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धूप दशमी के रूप में मनेगा पर्युषण महापर्व का छठा दिन और होगी उत्तम संयम की पूजा



उज्जैन। पर्युषण पर्व के छठे दिन बुधवार 19 सितंबर को उत्तम संयम धर्म धूप (सुगंध) दशमी मनेगी व घी रस का त्याग रहेगा व उत्तम संयम धर्म के साथ धूप दशमी पर्व मनाया जाता है जिसे सुगंध दशमी पर्व भी कहा जाता है। इस दिन सभी मंदिरों को भव्य रुप से सजाया जाता है। संपूर्ण समाज इस दिन सभी मंदिरों में दर्शन करने एवं धूप खेने जाता है सुबह से ही मंदिरों में चहल-पहल बनी रहती है एवं अनेक धार्मिक आयोजन  के साथ-साथ मंडल विधान की रचना भी की जाती है। जिसमें धार्मिक और संस्कारित चित्रों को दिखाकर या बना कर सभी मंदिरों में सजाया जाता है। मंडल जी और झांकियों को देखने के लिए लोग उत्साहित रहते हैं।
समाज के सचिव सचिन कासलीवाल ने बताया कि पर्युषण  पर्व के छठे दिन संयम धर्म पर शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर बोर्डिंग में विदक्षा श्री माता जी एवं श्री महावीर तपोभूमि में मीना दीदी और साधना दीदी ने संयम धर्म पर कहा कि संसार में संयम धर्म दुर्लभ है, जो प्राप्त कर उसे छोड़ देता है वह मूढ़मति है, वह जरा और मरण के समूह से व्याप्त इस संसाररूपी वन में परिभ्रमण करता रहता है, पुनः वह सुगति को कैसे प्राप्त कर सकता है? पाँचों इन्द्रियों के दमन करने से संयम होता है, कषायों का निग्रह करने से संयम होता है, दुर्धर तप के धारण करने से संयम होता है और रस परित्याग के विचार भावों से संयम होता है। उपवासों के बढ़ाने से संयम होता है, मन के प्रसार को रोकने से संयम होता है, त्रसकृस्थावर जीवों की रक्षा से संयम होता है, परमार्थ तत्त्व के विचार करने से संयम होता है, यह संयम सम्यग्दर्शन के मार्ग को पोषित करता है और वह संयम ही निश्चय से मोक्ष का मार्ग है। संयम के बिना यह सारा मनुष्य भव शून्य के समान है, संयम के बिना यह जीव दुर्गति में जन्म ले लेता है। इसलिये संयम के बिना एक घड़ी भी व्यर्थ मत जीओ, क्योंकि संयम के बिना सम्पूर्ण आयु विफल है। इस भव में और परभव में संयम ही शरण हो सकता है ऐसा श्री जिनेन्द्र देव ने कहा है। यह दुर्गतिरूपी सरोवर का शोषण करने के लिये तीक्ष्ण किरणों के समान है। इस उत्तम संयम से ही विषम भवावली का नाश होता है।
सत्य बोलने वाला मनुष्य कभी डरता नहीं है मीना दीदी
पर्वाधिराज पर्युषण पर्व पर मंगलवार को उत्तम सत्य धर्म की पूजा हुई सुबह से ही मंदिरों में श्री जी का अभिषेक शांतिधारा दशलक्षण धर्म की पूजा पूजा हुई श्री महावीर तपोभूमि में विराजित मीना दीदी ने अपने प्रवचन में कहां की हमें सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए सत्य का मार्ग कठिन हो सकता है लेकिन वहां पराजय कभी नहीं होती है सत्य को स्वीकारना भी चाहिए और सत्य को अपनाना भी चाहिए एवं सत्य कहना आना भी चाहिए सत्य ऐसा सत्य हो जो दूसरों को हानि ना पहुंचाएं दूसरों का मन ना दुखाएं एवं दूसरों का अपमान ना करें वही सत्य वास्तविक में सत्य कहलाता है।
श्री महावीर तपोभूमि में श्रावक संस्कार शिविर के अंतर्गत जहां संपूर्ण श्रावकों के एकासन चल रहे हैं वही कुछ लोगों के निर्जला उपवास में तिलका देवी सोगानी ,सुलोचना जैन, चंद्रकांता जैन ,ओम भैया ,लता जैन के चल रहे हैं। उपवास वाले श्रावकों को के लिए भक्ति में कार्यक्रम भी हुआ तपोभूमि में श्री जी का अभिषेक शांतिधारा कराने का लाभ ललीता तिलोकचंद इंदौर, मोतिरानी जैन, प्रमिला विमल छाबडा, वीरसेन मोतिरानी जैन, हितेश जैन, सोहनलाल जैन एवं शिविर के भोजन कराने का सोभाग्य स्नेहलता सोगानी को प्राप्त हुआ। वहीं विशेष रूप से अशोक जैन चायवाला, सुनील जैन ट्रांसपोर्ट, धर्मेंद्र सेठी, राजेंद्र लुहाडिया, संजय जैन, हेमंत गंगवाल, पलाश लुहाडिया, हंस कुमार जैन, सलोचना सेठी, अंजू जैन, बाल कल्याण समिति के सदस्य विनीता कासलीवाल, एवं डॉ. शरद नायक मौजूद थे।
सत्य में विचरण करना ही मनुष्य का आचरण होना चाहिए विदक्षा श्री माताजी
शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में विदक्षा श्री माताजी ने उत्तम सत्य पर कहा कि सत्य ही मनुष्य को भगवान बना सकता है सत्य में विचरण करना ही मनुष्य का आचरण होना चाहिए संसार रूपी मायाजाल से निकलने का एक सुगम मार्ग ही सत्य है। मंगलवार को माताजी के सानिध्य में रूपातित ध्यान एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित हुए यहां विशेष रूप से मंदिर के अध्यक्ष इंदर चंद जैन महेंद्र लुहाडिया मौजूद थे।

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