परिषद परिवार के संयुक्त दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का हुआ शुभारंभ
पूण्य सम्राट् हम से पहले उज्जैन पहुच गए- गच्छाधिपति आचार्य नित्यसेन सुरिश्वर
उज्जैन। समय अपनी रफ़्तार से चल रहा है और आज यहाँ यह विशाल मेला देख कर चित प्रसन्न हो रहा है। परिषद अपने आप में एक महत्वपूर्ण संस्था है। शताब्दी मिट जाने के बाद भी यह परिषद् चलती रहेगी। परिषद आज एक विशाल वटवृक्ष बन गया है जिसकी छाँव में बैठ कर हम सभी फल ले रहे है। आप का बना हुआ बगीचा कहि उजड़ न जाय, ईर्ष्या के कारण इसे तोड़ने वाले मिलेंगे लेकिन आप को दृढ रहना है। उस मालिक के बगीचे का सेवक यहाँ बैठा है जो एक भी पत्ता हिलने नहीं देगा। आप सब की दृढ़ता-एकता तूफान और आंधी में भी नहीं हिलना चाहिए। नींव मजबूत है ओर यह और फेलते जायेगा। हम 4000 किमी की यात्रा क्कर उज्जैन आये। धन्य है उज्जैन की धरा यहाँ की गुरु भक्ति जो प्रवेश के दिन से देखने को मिल रही है यह इसलिए क्योंकि पूण्य सम्राट् हम से पहले उज्जैन पहुच गए।
उक्त बात उज्जैन में परिषद् परिवार के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में गच्छाधिपति आचार्य देवेश श्रीमद् विजय नित्यसेन सुरिश्वर जी महाराज ने परिषद के लिए अपने आशीर्वचन में कही। आचार्यश्री ने कहा पूण्य परम्परा का वासक्षेप आप लेकर चल रहे है। आज आप सभी जगह से आए लोगों के दिल में मुझे पूण्य सम्राट नजर आ रहे है। यह उज्जैन में 36 मासक्षमन, 111 अट्टई, 300 अट्टम तप, 1008 आयम्बिल, 800 नवकार मन्त्र के आराधक के साथ ही 180 उपवास की तपस्या भी चल रही है। आपने शाश्वत धर्म के ज्ञान के खजाने को घर घर पहुचाने की सभी से अपील की। उज्जैन परिषद सम्मेलन में पूरे देश के सदस्य संम्मिलित हुए। वीरेन्द्र गोलेचा के अनुसार परिषद परिवार के संयुक्त दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ 29 सितम्बर को हुआ। अखिल भारतीय श्री राजेन्द्र जैन नवयुवक, महिला, तरुण, बहु एवं बालिका परिषद् के इस संयुक्त सम्मेलन में देश के कोने कोने से 2000 सदस्य शामिल हुए। प्रातः 8 बजे ज्ञानमंदिर नमकमंडी से गुरुभगवंतो की निश्रा में प्रभात फेरी निकाली गयी जो सराफा, छत्रीचौक, भागसीपुरा, खाराकुआ होते हुए, प्रवचन मण्डप नमकमंडी पहुंचा। जहां राष्ट्रीय पदाधिकारियों की उपस्थिति में परिषद का ध्वज फहराया गया। सभी ने ध्वजवन्दन गीत के माध्यम से ध्वज वंदन किया। आचार्य श्री एवं मुनि भगवन्तों के प्रवचन हुए। नवयुवक परिषद् राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश धरू, महिला परिषद् राष्ट्रीय अध्यक्ष अंगूरबाला सेठिया एवं तरुण परिषद् राष्ट्रीय अध्यक्ष करण मोरखिया ने अपने अपने परिषद् द्वारा किए गए कार्यो का उल्लेख किया। राष्ट्रीय महामंत्री अशोक श्रीश्रीमाल एवं संजय कोठारी द्वारा संचालित इस सम्मेलन में स्वागत