"आईये संकल्प लें, भोजन का एक भी कण बर्बाद नहीं करेंगे, जिसे जरूरत हो, उसे उपलब्ध करायेंगे"
'अन्न का अधिकार-मानव अधिकार' पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित
उज्जैन । गुरूवार को सिंहस्थ मेला कार्यालय के सभाकक्ष में मप्र मानव अधिकार आयोग के स्थापना दिवस के अवसर पर 'अन्न का अधिकार-मानव अधिकार' पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में जिला आपूर्ति नियंत्रक श्री एमएल मारू, मप्र मानव अधिकार आयोग के सदस्य श्री किशोर खंडेलवाल, महिला एवं बाल विकास विभाग के संभागीय अधिकारी श्री सीएल पासी, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताएं और हितग्राही मौजूद थे। कार्यशाला के पूर्व पात्र हितग्राहियों को अतिथियों द्वारा सम्मानित किया गया।
स्वागत भाषण जिला खाद्य नियंत्रक श्री मारू ने दिया। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि मप्र मानव अधिकार आयोग का गठन 13 सितम्बर 1995 को किया गया था। तब से लेकर प्रतिवर्ष विभिन्न मानवाधिकारों पर केन्द्रित कार्यक्रम पूरे प्रदेश में आयोजित किये जाते हैं। जिसने भी मनुष्य के रूप में जन्म लिया है, अन्न का अधिकार उसका मानवाधिकार होगा। नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग का उद्देश्य लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अन्तर्गत चिन्हांकित परिवारों को पात्रता अनुसार रियायती दर पर सामग्री का वितरण कराना और उपभोक्ता हितों का संरक्षण करना है। विभाग द्वारा अन्त्योदय परिवार को 30 किलोग्राम गेहूं, 5 किलोग्राम चावल, 1 किलोग्राम नमक और प्राथमिकता परिवार को 4 किलो गेहूं प्रति सदस्य, 1 किलो चावल प्रति सदस्य और 1 किलो नमक प्रति परिवार दिया जाता है।
उल्लेखनीय है कि उज्जैन जिले में लाभान्वित परिवार 267377 और सदस्य 1238456 हैं। प्रदेश में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 के प्रावधान अनुसार 1 मार्च 2014 से सार्वजनिक वितरण प्रणाली प्रारम्भ की गई। इसमें पात्र परिवारों में अन्त्योदय अन्न योजना के परिवारों के साथ-साथ प्राथमिकता परिवार के रूप में 24 श्रेणियों को शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में सम्मिलित किया गया है। प्राथमिकता परिवार की श्रेणियों में न सिर्फ समस्त बीपीएल परिवार सम्मिलित किये गये हैं, बल्कि 23 अन्य श्रेणियों के गैर-बीपीएल परिवारों को भी सम्मिलित किया गया है। जो लोग पात्र हैं, उन्हें अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना चाहिये। इसी तरह अन्न का अधिकार सबका अधिकार है और लोग इसके प्रति सजग रहें। यह हम सबका दायित्व है कि कोई भी पात्र हितग्राही भूखे पेट न सोये और उसके अन्न के अधिकार का संरक्षण हर हाल में हो।
श्री मारू ने कहा कि यदि किसी पात्र हितग्राही को अपने मानव अधिकारों का हनन होता हुआ महसूस हो, तो राज्य मानव अधिकार आयोग में वे अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। आयोग इस ओर हमेशा से सजग रहा है और हर संभव सहायता समय-समय पर हितग्राहियों को उपलब्ध कराई जाती है।
मानव अधिकार आयोग के सदस्य श्री किशोर खंडेलवाल ने कार्यशाला में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि किसी भी मनुष्य को इस धरती पर जन्म लेने के बाद अन्न का अधिकार तो ईश्वर द्वारा प्रदत्त है। यह अधिकार किसी भी मानव से कोई नहीं छीन सकता, लेकिन हर व्यक्ति और गरीब तबके के लोगों को भरपेट भोजन मिले, इसके लिये हम सभी को समाज में वृहद स्तर पर जागरूकता लानी होगी। हमें परिवर्तन और सुधार की 1 चिंगारी बनना होगा।
श्री खंडेलवाल ने जानकारी दी कि वर्तमान में पूरे विश्व में 90 करोड़ बच्चे कुपोषण से पीड़ित हैं। यह हम सबके लिये 1 चिन्ता का विषय है। हमारे देश में भी प्रत्येक 100 में से 39 बच्चे कुपोषित हैं। कुपोषण को शत-प्रतिशत समाप्त करने के लिये हम सभी को समान रूप से प्रयास करने होंगे। इसके लिये गर्भवती माताओं और गर्भस्थ शिशु का हमें विशेष खयाल रखना होगा। वर्तमान में देश में खाद्यान्न की कोई कमी नहीं है। हमारे किसानों ने दिन-रात मेहनत करके इतना अनाज उगाया है कि अब तो हमारा अनाज दूसरे देशों में निर्यात किया जाता है। फिर भी यदि गर्भवती माता और बच्चे कुपोषण से ग्रस्त हो रहे हैं, तो इसे सही समय पर रोकने की आवश्यकता है।
