top header advertisement
Home - उज्जैन << लोकसेवक के लिए संस्कृति का सही ज्ञान होना आवश्यक युवा चेतना व्याख्यानमाला के शुभारंभ अवसर पर बोले अपर मुख्य सचिव मनोज श्रीवास्तव

लोकसेवक के लिए संस्कृति का सही ज्ञान होना आवश्यक युवा चेतना व्याख्यानमाला के शुभारंभ अवसर पर बोले अपर मुख्य सचिव मनोज श्रीवास्तव


उज्जैन। लोकसेवक के लिए भारतीय संस्कृति सही दान होना अत्यंत आवश्यक है। संस्कृति के बारे में हमारे समाज में कई धारणाएं प्रचलित हैं जैसे कि संस्कृति एक विरासत है, व्यतीत है, प्रदत्त की गई चीज है अथवा बूढ़े बाबाओं की पोटली है। वास्तव में संस्कृति की अवधारणा बहुत व्यापक है, जिसमें समग्र सामाजिक जीवन समाहित है इसलिए अगर लोकसेवक संस्कृति के वास्तविक स्वरूप को नहीं आत्मस्त्रोत करेंगे तो वे अप्रशासकीय दायित्व का निर्वाह भी ठीक से नहीं कर पाएंगे। 
यह विचार म.प्र. के अपर मुख्य सचिव मनोज श्रीवास्तव ने आई.पू.पूस. संस्थान द्वारा आयोजित व्याख्यानमाला में लोकसेवक और सांस्कृतिक चुनौतियां विषय पर संबोधित करते हुए व्यक्त किये। श्रीवास्तव ने अपने भाषण में लोकसेवक के समक्ष मौजूद सांस्कृति चुनौतियों के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि हमने लंबा ओपनिवेशिक जीवन लिया। जिसमें राज्य और समाज के बीच दूरी बढ़ती ही गई। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी यह दूरी बनी हुई है, जिसे मिटाने में लोकसेवकों की भूमिका बड़ी महत्वपूर्ण हो सकती है। व्याख्यान सत्र की अध्यक्षता करते हुए पूर्व कुलपति एवं संभागायुक्त डॉ. मोहन गुप्त ने कहा कि संस्कृति, मनुष्य को मनुष्य बनाए रखने का उपक्रम है। मनुष्य में पशुता और दिव्यता दोनो ही होते हैं। संस्कृति के माध्यम से मनुष्य की पशुता को नियंत्रित करने में और दिव्यता के उन्मीलन में सहायक सिध्द होती है। कार्यक्रम के आरंभ में अतिथियों ने दीपदीपन कर व्याख्यानमाला का शुभारंभ किया। स्वागत में जोशी आईपूपूस संस्थान की निदेशक डॉ. पांखुरी जोशी ने बताया कि युवाचेतना व्याख्यानमाला ने प्रतिमाह एक व्याख्यान आयोजित किया जाएगा। छात्रा पूजा भाटी, रोशनी वर्मा और हर्ष सोनी ने अतिथि स्वागत किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि मनोज श्रीवास्तव का शाल, श्रीफल से अभिनंदन डॉ. मोहन गुप्त और डॉ. पंखुरी जोशी द्वारा करते हुए उन्हें महाकाल की रजत प्रतिमा भेंट की। संचालन साहित्यकार अशोक वक्त ने किया एवं आभार शादाब सिद्दीकी ने माना। कार्यक्रम में डॉ. केदार नारायण जोशी, पद्मजा रघुवंशी, डॉ. पुष्पा चौरसिया, डॉ. राजेश्वर शास्त्री, मूसल गांवकर, डॉ. पिलकेन्द्र अरोरा, हर्षवर्धन राय, शरद शर्मा, पलक पटवर्धन, हरीश पोद्दर, राजेन्द्र अवस्थी, अजय मेहता, रवीन्द्र देवलेकर, नदीम खान आदि उपस्थित थे। 

Leave a reply