उदबोधन उज्जैन श्रीसंघ अध्यक्ष मनीष कोठारी एवं उज्जैन परिषद् अध्यक्ष नितेश नाहटा ने दिया। मुख्य अतिथि योजना आयोग के उपाध्यक्ष चैतन्य कश्यप ने परिषद् को समाज के लिए एक महत्वपूर्ण देन बताया। विशेष अतिथि श्रीसंघ के राष्ट्रीय महामन्त्री सुरेन्द्र लोढ़ा, सुशील गिरियां, सुधीर लोढ़ा, मोहित तातेड, ब्रजेश बोहरा, दिनेश मामा, राजेन्द्र दंगावडा, शांतिलाल गोखरू, अरविन्द भाई देसाई, पदमा सेठ, गुणमाला नाहर, सुजीत सोलंकी का स्वागत सुरेश पगारिया, शांतिलाल रुणवाल, राकेश चत्तर, दीपक डागरिया, रजत मेहता, आदित्य भटेवरा, राहुल सकलेचा आदि ने किया।
अपनों से हुई अपनी बात
दोपहर को दूसरे सत्र में अलग अलग तीन स्थानों पर अपनों से अपनी बात हुई जिसमे नवयुवक परिषद् प्रवचन मण्डप, तरुण परिषद् ज्ञानमंदिर में तो महिला, बहु एवं बालिका परिषद् का सम्मेलन शांतिनाथ धर्मशाला में हुआ। जिसमे सभी शहरो को शाखाओ द्वारा अपना अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया।
जिन शासन की जाहो जलाली बढ़ाने में परिषद् सर्वप्रथम संस्था- मुनिराज श्री विद्वरत्न विजय जी’
उज्जैन परिषद् सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में मुनिराज विद्वरत्त्न विजय ने आशीर्वचन देते हुए कहा ऊर्जा और शक्ति का स्त्रोत है परिषद्। प्रेम और व्यवस्था का संकल्प है परिषद। संघर्ष को संस्कार और संस्कृति के साथ जीवन का अभिवादन बनाती है परिषद्। कभी भी समाज, परिवार प्राणी चाहें वो तिर्यंच हो उसे जरूरत पड़ने पर परिषद् ने आगे आकर कार्य किया है। परिषद ने सेवा धर्म को प्रथम माना है। पूण्य सम्राट् की सोच ’मात्र सेवा से मोक्ष मिल सकता है’, उसे ही परिषद् ने अपना उद्देश्य माना है। आपको अपने आप से जोड़ने वाली संस्था है परिषद्। यतीन्द्र गुरु द्वारा बोया बिज को पूण्य सम्राट् ने विशाल वट वृक्ष बना दिया है जिसकी विशाल मजबूत शाखाएं आज यहाँ आप सभी के रूप में देखने को मिल रही है। परिषद् या समाज कोई भी बहकावे में न आए। माँ कभी बेटे का ध्यान रखना भूलती नहीं उसी प्रकार परिषद् भी आपकी माँ है यह आप सभी का ध्यान रखती है। परिषद् तो संस्कार और संस्कृति की जननी है, गुरुदेव के प्राण परिषद् में है। आपने कहा उज्जैन श्रीसंघ एवं परिषद् परिवार ने मिलकर इस चातुर्मास को सोने पे सुहागा कर दिया। इनके संस्कार आने वाली पीढ़ी के लिए नए बीज का रोपण कर रहे है, नया उदाहरण पेश कर रहे है। लेट गो की भावना रखने वाला ही आगे बढता है। 11 अक्टूबर को सभी भन्दावपुर पहुंचे। इस सेवा में अपनी आहुति देते आगे बड़े। मुख्य अतिथि चैतन्य कश्यप ने अपने उद्बोधन में कहा कि त्रिस्तुतिक श्रीसंघ को एक अनुपम उपहार है परिषद्। संघ और समाज की सेवा का यह संकल्प ही है जो आज पूण्य सम्राट् की अनुपस्थिति में भी इतनी विराट संख्या में यहा हम इतनी विशाल संख्या में संम्मिलित हुए है।