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नेशनल लोक अदालत आज, विभिन्न प्रकरणों का होगा निराकरण


 

उज्जैन । जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव श्री पदमेश शाह ने जानकारी दी कि शनिवार को नेशनल लोक अदालत का आयोजन नये कोर्ट भवन में प्रात: 10 बजे से किया जायेगा। अदालत में जिला मुख्यालय स्थित न्यायालय एवं तहसील मुख्यालयों पर स्थित न्यायालय सहित कुल 40 खण्डपीठों के माध्यम से आपराधिक, सिविल, विद्युत अधिनियम सम्बन्धी, श्रम, मोटर दुर्घटना क्षतिपूर्ति दावा, बैंक वसूली, प्रीलिटिगेशन एवं बैंकों के न्यायालय में लम्बित प्रकरण, धारा 138 नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट के अन्तर्गत चेक बाउंस प्रकरण, कुटुम्ब न्यायालय, ग्राम न्यायालय, नगर पालिक निगम, जल कर, सम्पत्ति कर तथा बीएसएनएल के बकाया बिल व वसूली सम्बन्धी प्रीलिटिगेशन के प्रकरणों का निराकरण किया जायेगा।

नेशनल लोक अदालत में न्यायालयों में लम्बित/विचाराधीन प्रकरणों पर धारा 138 एनआई एक्ट के अन्तर्गत राजीनामा के माध्यम से निराकरण कराने पर शमन शुल्क में नियमानुसार छूट दी जायेगी। अदालत में विद्युत विभाग द्वारा लम्बित प्रकरणों में निम्नदाब श्रेणी के समस्त घरेलू, समस्त कृषि, 5 किलोवॉट तक के गैर-घरेलू और 10 अश्वशक्ति भार तक के औद्योगिक उपभोक्ताओं को नियमानुसार छूट दी जायेगी।

इनमें प्रीलिटिगेशन स्तर पर कंपनी द्वारा आंकलित सिविल दायित्व की राशि पर 40 प्रतिशत एवं आंकलित राशि के भुगतान में चूक किये जाने पर निर्धारण आदेश जारी होने की तिथि से 30 दिनों की अवधि समाप्त होने के पश्चात प्रत्येक छह माही चक्रवृद्धि दर के अनुसार 16 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से लगने वाले ब्याज की राशि पर शत-प्रतिशत की छूट दी जायेगी।

लिटिगेशन स्तर पर कंपनी द्वारा आंकलित सिविल दायित्व की राशि पर 25 प्रतिशत एवं आंकलित राशि के भुगतान में चूक किये जाने पर निर्धारण आदेश जारी होने की तिथि से 30 दिवस की अवधि समाप्त होने के पश्चात प्रत्येक छह माही चक्रवृद्धि दर अनुसार 16 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से लगने वाले ब्याज की राशि पर शत-प्रतिशत छूट दी जायेगी।

छूट की शर्तें

आवेदक को निर्धारित छूट के उपरान्त शेष देयक आंकलित सिविल दायित्व एवं ब्याज की राशि का एकमुश्त भुगतान करना होगा। उपभोक्ता/उपयोगकर्ता को विचाराधीन प्रकरण वाले परिसर एवं अन्य परिसरों पर उसके नाम पर किसी अन्य संयोजन/संयोजनों के विरूद्ध विद्युत देयकों की बकाया राशि का पूर्ण भुगतान भी करना होगा। आवेदक के नाम पर कोई विधिक संयोजन न होने की स्थिति में छूट का लाभ प्राप्त करने के लिये आवेदक द्वारा विधिक संयोजन प्राप्त करना एवं पूर्व में विच्छेदित संयोजनों के विरूद्ध बकाया राशि का पूर्ण भुगतान किया जाना अनिवार्य होगा।

नेशनल लोक अदालत में छूट आवेदक द्वारा विद्युत चोरी/अनाधिकृत उपयोग पहली बार किये जाने की स्थिति में ही दी जायेगी। विद्युत चोरी/अनाधिकृत उपयोग के प्रकरणों में पूर्व की लोक अदालत/अदालतों में छूट प्राप्त किये उपभोक्ता/उपयोगकर्ता छूट प्राप्त करने के अधिकारी नहीं होंगे। सामान्य विद्युत देयकों के विरूद्ध बकाया राशि पर कोई छूट नहीं दी जायेगी। यह छूट मात्र 8 सितम्बर शनिवार नेशनल लोक अदालत में समझौता करने के लिये ही लागू रहेगी।

नगर पालिका निगमों द्वारा दी जाने वाली छूट एवं शर्तें

शनिवार को आयोजित होने वाली नेशनल लोक अदालत में सम्पत्ति कर के ऐसे प्रकरण, जिनमें कर तथा अधिभार की राशि 50 हजार रूपये तक बकाया होने पर मात्र अधिभार में शत-प्रतिशत तक की छूट दी जायेगी। जल कर के ऐसे प्रकरण, जिनमें कर तथा अधिभार की राशि 10 हजार रूपये तक बकाया होने पर मात्र अधिभार में शत-प्रतिशत तक की छूट दी जायेगी। सम्पत्ति कर के ऐसे प्रकरण, जिनमें कर तथा अधिभार राशि 50 हजार रूपये से अधिक और एक लाख रूपये तक बकाया होने पर मात्र अधिभार में 50 प्रतिशत तक की छूट दी जायेगी।

जल कर के ऐसे प्रकरण, जिनमें कर तथा अधिभार की राशि 10 हजार रूपये से अधिक व 50 हजार रूपये तक बकाया होने पर मात्र अधिभार में 75 प्रतिशत तक की छूट दी जायेगी। सम्पत्ति कर के ऐसे प्रकरण, जिनमें कर तथा अधिभार की राशि एक लाख रूपये से अधिक बकाया होने पर मात्र अधिभार में 25 प्रतिशत तक की छूट दी जायेगी। जल कर के ऐसेप्रकरण, जिनमें कर तथा अधिभार की राशि 50 हजार रूपये से अधिक बकाया होने पर मात्र अधिभार में 50 प्रतिशत तक की छूट दी जायेगी।

गौरतलब है कि यह छूट मात्र एक बार ही दी जायेगी, जो वित्तीय वर्ष 2016-17 तक की बकाया राशि पर ही देय होगी। छूट उपरान्त राशि अधिकतम दो किश्तों में जमा कराई जायेगी, जिसमें से कम से कम 50 प्रतिशत राशि लोक अदालत के दिन जमा कराई जाना अनिवार्य होगा। यह छूट वर्ष 2018 में नेशनल लोक अदालत के लिये ही मान्य होगी।

नगर निगम द्वारा जल कर और सम्पत्ति कर वसूली से सम्बन्धित प्रकरण

शनिवार को आयोजित नेशनल लोक अदालत में न्यायालय द्वारा लम्बित प्रकरणों में से धारा 138 एनआई एक्ट के 1032, मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण के 633, आपराधिक प्रकृति के 339, विद्युत देयक बकाया वसूली के 2012, हिन्दू विवाह अधिनियम के 14, सिविल के 289, धारा 125 दंप्रसं के 401 तथा प्रीलिटिगेशन प्रकरणों में से बैंक ऋण वसूली के 1139 प्रकरण उक्त नेशनल लोक अदालत में राजीनामा के माध्यम से निराकरण के लिये रखे गये हैं।

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