पर्यूषण पर्व के आठवें दिन उत्तम त्याग धर्म की होगी पूजा
त्याग वह धर्म है जिससे बैरी भी चरणों में प्रणाम करता है
उज्जैन। दिगंबर जैन समाज के पर्युषण पर्व में शुक्रवार 21 सितंबर को आठवें दिन उत्तम त्याग धर्म की पूजा होगी एवं दही खट्टा रस का त्याग होगा। उत्तम त्याग धर्म के लिए बोर्डिंग जैन मंदिर में विराजित विदक्षा श्री माताजी और श्री महावीर तपोभूमि पर मीना दीदी साधना दीदी ने कहा कि त्याग से निर्मल र्कीित फैलती है, त्याग से बैरी भी चरणों में प्रणाम करता है और त्याग से भोगभूमि के सुख मिलते हैं। विनयपूर्वक बड़े प्रेम से शुभवचन बोलकर नित्य ही त्याग, दान देना चाहिए। सर्वप्रथम अभय दान देना चाहिए जिससे परभव के दुरूखों का नाश हो जाता है। पुनः दूसरा शास्त्र दान करना चाहिए, जिससे निर्मल ज्ञान प्राप्त होता है। रोग को नष्ट करने वाला औषधि दान देना चाहिए, जिससे कभी भी व्याधियों की प्रगटता नहीं होती है। आहार दान से धन और ऋद्धियों की प्राप्ति होती है, यह चार प्रकार का त्यागकृदान सनातन परम्परा से चला आ रहा है अथवा दुष्ट विकल्पों के त्याग करने से त्याग धर्म होता है। समुच्चय रूप से इसे त्याग धर्म मानो। दुरूखी जनों का दान देना चाहिए, गुणी जनों का मानकृसम्मान करना चाहिए, भंगरहित एकमात्र दया की भावना करनी चाहिए और मन में सतत सम्यग्दर्शन का चितवन करना चाहिए। समाज के सचिव सचिन कासलीवाल ने बताया कि दिगंबर जैन के सभी मंदिरों में चल रही है पर्वाधिराज पर्युषण पर्व की धूम हो रही है नित्य आराधना पूजा पाठ अभिषेक सांस्कृतिक कार्यक्रम हो रहे हैं।
सोने को तपा कर शुद्ध किया जाता है उसी प्रकार मनुष्य तप से भगवान बन सकता है
पर्वाधिराज पर्युषण पर्व पर तपोभूमि मीना दीदी ने कहा कि पिछले दिनों में हमने इस दुःख रूप संसार-समुद्र से उत्तम सुख (मोक्ष) में पहुँचाने वाले धर्म के दसलक्षणों में से आदि के 6 (क्षमा, मार्दव, आर्जव, शौच, सत्य और संयम) लक्षणों को पढ़ा सुना और पूजा की उसी क्रम में गुरुवार को उत्तम तप धर्मष् का दिन है 7 उत्तम तप धर्म इच्छाओं का निरोध करना तप है जिस प्रकार सोने को तपाने पर वह समस्त मैल छोड़ कर शुद्ध हो जाता है और चमकने लगता है उसी प्रकार मनुष्य रूपी शरीर में तप करने से भगवान बनने की राह आसान हो जाती है और मनुष्य तप की साधना से शुद्ध हो जाता है सातवें दिन श्री जी के प्रथम अभिषेक चन्दकान्ता बाबूलाल जैन एवं शांतिधारा सुशीला देवी, संजय अर्चना, सचिन विनीता कासलीवाल, विकास तोषी सेठी, इन्दर मलजी लतादेवी जैन व पवन कजावत विमल मंजुला पुष्पराज ज्योती जैन का लाभ प्राप्त हुआ।
उत्तम तप से कर्मों का नाश होता है विदक्षा श्री माताजी
श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर बोर्डिंग में विदक्षा श्री माताजी मैं कहा कि उत्तम तप धर्म बड़ा ही दुर्लभ धर्म है तब से ही संसार रूपी नदी से पार लगाया जा सकता है। तप वह है जहाँ अपने और पर के स्वरूप का विचार किया जाता है और तप वह है जहाँ भवकृपर्याय के अहंकार को छोड़ा जाता है। तप वह है जहाँ अपने स्वरूप का िंचतवन किया जाता है, तप वह है जहाँ कर्मों का नाश किया जाता है, तप वह है जहाँ देवगण अपनी भक्ति प्रकाशित करते हैं और जहाँ भव्य जीवों के लिए प्रवचन के अर्थ का कथन किया जाता है। तप वह है जिसके होने पर निश्चित ही केवलज्ञान उत्पन्न हो जाता है और जिससे नित्य शाश्वत सौख्य की प्राप्ति की जाती है स्थिर मन होकर उसकी पूजा करनी चाहिये और मद तथा मात्सर्य भावों को छोड़कर पाँचों इन्द्रियों का दमन कर गौरव के साथ उस उत्तम तप को धारण करना चाहिये बोर्डिंग मंदिर के अध्यक्ष इंदरचंद जैन ललित जैन आदि कई लोग मौजूद थे।