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'वेदों के अध्ययन के साथ-साथ उन पर शोध भी करने की आवश्यकता' – केंद्रीय मंत्री श्री जावड़ेकर


 

उज्जैन प्राचीन काल से ही वेद अध्ययन के प्रमुख केंद्रों में से एक रहा- ऊर्जा मंत्री श्री जैन

वेद विद्यालय में वेदों के साथ 14 विद्या, 64 कलाओं का अध्ययन भी करवाया जाए- विधायक डॉ. यादव

राष्ट्रीय आदर्श वेद विद्यालय का उज्जैन में उद्घाटन हुआ

    उज्जैन । केंद्रीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने गुरूवार को चिन्तामण रोड़ स्थित महर्षि सांदीपनि वेद विद्या प्रतिष्ठान के परिसर में राष्ट्रीय आदर्श वेद विद्यालय का उद्घाटन किया। इस अवसर पर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्री पारस जैन, विधायक डॉ. मोहन यादव, महर्षि सांदीपनि वेद विद्या प्रतिष्ठान के उपाध्यक्ष प्रो. रविन्द्र अम्बादास मूले, प्रतिष्ठान के सचिव प्रो. विरूपाक्ष. व्ही. जड्डीपाल, विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पाण्डेय एवं अन्य गणमान्य नागरिक मौजूद थे।

    कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस अवसर पर कहा कि महर्षि सांदीपनि वेद विद्या प्रतिष्ठान देश के सारे वेद विद्यालयों को ग्रेण्ड देती है, जिनमें लगभग 6 हजार वेद पढ़ने वाले छात्र हैं। आज यहाँ भी राष्ट्रीय आदर्श वेद विद्यालय का शुभारंभ हो रहा है। यहाँ विद्यार्थी वेदों के अलावा संस्कृत, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान, सामान्य विज्ञान, योग, कम्प्यूटर आदि विषयों का भी अध्ययन करेंगे।

    श्री जावड़ेकर ने कहा कि यूनेस्को ने वेदों को वैश्विक धरोहर माना है। वेदों में विश्व का मार्गदर्शन करने वाला साहित्य मौजूद है। वर्तमान में पूरी दुनिया में 40 से ज्यादा देशों में वेदों का अध्ययन किया जाता है। पूरी दुनिया वेदों के महत्व को मानने लगी है। वेदों का अध्ययन करने वाले विद्यार्थी उनमें निहित भावार्थ को समझें। इसके अलावा केवल अध्ययन करने के बजाय वेदों पर शोध भी होने चाहिए। ये असीमित ज्ञान का भण्डार है, जो सदियों से चला आ रहा है। इसीलिए चिरकाल तक बनाये रखने के लिए इनमें निरंतर शोध किये जाने चाहिए।

    वेदाध्ययन करने वाले विद्यार्थी दूसरे विषयों को भी समान रूप से सीखें और उनमें दक्षता हासिल करें। यह ध्यान रखें कि वेद अध्ययन कर हमें केवल कर्मकाण्ड कराने वाले पुरोहित नहीं बल्कि संपूर्ण ज्ञाता बनना है।

    श्री जावड़ेकर ने कहा कि ये बड़े गर्व का विषय है कि दुनिया में एक देश की केवल एक भाषा ही होती है। हमारे देश में तो कई प्रादेशिक भाषाएँ हैं। हमारे कई प्रदेश तो दुनिया के कुछ देशों से भी बड़े हैं। हमें इन सभी भाषाओं का विस्तार करना होगा, इनका अध्ययन करना होगा। आगामी 15 अक्टूबर से इस विद्यालय में कक्षाएं शुरू हो जाएंगी। श्री जावड़ेकर ने अपनी ओर से सभी को शुभकामनाएं दी।

    ऊर्जा मंत्री श्री पारस जैन ने इस अवसर पर कहा कि उज्जैन प्राचीन काल से ही वेद अध्ययन के प्रमुख केंद्रों में से एक रहा है। उज्जैन नगरी एक चुम्बकीय आकर्षण की नगरी है। काफी समय से यहाँ राष्ट्रीय आदर्श वेद विद्यालय की स्थापना करने की कार्य योजना बनाई जा रही थी। आज इस योजना ने मूर्त रूप ले लिया है। उज्जैन के इस प्रतिष्ठान में वेदों के अलावा अन्य विषय भी छात्रों को पढ़ाए जाएंगे। यहाँ से अध्ययन कर निकले छात्र देश- विदेश में उज्जैन की कीर्ति बढ़ाएंगे।  

    विधायक डॉ. मोहन यादव ने इस अवसर पर कहा कि यह वर्ष विक्रम संवत 2075 अमृत महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। इसमें राष्ट्रीय आदर्श वेद विद्यालय का प्रारंभ होना उज्जैन वासियों के लिए एक बहुत बड़ी सौगात है। यहाँ वेदों के अलावा जिन 14 विद्या और 64 कलाओं का अध्ययन श्री कृष्ण को महर्षि सान्दीपनि ने करवाया था वे भी शुरू करने चाहिए।

    विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति श्री पाण्डेय ने इस अवसर पर कहा कि वेद विद्यालय के प्रारंभ होने से लोगों का रूझान वेदों के प्रति बढ़ेगा और यह विद्यालय देश में प्राचीन वैदिक संस्कृति का व्यापक प्रचार-प्रसार करने में सहयोग करेगा।

    कार्यक्रम में जानकारी दी गई कि राष्ट्रीय आदर्श वेद विद्यालय की स्थापना करने का निर्णय लगभग 30 वर्ष पूर्व लिया गया था। इसकी परिकल्पना थी कि वेद की मौखिक परंपरा का अध्ययन कर रहे छात्रों को वेद के साथ-साथ अन्य विषयों का अध्ययन कराते हुए उन्हें देश की मूल धारा से जोड़कर एक आदर्श व्यक्तित्व एवं भारतीय वैदिक संस्कृति का संरक्षण किया जाए। इस विद्यालय से तैयार होने वाले छात्र तेजस्वी और समाज के सामने एक आदर्श स्थापित करेंगे। देश की शिक्षा प्रणाली में अध्यात्म का पुट होना बेहद जरूरी है।

    इस प्रतिष्ठान में वेद की सभी 9 शाखाओं का अध्ययन होगा और प्रत्येक शाखा के लिए प्रतिवर्ष 10 छात्रों को प्रवेश दिया जाएगा। यह विद्यालय पूर्ण रूप से नि:शुल्क आवासीय विद्यालय रहेगा। छात्रों के आवास एवं भोजन की व्यवस्था प्रतिष्ठान परिसर के छात्रावास में पूर्णत: नि:शुल्क रहेगी।

    कार्यक्रम का संचालन श्री ए.व्ही. राव ने किया और आभार प्रदर्शन प्रो. विरूपाक्ष जड्डीपाल ने किया।  

 

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