के लिए मजबूर हो जाते हैं।  यहाँ दो विभागों के उदाहरण देना पर्याप्त होंगे। इनमें से निर्माण विभागों में उपयंत्री और महिला एवं बाल विकास विभाग में पर्यवेक्षक के पद पर नौकरी शुरू करने वाले व्यक्ति इसी पद से सेवा निवृत्त हो रहे है। इस ओर किसी का ध्यान नहीं है। ़

                                 एक बार, सिर्फ एक बार आईएएस और आईपीएस को हर वर्ष उनकी 1 जनवरी को होने वाली पदोन्नति पर तब तक रोक लगा दी जाये जब तक कि वे जिस विभाग में प्रमुख सचिव या विभागाध्यक्ष के पद पर पदस्थ है, उस विभाग के अधिकारियों ओर कर्मचारियों की पदोन्नति के लिए डीपीसी करवाकर आदेश जारी नहीं कर दे, तब तक उनकी भी पदोन्नति नहीं हो। यदि ऐसा होता है तब इन अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों को पता चलेगा कि समय पर पदोन्नति नहीं होने का दुख कैसा होता है ? मध्यप्रदेश में नई सरकार और नये मुखिया आ गये है। 15 साल के बाद कांग्रेस को सत्ता का सुख प्राप्त हुआ है। मुख्यमंत्री के रूपमें श्री कमलनाथ एक अनुभवी राजनीतिज्ञ है। वे यदि ऐसा कर पाये कि प्रत्येक विभाग की प्रतिवर्ष डीपीसी हो और प्रतिवर्ष अधिकरी व कर्मचारियों को पदोन्नति का लाभ मिलता रहे तो इन समस्त 68 विभागों के अधिकारी और कर्मचारी उनके हमेशा के लिए ऋणी हो जायेंगे। नवनियुक्त मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ को प्रदेश के इन 68 विभागों पर भी गौर फरमाने की जरूरत है।

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