कौन होगा मध्यप्रदेश का अगला मुख्यमंत्री ? कांग्रेस आज कर सकती है ऐलान...
भोपाल . विधानसभा चुनाव परिणामों पर बुधवार अलसुबह तक रही संशय की स्थिति सुबह करीब 11:30 बजे खत्म हो गई। शिवराज सिंह चौहान ने राज्यपाल से मिलकर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद कांग्रेस ने नई सरकार के गठन और विधायक दल का नेता चुनने की प्रक्रिया शुरू की।
शिवराज ने कहा- जाने-अनजाने किसी का दिल दुखाया हो तो क्षमाप्रार्थी हूं, हार की जिम्मेदारी मेरी
सबसे पहले कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ, सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और पार्टी महासचिव दिग्विजय सिंह ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मिलकर 121 विधायकों का समर्थन पत्र सौंपते हुए सरकार बनाने का दावा पेश किया। इस 121 के आंकड़े में 114 कांग्रेस, 1 सपा, 2 बसपा और 4 निर्दलीय विधायक हैं। हालांकि शाम को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में हुई नव निर्वाचित विधायकों की पहली बैठक में मुख्यमंत्री का नाम तय नहीं हो पाया।
केंद्रीय पर्यवेक्षक एके एंटनी और भंवर जितेंद्र सिंह ने नाथ, सिंधिया और दिग्विजय समर्थक विधायकों से अलग-अलग चर्चा की। पार्टी सूत्रों के मुताबिक सभी विधायकों ने मुख्यमंत्री पद के लिए कमलनाथ और सिंधिया को अपनी पसंद बताया। सभी की राय जानकर एंटनी दिल्ली रवाना हो गए। अब वे अपनी रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को सौंपेंगे। राहुल ही मुख्यमंत्री पर अंतिम फैसला लेंगे। माना जा रहा है कि गुरुवार को वे विधायक दल के नेता का नाम घोषित कर देंगे।
इधर, बुधवार शाम 4 बजे से पीसीसी में कांग्रेस के नए विधायकों की बैठक शुरू हुई, जो रात 9 बजे तक चलती रही। विधायक दल का नेता चुनने के लिए वरिष्ठ विधायक आरिफ अकील ने एक लाइन का प्रस्ताव बैठक में रखा, जिसका सज्जन सिंह वर्मा, डाॅ. गोविंद सिंह, झूमा सोलंकी और निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह ने समर्थन किया। बाद में सभी विधायकों ने इस पर हस्ताक्षर किए और इसे एंटनी को सौंप दिया।
14 को शपथ संभव : बुधवार शाम को दिल्ली लौटे एके एंटनी गुरुवार को फिर भोपाल आएंगे। वे यहां पीसीसी में शाम 4 बजे होने वाली विधायकों की बैठक में शामिल होंगे। यहीं विधायक दल के नेता का एेलान भी कर दिया जाएगा। पार्टी सूत्रों के मुताबिक 14 दिसंबर को नए मुख्यमंत्री शपथ ले सकते हैं।
मुलाकातों का दौर...लंच पॉलिटिक्स : सिंधिया से 70 विधायक होटल में मिलने पहुंचे नए विधायकों ने कमलनाथ और सिंधिया से मुलाकात की। सिंधिया से 70 विधायक एक निजी होटल में भी मिले। बाद में ग्वालियर-चंबल के विधायकों के साथ सिंधिया ने लंच भी किया। 114 में से आधे से ज्यादा विधायकों की सिंधिया से इस मुलाकात को मुख्यमंत्री पद की पहली पसंद के रूप में भी देखा जा रहा है। सुबह बुरहानपुर विधानसभा से चुने गए निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह उर्फ शेरा और सुसनेर से विधायक विक्रम सिंह राणा भी सुबह सिंधिया से मिलने पहुंचे थे।
ये हो सकते हैं मंत्री... 36 नामों पर मंथन : विधानसभा अध्यक्ष - डाॅ. गोविंद सिंह, केपी सिंह
