राष्ट्र को एकसूत्र में बांधने में हिंदी की सबसे बड़ी भूमिका
‘हिंदी भाषा का महत्व एवं शिक्षा व शिक्षकों में हिंदी की उपादेयता’ पर हुआ व्याख्यान-हुई पत्र लेखन प्रतियोगिता,
उज्जैन। राष्ट्र को एकसूत्र में बांधने में हिंदी की सबसे बड़ी भूमिका है। किसी भी राष्ट्र ने अपनी भाषा को माता का स्थान नहीं दिया किंतु हमने अपनी हिंदी भाषा को माता का दर्जा दिया है। इसी भाषा ने हमारी संस्कृति को अक्षुण्य रखा एवं हमारे संस्कारों को जीवित रखा। आंग्ल भाषा लिखने में सुंदर दिखती है किंतु हिंदी भाषा बोलने में मीठी होती है।
उक्त बात लोकमान्य तिलक शिक्षा महाविद्यालय में हिंदी दिवस पर द्वितीय सत्र में ‘हिंदी भाषा का महत्व एवं शिक्षा व शिक्षकों में हिंदी की उपादेयता’ विषय पर आयोजित व्याख्यान में मुख्य अतिथि एवं वक्ता के रूप में उपस्थित कवि एवं साहित्यकार दिनेश दिग्गज ने कही। कार्यक्रम का शुभारंभ लोकमान्य तिलक शिक्षण समिति एवं न्यास के अध्यक्ष किशोर खंडेलवाल एवं महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. पल्लवी आढ़ाव द्वारा अतिथि स्वागत से किया गया। इस अवसर पर लोटि शिक्षण समिति एवं न्यास के सदस्य विश्वनाथ सोमण एवं कार्यपालन अधिकारी गिरीश भालेराव भी उपस्थित थे। दिग्गज ने अपनी कविताओं के माध्यम से हिंदी भाषा एवं अंग्रेजी भाषा की तुलना करते हुए कुछ रचनाएं भी सुनाई। लोकमान्य तिलक शिक्षा महाविद्यालय में हिंदी दिवस का आयोजन दो सत्रों में किया गया। प्रथम सत्र में छात्राध्यापकों हेतु अनौपचारिक पत्र लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. पल्लवी आढ़ाव ने हिंदी भाषा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए प्राध्यापकों को अनौपचारिक पत्र लेखन हेतु प्रेरित किया। प्रतियोगिता के नियम एवं हिंदी लेखन कौशल पर महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक रणजीतसिंह सिध्दू द्वारा संबोधित करने के पश्चात प्रतियोगिता प्रारंभ हुई जिसमें लगभग 50 विद्यार्थियों ने भाग लिया। इस सत्र का संचालन महाविद्यालय की सहायक प्राध्यापिका डॉ. हेमलता यादव ने किया। द्वितीय सत्र का संचालन बीएड प्रथम वर्ष की छात्रा साक्षी हिंगोले ने किया। अध्यक्षीय उद्बोधन न्यास के अध्यक्ष किशोर खंडेलवाल ने दिया एवं आभार प्राचार्य डॉ. पल्लवी आढ़ाव ने माना।