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उत्तम क्षमा धर्म से प्रारंभ हुआ पर्युषण महापर्व, शहर के सभी दिगंबर मंदिरों मैं हुए धार्मिक कार्यक्रम पूजा-पाठ अभिषेक एवं दशलक्षण धर्म की पूजा


 

उज्जैन। श्री महावीर तपोभूमि में तपोभूमि प्रणेता मुनि प्रज्ञा सागर महाराज के आशीर्वाद से सुबह श्रावक संस्कार शिविर का शुभारंभ श्रीजी के सामने दीप प्रज्वलन कर किया गया। 10 दिनों का शिविर मीना दीदी, साधना दीदी इंदौर के सानिध्य में संपन्न होगा। श्रीजी को पांडुक शिला पर विराजमान कर श्रीजी का अभिषेक शांतिधारा आरती के साथ दशलक्षण धर्म में उत्तम क्षमा धर्म की पूजा की गई। 

समाज के सचिव सचिन कासलीवाल के अनुसार मीना दीदी ने अपने प्रवचन में बताया कि मंदिर का निर्माण क्यों होता है, जैन धर्म में भगवान के दर्शन कैसे किए जाते हैं एवं मंदिर खाली हाथ क्यों नहीं जाया जाता है। उसी के साथ उत्तम क्षमा धर्म के बारे में भी समझाते हुए कहा कि क्रोध ऐसा जहर है, जो आदमी को जीते जी समाप्त कर देता है। कषाय के कारण प्रीति का अभाव हो जाता है। कषाय जब तक रहेगी, तब तक आत्मा में सम्यक्त्व और निर्वाण प्राप्त नहीं हो सकता है। मीना दीदी ने कहा कि यदि जीवन में उत्तम क्षमा आ जाए, तो समझो कि पुनर्जन्म हो गया है। क्रोध अनर्थ का मूल्य है, उत्तम क्षमा धर्म। उत्तम पुरुष ही कषाय को दूर कर उत्तम क्षमा धर्म को धारण कर सकता है। क्षमा तो सामान्य होती है। उत्तम क्षमा विशेष होती है। क्षमा में उत्तम लगा देने से उत्तम क्षमा धर्म हो जाता है। जीवन में क्षमा धारण करने से जीवन विशुद्ध हो जाता है। जिस प्रकार उबलते पानी में कभी चेहरा नहीं दिखाई देता उसी प्रकार क्रोध की अग्नि में भी आदमी को कुछ नहीं दिखाई पड़ता। अग्नि को बुझाने के लिए पानी की जरूरत होती है। उसी प्रकार सृजन पुरुष क्रोध कषाय को उत्तम क्षमा से जीतते हैं श्री जी की शांति धारा का लाभ रूपेंद्र धर्मेंद्र धीरेंद्र सेठी परिवार को प्राप्त हुआ तो श्री जी के प्रथम अभिषेक का लाभ अशोक जैन चाय वालों को प्राप्त हुआ। संपूर्ण भोजन व्यवस्था का लाभ स्नेह लता सोगानी परिवार को प्राप्त हुआ। शिविर के मुख्य संयोजक रमेश जैन और संयोजकता सारिका जैन के साथ संपूर्ण तपोभूमि परिवार के लोगों ने शिविरार्थियों की सेवा की। जिसमें प्रमुख रुप से राजेंद्र लुहाड़िया, ओम जैन, हंसराज जैन, संजय जैन, विकास सेठी, विमल जैन, पुष्पराज जैन, लता सेठी, अंजू जैन, मोनिका जैन, वीर सैन जैन, संजय बड़जात्या, ज्योति जैन आदि मौजूद रहे। 

दसलक्षण धर्म  (उत्तम मार्दव धर्म)

आज शनिवार पर्युषण के दूसरे दिन ( एक रस का त्याग)

शनिवार को सभी का तेल का त्याग रहेगा श्री महावीर तपोभूमि में मीना दीदी ने कहा की मार्दव धर्म पर्युषण के दूसरे दिन

अब आगे धर्म के दसलक्षणों के क्रम में दूसरा है ष्मार्दव धर्मष् और चार कषायों के क्रम में दूसरी है ष्मान कषायष्

माने,

- मान के अभाव को मार्दव धर्म कहते हैं !