मंत्री- एनपी प्रजापति, ब्रजेंद्र सिंह राठौर, आरिफ अकील, सज्जन सिंह वर्मा, हुकुम सिंह कराड़ा, बाला बच्चन, विजय लक्ष्मी साधौ, बिसाहूलाल सिंह, सुखदेव पांसे, दीपक सक्सेना, राजवर्द्धन सिंह दत्तीगांव, डाॅ. प्रभुराम चौधरी, सचिन यादव, जीतू पटवारी, पीसी शर्मा, एंदल सिंह कंसाना, लक्ष्मण सिंह/ जयवर्द्धन सिंह, लाखन यादव, हिना कावरे, तुलसी सिलावट,गोविंद राजपूत, लखन घनघोरिया, कमलेश्वर पटेल, तरुण भानौत, ओमकार सिंह मरकाम, रामलाल मालवीय, प्रद्युम्न सिंह तोमर, इमरती देवी, दिलीेप गुर्जर, हर्ष यादव, उमंग सिंघार, सुरेंद्र सिंह उर्फ शेरा और प्रदीप जायसवाल (दोनों निर्दलीय)।
भाजपा आराम नहीं करेगी : शिवराज
इस्तीफा सौंपने के बाद शिवराज ने कहा कि भाजपा ऐसी नहीं है कि हार के बाद एक माह तक आराम करे। हम पहले दिन से ही जिम्मेदार विपक्ष की तरह जमीन पर उतरेंगे। सरकारी आयोजनों में भी प्रमुखता से भागीदारी करेंगे। हम उस प्रवृत्ति के नहीं हैं कि किनारा करें। रचनात्मक भूमिका में अागे रहेंगे। चौहान ने कहा कि भाजपा सरकार ने जनता के दुख-दर्द देखकर ही योजनाएं बनाई हैं। उम्मीद है कि उसे निरंतरता मिलेगी।
रणनीति : कर्जमाफी पर घेरेगी
सत्ता से बाहर होते ही भाजपा सशक्त विपक्ष की भूमिका में पहले दिन से ही आ गई है। सरकार बनने के दस दिन के भीतर कर्जमाफी की कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की घोषणा को शिवराज ने निशाने पर लेते हुए कहा कि अब चौकीदारी की जवाबदारी हमारी है।
भाजपा कैसे पीछे हट गई?
दिल्ली की सलाह- लोकसभा चुनाव पर फोकस करो एक दिन पहले सरकार बनाने का दावा करने वाली भाजपा चुनाव परिणामों की स्थिति साफ होने के बाद इस फैसले से पीछे हट गई। सूत्रों के मुताबिक दिल्ली में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश नेतृत्व को लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पीछे हटने की सलाह दे दी। भाजपा को उम्मीद थी कि वह 111 या 112 के अंक तक पहुंच जाएगी और कांग्रेस से एक सीट आगे रहेगी। एेसी सूरत में वह सरकार बनाने की पहल करती। चार निर्दलीय भाजपा के संपर्क में थे।
भावुक हुए शिवराज; बोले- मैं इस हार का दोषी हूं, लेकिन अब आजाद हूं
2008 में 38 प्रतिशत वोट मिले तो भाजपा की 143 सीटें आईं। इस बार 41 प्रतिशत वोट मिले, पर भाजपा फेल हो गई। इस हार का दोषी मैं हूं लेकिन अब आजाद हूं। - शिवराज सिंह चौहान, कार्यवाहक मुख्यमंत्री
नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी मिल सकती है : कार्यवाहक मुख्यमंत्री शिवराज के इस्तीफा सौंपने के बाद प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने भी पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को इस्तीफे की पेशकश की, हालांकि शाह ने इसे टालते हुए डटकर काम करने को कहा। गुरुवार को दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक हो सकती है। इसमें तीनों राज्यों में मिली हार की समीक्षा होगी। मप्र की भाजपा इकाई केंद्रीय नेतृत्व से नेता प्रतिपक्ष के नाम की चर्चा कर सकती है। बताया जा रहा है कि संगठन लोकसभा चुनाव तक शिवराज को ही इस भूमिका में रख सकता है।