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अब अफसर वीडियो कॉन्फ्रेंस (VC) के जरिए दे सकेंगे गवाही


ग्वालियर। अब गवाह को गवाही के लिए दूसरे जिलों में नहीं भागना पड़ेगा। न सरकार को सरकारी गवाह पर पैसा खर्च करना पड़ेगा। अब गवाह वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से किसी भी कोर्ट में गवाही दे सकता है। इस व्यवस्था से सरकारी अधिकारी व कर्मचारी को ज्यादा फायदा होगा, क्योंकि स्थानांतरण होने के बाद वे गवाही के लिए नहीं आते हैं। यह गवाही पर पहुंचते हैं तो 3 से 4 हजार रुपए खर्च करने पड़ते हैं।

इस व्यवस्था से सरकार का यह पैसा भी बचेगा। बुधवार को विशेष सत्र न्यायाधीश रामजी गुप्ता की कोर्ट में लोकायुक्त पुलिस ने खरगोन जिले मंडलेश्वर तहसील के तहसीलदार डीडी शर्मा की वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से गवाही कराई। अब प्रदेश के सभी कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से गवाही शुरू कराने की व्यवस्था की गई है। इसके लिए जिला न्यायालय में लैब बनाई गई है, इसमें पूरा सिस्टम लगाया गया है। कैमरे के माध्यम से गवाह कहीं से भी गवाही दे सकता है।

न्याय प्रक्रिया में आएगी गति, सरकारी काम भी नहीं होगा प्रभावित

- अपराध के केसों में पुलिस अधिकारी व हवलदार बड़ी संख्या में गवाह होते हैं। इनका स्थानांतरण होने के बाद ये गवाही के लिए आसानी से नहीं आते हैं। यहां तक की कोर्ट को इन्हें वारंट जारी करके बुलाना पड़ता है।

- गवाह के समय पर नहीं आने से केस लंबे खिंचते हैं। सरकारी गवाह पर पैसा भी खर्च होता है। औसतन एक कर्मचारी को 3 से 4 हजार रुपए टीए-डीए देना पड़ता है।

विशेष न्यायालय में ऐसे कराई गवाही

- लोकायुक्त पुलिस ने अक्टूबर 2014 में पटवारी रामनिवास जौनवार को रिश्वत लेते हुए पकड़ा था। पटवारी ने बाथरूम में नोटों में आग लगा दी थी। प्रशासनिक अधिकारियों के आने के बाद उसने बाथरूम का गेट खोला था। तहसीलदार डीडी शर्मा इस केस में गवाह थे। उनका स्थानांतरण खरगोन जिले के मंडलेश्वर तहसील में हो गया था। उन्हें बुधवार को गवाही के लिए उपस्थित होना था।

- खरगोन के जिला न्यायालय में डीडी शर्मा पहुंचे। जिस रूम में कैमरा लगा हुआ है, वहां जाकर बताया कि ग्वालियर के विशेष न्यायालय में उनकी गवाही होनी है। उनकी पहचान के बाद विशेष सत्र न्यायाधीश रामजी गुप्ता की कोर्ट में लगे कैमरे से उन्हें लाइव कर दिया गया।

- पहले उनका मुख परीक्षण कराया गया, उसके बाद प्रति परीक्षण किया गया। पटवारी से संबंधित जो भी दस्तावेज लोकायुक्त पुलिस को दिए थे, वह कैमरे के माध्यम से तहसीलदार को दिखाए। गवाही ई मेल के माध्यम से उनके पास गवाही का प्रिंट भेजा गया। उन्होंने गवाही पढ़ने के बाद हस्ताक्षर कर दिए और ई मेल से गवाही का प्रिंट भेज दिया। एक घंटे में उनकी गवाही हो गई।

- अगर उन्हें गवाही के लिए ग्वालियर आना पड़ता तो तीन दिन की छुट्टी लेनी पड़ती। सरकार को छुट्टी के साथ 3 से 4 हजार रुपए टीए-डीए देना पड़ता। तहसीलदार के वहां नहीं होने से शासकीय कार्य भी प्रभावित होता, लेकिन वीडियो कॉन्फ्रेंस से एक घंटे में ही गवाही हो गई।

गवाही आसान हुई

- केसों में सरकारी गवाह आसानी से नहीं आते थे। लेकिन अब वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से गवाही आसान हो गई है। इससे केसों में गति भी आई है। अब कोई भी व्यक्ति गवाही वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से करा सकता है।

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