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२- उत्तम मार्दव धर्म रू-

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- मार्दव का अर्थ होता है, मृदुता(कोमलता) का होना या मृदु होने की अवस्था/भाव का होना ।

याने,

कोमलता का भाव होने और मान/मद/अभिमान/अहंकार का अभाव होने को ष्उत्तम मार्दवष् धर्म कहते हैं !

- किसी अहंकारी व्यक्ति की तुलना एक नशे में चूर व्यक्ति से की जाती है, 

मद = मदिरा क्यूँ ?

- क्यूंकि इस मद के आश्रय को पाकर यह जीव सब कुछ भूल जाता है ।

जैसे नशे में धुत व्यक्ति को कोई समझा नहीं सकता औरों की तो बात ही क्या उसके सगे-सम्बन्धी जन भी उसे समझाने में असमर्थ हैं, उसी प्रकार अभिमानी व्यक्ति को कोई समझा नहीं सकता ।

- सम्यक् दर्शन को दूषित करने वाले, मलिन करने वाले भावों का नाम है श्मदश् ।

- अर्हन्त भगवान् जिन 18 दोषों से रहित हैं उनमे एक है श्मदश् ।

- हमने जब ष्मदष् पढ़े तो मद के 8 प्रकार पढ़े थे रू-

ज्ञानं पूजां कुलं जाति, वलमर्द्वि तपो वपुः ।

अष्ठा वाश्रित्य मानित्वं, स्मयमा दुर्गतस्मयारू ।।

१ - ज्ञान का मद,

२ - पूजा/प्रतिष्ठा/ऐश्वर्य का मद,

३ - कुल का मद,

४ - जाति का मद,

५ - बल का मद,

६ - ऋद्धि का मद,

७ - तप का मद और 

८ - शरीर/रूप का मद

- ऊपर कहे आठ प्रकार का मद न करना, धर्मात्मा, व्रती, गुरुजनों व विद्वानों को देखकर उनकी विनय करना !

शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर बोर्डिंग में विदश्राश्री माताजी ने शुक्रवार को बताया कि  उत्तम क्षमा धर्म से बड़ा कोई धर्म नहीं होता है  छमा करना वीरो का काम होता है  वीरों का आभूषण होता है  वीरता की निशानी होता है  छमा कोई सामान्य व्यक्ति नहीं कर पाता छमा करना और छमा मांगना  जी मनुष्य का पहला धर्म होना चाहिए छमा धर्म से समाज के साथ-साथ देश भी सुधरेगा माताजी के सानिध्य में आज उत्तम क्षमा धर्म की पूजा के साथ-साथ  श्री जी का अभिषेक शांतिधारा भी हुई  एवम दोपहर में तत्वार्थ सूत्र की विशेष कक्षा एवं शाम को सामायक ध्यान जी हुआ बोर्डिंग मंदिर में आने का अनुरोध मंदिर के अध्यक्ष इंदर चंद जी जैन महेंद्र काका लुहाड़िया तेज कुमार विनायका आदि ने किया और माताजी ने बताया कि आज शनिवार 15 सितंबर के लिए बताया कि मार्दव धर्म पर

- देव-शास्त्र-गुरु की मन-वचन-काय से सत्कार करना उत्तम मार्दव धर्म है !

- मान कषाय तो अनंत संसार बढ़ाने वाली है, किन्तु मार्दव संसार परिभ्रमण का नाश करने वाला है !

- यह मार्दव गुण ष्दयाधर्मष् का कारण है !

रुयाद रखिये रू-

- जिनके मार्दव गुण है, उन्ही का व्रत पालना, संयम धारण करना, तप-त्याग-स्वाध्याय-दान इत्यादि करना सफल है, अभिमानी का सब निष्फल है !

- अभिमानी के बिना अपराध किये ही सब लोग उसके बैरी हो जाते हैं, सभी लोग अभिमानी की निंदा करते हैं और प्रतिपल उसका पतन होते देखना चाहते हैं !

- ऐसे मेरे निज स्वभाव के घातक इस मान कषाय का अभाव हो मै अपने मार्दव गुण को प्रगटाऊं, तो ही आज का दिन सार्थक होगा !

नोट - एक बार आठ मद भी अवश्य पढ़ें !

आज के लिए इतना ही ...

 

--- उत्तम मार्दव धर्म की जय ---

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