सॉंप के डसने से हुई बुजुर्ग की मौत, जिंदा करने मुर्दाघर में चलती रही तंत्र क्रिया
गुना. सांप पकड़ने में माहिर एक बुजुर्ग को नशे की हालत में सांप पकड़ना भारी पड़ गया। सर्प दंश के शिकार बुजुर्ग व्यक्ति की मौत हो गई। उसे जिंदा करने के लिए जिला अस्पताल के पीएम रूम में ही तांत्रिक क्रियाएं की गईं। 10 मिनट तक चले इस ड्रामे के बाद भी जब मुर्दे में हलचल नहीं हुई तो तांत्रिक ने कहा कि देर हो गई, अगर समय रहते मुझे बुला लेते तो इसकी जान बच सकती थी। यह सब कुछ पुलिस के सामने चलता रहा, लेकिन इस अंधविश्वास को रोकने की कोशिश नहीं की गई।
शहर के भुल्लनपुरा निवासी कन्हैयालाल जाटव ने नशे की हालत में रविवार शाम भुजरिया तालाब के पास एक जहरीले सांप को पकड़ा था, इसे वह लेकर अपने घर पहुंचा, तभी उसके अंगूठे में सांप ने डस लिया तो वह इसे वापस तालाब में ही छोड़ गया, फिर घर पहुंचा तो तबीयत बिगड़ गई। परिजन उसे उपचार के लिए जिला अस्पताल लेकर आए। रात 2 बजे के लगभग उसकी मौत हो गई। शव को पीएम रूम में रखा गया।
लंबे समय सांपों को पकड़ने में माहिर था कन्हैंया : परिजन यह मानने को तैयार नहीं थे कि कन्हैया की मौत हो चुकी है, क्योंकि वह खुद सांप पकड़ने का हुनर जानता था। वह लंबे समय से कई जहरीले सांपों को पकड़ चुका था, इसलिए सुबह होते ही उसे जिंदा करने के लिए अशोकनगर के धुर्रा गांव से तांत्रिक को बुलाया गया। उसका दावा था कि वह कई मुर्दों को जिंदा कर चुका है।
पीएम रूम खुलवाया, तब तांत्रिक ने मंत्र पढ़े: जिला अस्पताल का पीएम रूम खुलवाने के लिए परिजन पुलिस के पास पहुंचे और बहाना बनाया कि रिश्तेदार मृतक को देखना चाहते हैं। इसके बाद पुलिस ने पीएम रूम खुलवा दिया, तभी तांत्रिक ने क्रियाएं शुरू कीं। इसी दौरान पुलिस भी पीएम रूम में पहुंची और उसी के सामने तंत्र क्रियाएं चलती रहीं।
मुंह खुल गया नहीं तो जिंदा हो जाता: तांत्रिक नसरुद्दीन खान ने मीडिया को बताया कि वह सर्प दंश का शिकार कई लोगों को ठीक कर चुका है, लेकिन इस मामले में देरी हो गई। कारण था कि मृतक का मुंह खुल गया था। अगर यह बंद रहता तो जिंदा होने की संभावना थी।
अब तक एक भी मामले में नहीं मिली सफलता : सर्प दंश के शिकार लोगों को जिंदा करने के लिए लंबे समय से तंत्र क्रियाएं होती रही हैं, लेकिन एक भी ऐसा मामला सामने नहीं आया, जिसमें कोई मृत व्यक्ति जिंदा हुआ हो। चिकित्सकों का कहना है कि समय पर इलाज कराने पर ही जान बच सकती है। यह सब कुछ अंधविश्वास की चीजें हैं।