शिप्रा के शुद्धिकरण और उसे प्रवाहमान बनाने के लिये जन-आन्दोलन की जरूरत
शिप्रा शुद्धिकरण न्यास की बैठक आयोजित
उज्जैन | गुरूवार को मक्सी रोड स्थित नौलखी ईको टूरिज्म पार्क में शिप्रा शुद्धिकरण न्यास के सदस्यों की बैठक आयोजित की गई। बैठक में डॉ.एसके श्रीवास्तव, समन्वयक श्री बीके शर्मा, श्री हेमन्त सोनी, श्री हेमन्त व्यास, श्री गोपाल पोरवाल एवं अन्य सदस्य, बैंकर्स तथा कॉर्पोरेट सेक्टर से आये लोग मौजूद थे। बैठक में शिप्रा शुद्धिकरण न्यास के कार्य और उद्देश्य के बारे में जानकारी दी गई। बताया गया कि शिप्रा के शुद्धिकरण और उसे प्रवाहमान बनाने के लिये जन-आन्दोलन की आवश्यकता है। न्यास में और भी सदस्य बढ़ाये जायें।
जानकारी दी गई कि कॉर्पोरेट जगत से जुड़े लोग शिप्रा किनारे सीएसआर गतिविधियां संचालित करें। इसमें जितनी राशि लगाई जायेगी, उतनी राशि का सहयोग नाबार्ड द्वारा किया जायेगा। गौरतलब है कि वर्तमान में शिप्रा नदी के किनारे 40 लाख रूपये की लागत से पौधारोपण किया जा रहा है। नदी किनारे जो भी सेक्टर कार्य करे, वे वहां अपनी संस्था का बोर्ड लगा सकते हैं। कुछ निजी संस्थान भी इस ओर अच्छा कार्य कर रहे हैं।
समन्वयक श्री शर्मा ने इस अवसर पर कहा कि शिप्रा को प्रवाहमान बनाने के लिये इसके किनारों पर सघन पौधारोपण किया जा रहा है। पौधारोपण करने के पश्चात 3 वर्ष तक इसका मेंटेनेंस भी किया जायेगा। न्यास का मूल उद्देश्य ही यही है कि शिप्रा को प्रवाहमान बनाने के लिये निरन्तर प्रयास किये जायें। शुद्धिकरण न्यास की आजीवन मेंबरशिप की राशि 11 हजार रूपये है और वार्षिक राशि 1100 रूपये निर्धारित की गई है। इसमें बैंकों तथा अन्य सेक्टर्स से संस्थाओं के मेम्बर बनाये गये हैं। शिप्रा तभी प्रवाहमान होगी, जब इन्दौर की पहाड़ियों पर भी पौधारोपण किया जाये। दूषित जल को शिप्रा नदी में मिलने से रोकने के लिये शहर में सॉलिड वेस्ट ट्रिटमेंट के अन्तर्गत अच्छा कार्य किया जा रहा है। इसके अलावा इस वर्ष 1 लाख पौधे लगाये जाने की योजना है। बैठक में अन्य सदस्यों ने भी अपने विचार व्यक्त किये।