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माँ और गायत्री माता सबसे निकटतम रिश्ते हैं- मधुरी दीदी



उज्जैन। भौतिक जगत में अपनी माँ और आध्यात्मिक जगत में गायत्री माता हमारे सबसे निकटतम रिश्ते हैं। इसीलिए ऋषियों ने तर्पण के समय अपनी माता को गायत्री रूप में जल दान करने का विधान बनाया है। 
यह जानकारी माधुरी सोलंकी दीदी ने गायत्री शक्तिपीठ पर मातृनवीं के दिन तर्पण पिंडदान करने आए श्रृद्धालुओं को दी। यहां पर श्राद्ध पक्ष होने बाले निःशुल्क तर्पण पिंडदान का संचालन मातृनवमीं को महिला पुरोहितों द्वारा कराया जाता है। संचालन करने वाली महिला टोली में सुषमा भट्ट एवं डॉ. वंदना जोशी शामिल थीं। यहां स्मरणीय है कि  पितरों को तर्पण के समय वसु, आदित्य, रुद्र, सावित्री, लक्ष्मी रुप में कई पितरों को जल दान करने का विधान है पर गायत्री रुपा केवल अपनी माँ को ही कहा गया है। यहाँ पर प्रतिदिन बड़ी संख्या में माता बहिनें भी तर्पण में शामिल हो रहीं हैं।

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