15 मजदूर लड़ रहे हैं जिन्दगी की जंग, मदद पहुँचाने में नाकारा साबित हो रही है सरकारें
डॉ. चन्दर सोनाने
देश के पूर्वोत्तर राज्य मेघालय के पूर्वी जयंतिया हिल्स जिले में गत 13 दिसम्बर की सुबह एक अवैध कोयला खदान ढह जाने से वहाँ 15 मजदूर फंसे हुए हैं। इस खदान में अचानक पानी बढ़ जाने के कारण वहाँ खनन कार्य कर रहे 15 मजदूर बाहर नहीं निकल पाये। अभी एनडीआरएफ की टीम इन मजदूरों के रेस्क्यू में जुटी हुई है। किन्तु सफल नहीं हो पा रही है। बचाव दल का मानना है कि खनन के लिए बनाई गई सुरंग में पानी भर जाने से वहाँ फंसे मजदूरों तक पहुंचा नहीं जा सकता। इस समय वहाँ बचाव दल के पास खदान का पानी निकालने के लिए 25 हार्स पावर के केवल 2 पंप मौजूद है। जबकि 100 हार्स पॉवर के 10 पंप की वहाँ जरूरत है। आश्चर्य एवं दःुखद यह है कि राज्य सरकार और केन्द्र सरकार इन 10 पंपों की भी व्यवस्था नहीं कर पा रही।
उल्लेखनीय है कि गत 24 दिसम्बर को रेस्क्यू का काम रोक दिया गया था। क्योंकि जिन 2 पंपों से पानी निकाला जा रहा था, वह जल स्तर कम करने में असफल सिद्ध हो रहे थे। अब पानी निकालने के लिए हाई पावर पंप का इंतजाम किया जा रहा है। किन्तु अभी तक राज्य सरकार और केन्द्र सरकार इन पंप का बंदोबस्त नहीं कर पा रहे है। यह आश्चर्यजनक और दःुखद है। यही घटना यदि विदेश में हुई होती ,तो वहाँ की सरकार इन मजदूरों का बचाने के लिए जमीन आसमान एक कर देती। किन्तु यह मेघालय की राज्य सरकार और केन्द्र सरकार 100 हार्स पावर के मात्र 10 पंपों की व्यवस्था नहीं कर पा रही है। इसे क्या कहा जा सकता है ? ये हमारे लिए शर्म की बात है !
हांलाकि वहाँ बचाव कार्य में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय पुलिस के 100 से ज्यादा जवान 14 दिसंबर से खदान में फंसे मजदूरों को निकालने का प्रयास कर रहे हैं। 13 दिसम्बर को इस खदान में 20 मजदूर 370 फीट गहरे खदान में खनन करने के लिए गये थे। इनमें से 5 मजदूर पानी भरने से पहले बाहर निकलने में सफल हो गये, किन्तु 15 मजदूर अभी भी अन्दर फंसे हुए हैं।
यहाँ यह घटना कई प्रश्न भी खड़े कर रही है। इस कोयला खदान में अवैध रूपसे कोयला खनन पिछले अनेक सालों से किया जा रहा था। किन्तु संबंधित विभागों के अधिकारी आंखे मुंदे हुए थे। रिश्वत और आर्थिक लाभ ने उन्हें अंधा कर दिया था। यहाँ खास बात यह भी है कि 4 साल पहले ही वर्ष 2014 में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण अर्थात एनजीटी ने इस तरह की खदानों को अवैज्ञानिक और असुरक्षित मानते हुए प्रतिबंधित कर दिया था। इसके बावजूद वहाँ खनन कार्य किया जा रहा था। पिछले दिनों ही अवैध खनन माफियाओं ने मेघालय के सामाजिक कार्यकर्ता अग्नेस खारशिंग और उनके साथियों पर हमला कर घायल कर दिया था। जब वे इसी पूर्वी जयंतिया हिल्स जिले में संचालित अवैध खनन की तस्वीरें और वीडियो लेने वहाँ गये हुए थे। इसके बावजूद खनन माफियाओं पर कोई प्रभावी नियंत्रण नहीं किया गया। इसी का दुष्परिणाम यह दुर्घटना है।
केन्द्र सरकार और राज्य सरकार को चाहिए कि वह तुरन्त बचाव दल में लगे लोगों को न केवल उच्च हार्स पावर के पंपों को मुहैया करवाये बल्कि और भी आधुनिकतम जरूरी साधन सुविधायें उपलब्ध करायें , ताकि खदान में फंसे इन मजदूरों को बचाया जा सके।
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