यह बड़ी चिन्ता का विषय है कि हमारे देश में खाद्यान्न तो भरपूर मात्रा में उत्पन्न हो रहा है, लेकिन उसकी बर्बादी भी हो रही है। हमारे देश में लोग 245 करोड़ रूपये का भोज्य पदार्थ प्रतिदिन बर्बाद करते हैं। विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों जैसे- शादी, नामकरण और मृत्युभोज में भोजन की बहुत बर्बादी होती है। इसके लिये हम सभी को समाज में जागरूकता लाना होगी। जितनी आवश्यकता हो केवल उतना भोजन अपनी थाली में लें और बाकी उसे दें, जिसे भोजन की बेहद जरूरत है। यह भोजन हमें बहुत मुश्किल से मिलता है, इसलिये हमें इसकी कद्र करनी चाहिये। इसके लिये समाज में 1 चेतना जागृत करना होगी। प्रत्येक विद्यालय के विद्यार्थियों को प्रतिदिन मध्याह्न भोजन के पूर्व की जाने वाली प्रार्थना में यह संकल्प दिलवायें कि भोजन को बर्बाद न करें, उसका दुरूपयोग न करें।
श्री खंडेलवाल ने कहा कि कई बार सम्पन्न परिवारों के बच्चे भी कुपोषण से ग्रस्त हो जाते हैं। इसके पीछे प्रमुख वजह यह है कि ऐसे परिवार बच्चों को कौन-सा आहार दिया जाये, जिससे उसे पोषण मिले, इस बार में नहीं जानते हैं। लोगों को इस बारे में जानकारी दी जाना जरूरी है। इसके लिये हमें अपने घर से ही प्रयास शुरू करना होंगे। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा 1-1 पात्र हितग्राही को भरपेट भोजन मिले, इस हेतु कई अनगिनत योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन आम जनता का यह कर्त्तव्य है कि इन योजनाओं का लाभ जो पात्र हैं, उन्हें अनिवार्यत: मिले। शासन की कोई भी योजना को सही ढंग से लागू करने में आम जनता को भी सहयोग देना होगा।
कार्यशाला में महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी श्री सीएल पासी ने अन्न के अधिकार और कुपोषण को मिटाने के लिये विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि हाल ही में देश के प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रीय पोषण मिशन की शुरूआत की गई है। उज्जैन जिले में वर्तमान में 1 प्रतिशत बच्चे गंभीर और 15 प्रतिशत बच्चे सामान्य कुपोषण से पीड़ित हैं। इसे दूर करने के लिये विभाग द्वारा हरसंभव प्रयास किये जा रहे हैं।
वर्तमान में उज्जैन जिले में 2137 आंगनवाड़ी केन्द्र हैं। इन केन्द्रों पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा बच्चों को पौष्टिक आहार देने और भोजन में साफ-सफाई बरतने तथा बच्चों की जन्म के बाद उचित ढंग से मालिश का कार्य किया जाता है। परिवारों को भी समय-समय पर जागरूक किया जाता है। कुपोषण को दूर करने के लिये अपने भोजन में हरी सब्जियों और खट्टे फलों को अनिवार्य रूप से शामिल करें। सभी पदार्थों का अपना महत्व होता है। बच्चों के शुरूआती विकास में प्रोटीन बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। गर्भावस्था के दौरान गर्भवती माता को सम्पूर्ण पौष्टिक आहार दिया जाना जरूरी है।
श्री पासी ने बताया कि सितम्बर माह को राष्ट्रीय पोषण माह घोषित किया गया है। हाल ही में प्रधानमंत्री द्वारा आशा, एएनएम और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से विस्तार से चर्चा की गई तथा आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को कुपोषण दूर करने के लिये अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का संकल्प दिलाया। हमें छोटे बच्चों को दिन में 5 से 6 बार खाना जरूर देना चाहिये। गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक आहार और आयरन की गोली दी जानी चाहिये।
कार्यशाला में स्वास्थ्य विभाग के श्री दिलीपसिंह सिरोहिया द्वारा विभिन्न विभागीय योजनाओं के बारे में जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि हमारा मुख्य उद्देश्य शिशु और मातृ मृत्यु दर में कमी लाना है। अक्सर कुपोषण के कारण महिलाओं की मृत्यु प्रसव के दौरान ही हो जाती है। हाल ही में मुख्यमंत्री द्वारा श्रमिक प्रसूति सहायता योजना प्रारम्भ की गई है। आगामी 25 सितम्बर से आयुष्मान भारत योजना भी शुरू की जायेगी। जिले में 8 पोषण पुनर्वास केन्द्र बनाये गये हैं, जहां गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों को रखा जाता है और उनका सम्पूर्ण इलाज नि:शुल्क कराया जाता है। आभार प्रदर्शन जिला आपूर्ति नियंत्रक श्री एमएल मारू ने किया।