सोयाबीन फसल में इल्लियों के नियंत्रण हेतु किसानों को उपयोगी सलाह
उज्जैन । फसलों में विभिन्न प्रकार की फफूंदजनित, पत्तियों को सेमीलुपर अथवा तंबाकू की इल्लियों के द्वारा नुकसान होने पर इनके नियंत्रण के लिये भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान इन्दौर के द्वारा किसानों को उपयोगी सलाह दी गई है।
किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के उप संचालक ने बताया कि किसान सोयाबीन की फसल के नियंत्रण के लिये इंडोक्साकार्ब 333 एमएल प्रति हेक्टेयर अथवा फ्लूबेंडियामाइड 150 एमएल प्रति हेक्टेयर अथवा स्पाइनेटोरम 450 एमएल प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। सोयाबीन की फसल पर एंथ्रेकनोज एवं पॉडब्लाईट के नियंत्रण के लिये थायोफिनाईट मिथाईल 1 किग्रा प्रति हेक्टेयर अथवा टेबूकोनाझोल 625 एमएल प्रति हेक्टेयर या टेबूकोनाझोल+सल्फर 1 लीटर प्रति हेक्टेयर या हेक्झाकोनाझोल 500 एमएल प्रति हेक्टेयर अथवा पायरोक्लोस्ट्रोबिन 500 ग्राम प्रति हेक्टेयर को 500 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। सोयाबीन की फसल पर लाल मकड़ी के नियंत्रण के लिये ईथियान 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 500 लीटर पानी के साथ छिड़काव करें।
सोयाबीन की फसल पर चने की इल्ली, सेमीलूपर तंबाकू की इल्ली एवं सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिये पूर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथाक्सम+लेम्बड़ा सायहेलोथ्रिन 125 एमएल प्रति हेक्टेयर अथवा बीटासायफ्लुथ्रिन+इमिडाक्लोप्रिड 330 एमएल प्रति हेक्टेयर या इंडोक्साकार्ब 330 एमएल प्रति हेक्टेयर की दर से 500 लीटर पानी के साथ छिड़काव करें। जिन किसानों की सोयाबीन की फसल में केवल पत्ती खाने वाली इल्लियों का प्रकोप है, वे वहां पर इंडोक्साकार्ब 330 एमएल प्रति हेक्टेयर अथवा क्यूनालफॉस 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर अथवा फ्लूबेंडियामाईड 150 एमएल प्रति हेक्टेयर अथवा स्पाईनेटोरम 450 एमएल प्रति हेक्टेयर में 500 लीटर पानी के साथ छिड़काव करें।
कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है कि जिन किसानों की सोयाबीन की फसलों पर गर्डल बिटल का प्रकोप शुरू हो गया हो, वहां पर थाइक्लोप्रिड 21.7 एससी 650 एमएल प्रति हेक्टेयर अथवा ट्राइजोफॉस 40 ईसी 800 एमएल प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। फसल की सतत निगरानी करते हुए किसान तंबाकू की इल्ली अथवा बिहार की रोएंदार इल्ली के समूह द्वारा ग्रसित पत्तियों या पौधों को पहचान कर नष्ट करें। पीला मोजाइक बीमारी को फैलाने वाली सफेद मक्खी के प्रबंधन के लिये खेत में यलो स्टिकी ट्रेप का प्रयोग करें, जिससे मक्खी के वयस्क नष्ट किये जा सकें। पीला मोजाइक रोग से ग्रसित पौधों को किसान अपने खेत से निकालकर नष्ट कर दें। इससे रोग को फैलने से रोकने में सहायता होगी। जिन क्षेत्रों में अधिक वर्षा हो रही है, वहां पर सोयाबीन के खेत में जलभराव न होने दें।