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पोषण पुनर्वास केन्द्र की मदद से कुपोषण से मुक्त हो सका बालकनाथ


 

उज्जैन । दिहाड़ी मजदूरी करने वाले श्री मोहननाथ अपनी पत्नी व बच्चे के साथ रोजगार की तलाश मे कई दिनों तक दिल्ली में रहे। वे काम खत्म होने के बाद अपने मूल ग्राम बेरछा (तहसील खाचरौद जिला उज्जैन) वापस लौट आये। इसी दौरान स्वास्थ्य विभाग द्वारा दस्तक अभियान चलाया जा रहा था, जिसमें ग्राम के प्रत्येक घर में गृह भेंट के दौरान स्वास्थ्य कार्यकर्ता द्वारा मोहननाथ के बच्चे बालकनाथ का परीक्षण किया गया। इसमे उन्होंने पाया कि पौष्टिक आहार न मिलने के कारण लगभग 2 वर्ष का बालकनाथ बेहद कमजोर, सुस्त एवं बीमार-सा नजर आ रहा था। सामान्य बच्चों की तुलना में उसकी चंचलता लगभग न के बराबर प्रतीत हो रही थी।

    वजन करने पर उसका वजन लगभग साढ़े 5 किलो पाया गया एवं शासन द्वारा दिये गये विशेष उपकरण (एम.यु.एस.ई) से बांह का माप लेने पर वह 10.02 अर्थात अतिगंभीर कुपोषित श्रेणी में पाया गया। जब मां से बच्चे के खान-पान के बारे मे जानकारी प्राप्त की, तो बताया गया कि इसको अक्सर दस्त लगते हैं। ऐसा हो सकता है मेरे ठंडे पानी मे काम करने से या इसके द्वारा खट्टी चीजें खा लेने से लग जाते होंगे। वैसे तो मैं इसका बहुत ध्यान रखती हूं।

    महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता के साथ ही उस समय आशा कार्यकर्ता एवं आंगवाड़ी कार्यकर्ता भी थीं। उन्होंने श्रीमती रामकन्याबाई (बच्चे की मां) को समझाया कि शौच के लिये शौचालय का उपयोग करना चाहिए, बच्चे का शौच धुलाने के बाद साबुन से हाथ धोना चाहिए, स्वयं भोजन करने से पहले या बच्चे को भोजन कराने के पहले साबुन से हाथ धोना चाहिए, भोजन पकाने या परोसने के पहले भी साबुन से हाथ धोना चाहिए, दस्त के दौरान बच्चे को ओआरएस का घोल व जिंक की गोली देना चाहिए। साथ ही चिकित्सक को भी दिखाना चाहिए। सभी कर्मचारियों द्वारा श्रीमती रामकन्याबाई के बच्चे की गंभीर स्थिति को देखते हुए सिविल अस्पताल नागदा के पोषण पुनर्वास केन्द्र में भर्ती करने हेतु आग्रह किया गया। उनकी बातों को रामकन्याबाई के पति श्री मोहननाथ भी ध्यान से सुन रहे थे, उन्होंने बच्चे को पोषण पुनर्वास केन्द्र में भर्ती कराने की सहमति दी।

    चौदह दिनों तक बच्चे को पोषण पुनर्वास केन्द्र मे भर्ती रखकर उचित उपचार करवाया गया और पौष्टिक आहार प्रदान किया गया। चिकित्सकों द्वारा नियमित रूप से बच्चे का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। साथ ही श्रीमती रामकन्याबाई को घर में उपलब्ध खाद्य सामग्री से पौष्टिक आहार किस प्रकार से बनाया जाता है, इस बारे में प्रशिक्षित किया गया। 14 दिनों के पश्चात श्रीमती रामकन्याबाई को क्षतिपूर्ति राशि व आने-जाने का किराया प्रदान किया गया। 14 दिनों तक पोषण पुनर्वास केन्द्र में भर्ती रहकर और उचित उपचार पाकर अब बालकनाथ का वजन लगभग 07 किलो हो गया था। बच्चे की (एम.यु.एस.ई) से बांह का माप लेने पर अब माप 11.06 हो चुका था। अब बच्चा स्वस्थ्य एवं हंसमुख लग रहा था। बच्चे को लेने आये उसके पिता श्री मोहननाथ शासन द्वारा चलाये जा रहे दस्तक अभियान एवं पोषण पुनर्वास केन्द्र में बच्चों को दी जा रही स्वास्थ्य सेवाओं की प्रशंसा करते हुए शासन को कोटि-कोटि धन्यवाद देते हैं।

    मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.एमएल.मालवीय द्वारा बताया कि 14 जून 2018 से 31 जुलाई 2018 तक अन्य जिलों के साथ-साथ उज्जैन मे भी दस्तक अभियान चलाया गया था। इस दौरान जिले में 1279 शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में गांव/वार्डों में विभागीय मैदानी अमले द्वारा महिला एवं बाल विकास विभाग के सहयोग से गृहभेंट की गई। इस दौरान 05 वर्ष से कम उम्र के 1,97,769 बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया, जिसमें से 64 कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केन्द्र में भर्ती कर उपचार प्रदान किया गया और 346 बच्चे एनीमिक (रक्त अल्पता), 341 निमोनिया और 30 बच्चे डायरिया (दस्तरोग) से पीड़ित पाये गये, जिन्हें भी उचित उपचार कर स्वस्थ्य किया गया।        

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